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अगर आप थोड़े से ठहराव की तलाश में हैं तो ज़रूर देखें फिल्म स्केटर गर्ल

फिल्म स्केटर गर्ल के एक संवाद में महारानी जैसिका से कहती हैं, “यहां के लोगों को बदलाव नहीं पसंद है। खासकर तब जब बदलाव एक औरत ला रही हो।"

फिल्म स्केटर गर्ल के एक संवाद में महारानी जैसिका से कहती हैं, “यहां के लोगों को बदलाव नहीं पसंद है। खासकर तब जब बदलाव एक औरत ला रही हो।”

नैटफिलिक्स पर बीते दिनों मंजरी मकिजनी द्वारा लिखित, निर्देशित और निर्मित एक समान्य “स्केटर गर्ल” की कहानी सुनाई है जो मूल रूप से  एक स्पोर्टस ड्रामा है।

कहानी बस यही कहना चाहती है कि बच्चों के सपने को प्रोत्साहित करें। दिल को छू लेने वाली कहानी मनोरंजन के साथ-साथ हमारे ग्रामीण समाज के महौल को प्रभावित करे तब कहा जाना चाहिए कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी।

पूरी कहानी न अपने स्टोरी टेंलिग से प्रभावित करती है न ही कलाकारों के अभिनय से, प्रभावित करती है तो कहानी सुनाने के लिए जिस डिटेलिंग पर खास ध्यान दिया गया है वह।

फिल्म स्केटर गर्ल की कहानी के अंदर स्वयं इतनी क्षमता है कि कहानी के अंत तक पहुंचने को मजबूर करती है। साथ ही साथ यह बात भी कहती है कि शहर ही नहीं ग्रामीण परिवेश के बच्चों को भी अगर प्रोत्साहित किया जाए, तो वह बेमिसाल  बुलंदियों को छू सकते है।

क्या कहती है स्केटर गर्ल की कहानी

लंदन में रहने वाली जेसिका (एमी मघेरा) अपने पिता के बचपन के गांव के बारे में जानने के लिए राजस्थान के खेमपुर गांव में आती है, जो उदयपुर से 45 किलोमीटर दूर है और जहां जाति व्यवस्था बहुत मजबूत है। वहाँ उसकी मुलाकात प्रेरणा (राहेल संचिता गुप्ता) से होती है। जो अपने माता-पिता और छोटे भाई के साथ परंपरा और कर्तव्य में बंधा हुआ जीवन जी रही है।

जेसिका, प्रेरणा से पहली मुलाकात के बाद उसके सपने के बारे में पूछती है तो वह कहती है उसे पता नहीं है, यह बात जेसिका को हैरान कर देती है।

जेसिका का दोस्त (जोनाथन रीडविन) गाँव के बच्चों को स्लेटबोर्ड दिखाता है तो सारे बच्चे उससे मोहित हो जाते हैं।

गाँव के बच्चों के उत्साह से गाँव के स्कूल टीचर और गाँव वासी सभी परेशान है। जेसिका गाँव के बच्चों और प्रेरणा को अपने जीवन का उद्देश्य देने के लिए गाँव में स्केट-पार्क बनाने का निश्चिय करती है और कठिन लड़ाई में अपने दोस्त (जोनाथन रीडविन) से मदद लेती है। जिसमें महरानी सा (वाहिदा रहमान) भी मदद करती हैं।

परंतु, प्रेरणा अपने परिवार और समाज के अपेक्षाओं के आगे अपने सपने को जीने का विकल्प छोड़ने को मजबूर हो जाती है। प्रेरणा अपने सपने को पूरा कर पाती है या नहीं, जेसिका अपने पिता के बारे में जान पाती है या नहीं? उसके स्केटपार्क का सपना पूरा हो पाता है या नहीं? इस  सवालों के जबाव के लिए आपको “स्केटर गर्ल” देखनी होगी।

क्यों देखनी चाहिए फिल्म स्केटर गर्ल

बेशक फिल्म स्केटर गर्ल में कोई नामी-गिरामी कलाकार काम नहीं कर रहे है, गेस्ट अदाकारा के रूप में वहीदा रहमान को छोड़कर, पर कहानी जिस अंदाज में सुनाई गई है, वह बहुत कुछ कह देती है।

जैसे प्रेरणा स्कूल जाना चाहती है पर उसके पास न ही यूनिफार्म है न किताब। जबकि उसके भाई स्कूल जा रहे है उनके पास यूनिफार्म भी है और किताब भी। स्कूल में सजा के तौर पर प्रेरणा को स्कूल में झाड़ू लगाने कहा जाता है क्योंकि वह निचली जात से है। गाँव में ऊपरी और निचली जात के बच्चे साथ नहीं खेलते है पीने के पानी का नल तक अलग-अलग है।

पूरे गाँव में बड़े आराम से कम उम्र में लड़की की शादी कराई जा रही है और किसी को कोई आपत्ति नहीं है। प्रेरणा को लड़कों के काम करने से मनाही है इसलिए उसके घर वाले उसे स्केट बोर्ड चलाने नहीं देना चाहते है। प्रेरणा मंदिर में इसलिए नहीं जाती है क्योंकि उसके पेट में दर्द (महावारी) है।

इन सारी बातों को बहुत ही शांत तरीके से बिना शोरगुल के फिल्माया गया है। कहानी सुनाने में छोटी-छोटी बातों को इतनी शानदार तरीके से पीरोया गया कि वह शोर नहीं करती है पर प्रभाव छोड़ देती है।

नारीवाद के सिस्टरहुड को बड़ी बारिक तरीके से पकड़ा है मंजरी ने 

मंजरी मकिजनी और उनकी बहन वनिता मकिजनी, हिंदी सिनेमा के मशहूर सांभा यानि मैक मोहन की बेटियां है। मकिजनी सिस्टर्स ने पूरी कहानी को सुनाने में सिस्टरहुड को बड़ी ही बारीक तरीके से पकड़ा है और कहानी में पिरोया है। इस कदर कि वह पूरी कहानी पर कभी हावी नहीं होता पर अपनी बात कह जाता है।

जेसिका हो या प्रेरणा, महारानी हो या प्रेरणा की माँ, चारो एक धागे में बंधे हुए है, वह ये जानते हैं पर उस धागे को तोड़कर आगे कैसे जाना है यह किसी को नहीं पता है।

एक संवाद में प्रेरणा की माँ बेटी से पूछती है, “ऐसा क्या होता है स्केटबोर्ड में?”

प्रेरणा बोलती है, “पता नहीं, बस अच्छा लगता है,ऐसा लगता है ये एक चीज है जो मेरा है, मैं कर सकती हूँ, कोई रोक टोक नही है कोई रुल्स नही है लगता है हवा मे खड़ी हूँ।” इसके बाद प्रेरणा की माँ प्रेरणा को स्केट पार्क लेकर जाती है, जहां वो जेसिका के साथ प्रेरणा को स्केटबोर्ड पर स्केट करते हुए देखती है और खुश होती है।

एक और संवाद में महारानी जैसिका से कहती है, “आपने जो कहा उसके बारे में हमने सोचा, यहां के लोगों को बदलाव नहीं पसंद है। खासकर तब जब बदलाव एक औरत ला रही हो क्योंकि यहां औरतों के लिए अनकहे रूल्स है, जिसको आप पहले भी तोड़ चुकी हैं। अगर आपको मैं इंकार कर दूँ तो जो जैसा चल रहा था वैसा ही चलते रहेगा। अगर हाँ कह दूँ तो शायद आने वाला कल अलग हो और उन लाखों लड़कियों को इस सवाल का जवाब मिल जाएगा कि वो क्या बनना चाहती है।” महारानी इतनी भावुक हो जाती है कि वह अपनी कहानी भी बताना चाहती है। 

ये देखने में बहुत शानदार लगता है की यह कहानी केवल कहानी नहीं है, उसमें थोड़ी सी सच्चाई भी है। फिल्म की पूरी टीम ने शूटिंग के लिए गाँव में एक स्केटिंग पार्क बनवाया और उसको शूटिंग पूरी करने के बाद गाँव के बच्चों के सपुर्द कर दिया। आज वहां बच्चे न केवल प्रैक्टिस करते हैं बल्कि चैन्पियनशिप्त में कम्पीट भी करने जाते है। फिल्म के मेकर्स ने गाँव में बदलाव लाने के लिए इंतजार नहीं किया, उसकी शुरुआत भी कर दी। यह बात इस फिल्म को खास बनाती है, पर इसकी जानकारी आखरी मे मिलती है। 


मूल चित्र: Still from Skatergirl, YouTube

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