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बड़े बड़े इन महलों में बंद, बुलबुलें झटपटाती हैं, क्या किसी के लिए लड़ेंगी, आपबीति नहीं कह पाती हैं, आपबीति नहीं कह पाती हैं...
बड़े बड़े इन महलों में बंद, बुलबुलें झटपटाती हैं, क्या किसी के लिए लड़ेंगी, आपबीति नहीं कह पाती हैं, आपबीति नहीं कह पाती हैं…
मुझे नहीं देखनी सुननी, क्रांति की यह झूठी कहानी है अगर कहीं तो सामने लाओ, मैं ढूंढ रही हूँ असल महारानी।
क्या किसी ‘राबड़ी’ ने किसी ‘लालू’ के खिलाफ, कभी आवाज़ उठाई थी? क्या कोई ‘हिलेरी’ कहीं, किसी ‘मोनिका’ के साथ खड़ी नज़र आई थी?
जाने कितने अपराधों को, हर ‘रानी’ का सीधा सीधा आश्रय है , उसे ‘राजा’ की साख बचानी है, हर कीमत पर यह तय है।
महानता की कोई मूर्ति सच बोलेगी, मुझे इसमें संशय है।
बड़े बड़े इन महलों में बंद, बुलबुलें झटपटाती हैं, क्या किसी के लिए लड़ेंगी , आपबीति नहीं कह पाती हैं।
और सच कहने वाली को यहां, कब तालियां मिलती हैं, इतिहास गवाह है हर मंदोदरी, कहीं तिल-तिल मरती है।
फिर भी मुझे असल ‘महारानी’ की तलाश है, सच कहूं तो इन शोहरत और दौलत से लदी ये सभी ट्रॉफियां एक जिंदा लाश हैं।
ऑथर नोट : यह रचना हाल ही में sony Liv पर प्रसारित एक वेब सिरीज़ ‘महारानी’ पर आधारित है । इस सिरीज़ में एक पत्नी अपने ही पति द्वारा किये हुए भ्र्ष्टाचार का पर्दाफाश करती है ।
मूल चित्र : Still from Mrinal Ki Chitthi/Tagore Stories via Netflix
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