कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
हमारा रिश्तेदारी का खून उबाल लेने लगा, “बेटा हमें तो साधारण लड़की चाहिए। कोई मांग नहीं हैं, ना हूर की परी चाहिए। बस पढ़ी-लिखी होनी चाहिए।”
बात शादी की हो तो, तो वर-वधू का एक खूबसूरत मुखड़ा आँखों के सामने घूम जाता हैं। यूँ तो शादी वाले दिन, हर वर और वधू खूबसूरत दिखते हैं। शादी तो चलिए, एक खोज-बीन, एक दूसरे को पसंद, करने के बाद का परिणाम हैं।
बड़े दिनों बाद रिश्ते की चाची सास के घर जाना हुआ। बहुत आव-भगत हुई। जब हम सब खा-पीकर बैठे तो, मैं पूछ बैठी नितिन भइया (चाची सास का बेटा ) की शादी कब हो रही। चाची सास खुश हो बोली, “बस जब लड़की मिल जाये।”
मेरे पति ने पूछा, “चाची आपको कैसी लड़की चाहिए?”
हम लोगों का भी रिश्तेदारी का खून उबाल लेने लगा, “बेटा हमें तो साधारण लड़की चाहिए। कोई मांग नहीं हैं, ना हूर की परी चाहिए। बस पढ़ी-लिखी होनी चाहिए।”
“हाँ बस, लड़की थोड़ी लंबी हो, कान्वेंट की पढ़ी होनी चाहिए, अंग्रेजी आनी चाहिए, वो क्या है बेटा, आजकल अंग्रेजी भाषा का ही चलन हैं। हाँ ज्यादा तो नहीं फिर भी रंग साफ़ होना चाहिए, बाल भी छोटे नहीं लम्बे होना चाहिए। घर -परिवार भी अच्छा होना चाहिए, हमें कोई कमी नहीं हैं, पर समाज में उठने -बैठने के लिए, बराबरी का तो होना चाहिए। खाना बनाना आना चाहिए, नौकरी करने वाली हो तो और अच्छा, बताने में नाक ऊँची होंगी। पैकेज अच्छा होना चाहिए। पर घर को भी समय दे। हाँ टीचर लड़की नहीं चाहिए। उसको आदेश देने की आदत होंगी…”
मैं और मेरे पति, साधारण लड़की की परिभाषा सुन, एक दूसरे का मुँह देख रहे थे कि चाची बोली, “बेटा तुम लोगों को भी देखनी पड़ेगी, कोई नजरों में हो तो बताना। हाँ ऊषा, तुम्हारे जैसा रंग नहीं चाहिए।”
चाची की बात सुन, अपमान से मेरा सांवला चेहरा लाल हो गया। पति ने देखा तो विदा लेना आवश्यक समझा। चाची स्नेहसिक्त स्वर में फिर बोली, “फिर आना, बहुत अच्छा लगा। हाँ लड़की निगाह में रखना।”
उनके घर के बाहर निकल हमने राहत की सांस ली। और तौबा कर लिया, दुबारा उनके घर जाने से।
चाची की साधारण लड़की की परिभाषा सुन, मै सोच में पड़ गई। नितिन भइया यानि चाची के बड़े बेटे, तो थोड़े नहीं, पूरे गहरे रंग के हैं, बहुत अच्छा पैकेज भी नहीं हैं, अंग्रेजी तो माशाअल्लाह हैं उनकी। पर चाची को बेटे की कमियां नहीं दिखी, बस बेटा मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता हैं, बखानने के लिए यहीं औजार इस्तेमाल कर रही हैं।
बहू में उन्हें सब गुण चाहिए। चाची ही नहीं, बहुत से ऐसे लोग हैं, जो कहते हैं, हमें कुछ नहीं चाहिए बस लड़की अच्छी होनी चाहिए।
मगर मेरे जेहन में ये प्रश्न उभर आया, अरेंज मैरिज में, लड़का, लड़की का विवाह के लिए इतने मापदंड क्यों बनाते हैं अभिभावक?
यहाँ सिर्फ लड़के के माँ-बाप ही नहीं, लड़की के माँ-बाप भी अपनी मांग में कोई कमी नहीं करते। लड़की कैसी भी, उनको भी दामाद सुन्दर, मोटी तनख्वाह वाला, अकेला लड़का हो, सास-नन्द रूपी आफत ना हो। पर ऐसे लोग भूल जाते हैं कि उनके घर में भी बहू आएगी, अगर वो भी यहीं सब चाहें तो?
चाची की खोज जारी है। कोई मांग ना होने के बावजूद, शादी नहीं हो पा रही हैं। शायद मांग होती तो जल्दी शादी हो जाती…
मेरे विचार से, शादी के लिए, सुंदरता, पैसा जरूरी नहीं हैं। हाँ शिक्षा जरूरी हैं, अंग्रेजी बोलना भी जरूरी नहीं है। शादी के लिए, दिल मिलना जरूरी हैं। आपसी समझ होनी चाहिए। रंग-रूप तो दो दिनों की चांदनी हैं, गुण तो हमेशा का सौंदर्य हैं। तभी तो कई बार पति गोरा, सुन्दर और पत्नी सांवली सलोनी भी मिल जाते हैं…
मूल चित्र : Still from Short Film The Wedding Saree, YouTube (for representaional purpose only)
read more...
Women's Web is an open platform that publishes a diversity of views, individual posts do not necessarily represent the platform's views and opinions at all times.