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हक़ चाहिए तो फ़र्ज़ भी निभाना पड़ेगा…

"हाँ, ये पैसे हम जिया के नाम से फिक्स कर देंगे, ताकि कल को जब उसके ससुराल वाले हमसे अपनी बहू का हिस्सा मांगे तो हम भी दे पायें।"

“हाँ, ये पैसे हम जिया के नाम से फिक्स कर देंगे, ताकि कल को जब उसके ससुराल वाले हमसे अपनी बहू का हिस्सा मांगे तो हम भी दे पायें।”

रुकमणी की शादी मुकेश से हुई थी। ससुराल में सास गौरी, ससुर कन्हैया लाल और एक बेटी जिया है। मुकेश का बिज़नेस अच्छा चल रहा था, इसलिए घर में कोई कमी नही थी।

रूकमणी के मायके में मम्मी पापा छोटा भाई रमन, भाभी शेफाली और एक भतीजी पिंकी है। पापा रिटायर्ड हो गए थे। रमन और शेफाली नौकरी करते हैं, जिससे घर ठीक ठीक चल रहा था।

बढ़ती उम्र में घुटनों में दर्द के कारण रूकमणी की मम्मी को चलने में तकलीफ़ होने लगी। शेफाली का ऑफिस दूर था जिसके कारण घर आने में देर हो जाती थी। इसलिए वह अपना घर बेच कर और कुछ लोन ले कर शेफाली के ऑफिस के पास घर लेने की सोच रहे थे। जिससे शेफाली जल्दी घर आ सके, मम्मी को आराम मिल पाये और वह पिंकी के साथ भी वक्त बिता सके।

घर बेचने की बात उन्होंने रूकमणी के ससुराल में भी बताई ताकि वह भी कोई अच्छा लेनदार ढूंढ सके। लेकिन उन्हें क्या पता था कि जिस बात को वह सरलता से कह गये वही बात रूकमणी के लिए परेशानी का कारण बन जायेगी।

रूकमणी के सास ससुर घर बेच कर मिलने वाले पैसों पर उसका हक मागंने की बात करने लगे।

“अब तो बाप की सम्पत्ति में बेटी का भी कानूनी हक है। रूकमणी तू भी अपने पापा के जीते जीते अपना हिस्से के पैसे मांग ले”, गौरी जी बोलीं।

“मम्मी जी पापा ने मुझे पढ़ा लिखा कर मेरी शादी में अच्छा खासा दहेज दे कर मेरा हक पहले ही दे दिया है, मैं अब उनसे कुछ नही मागूंगी।”

जब रूकमणी नहीं मानी तो गौरी जी और कन्हैया लाल जी ने मुकेश को अपनी बातों में बहला कर उसमें दबाव बनवाना शुरू कर दिया।

रूकमणी ने कई बार मुकेश को समझाने की कोशिश की कि हमारे पास भगवान का दिया सब है फिर हम क्यों उनसे मांगे पर मुकेश नहीं माना। वह रूकमणी पर बात बात पर गुस्सा होने और मायके का पक्ष लेने का ताना देने लगा।

रूकमणी इन सब बातों से थक चुकी थी और इस समस्या का स्थाई हल चाहती थी।

एक रात सब बैठ कर खाना खा रहे थे तो रूकमणी बोली, “मम्मी जी, मैं पापा से अपना हक मागंने के लिए तैयार हूँ पर आपको मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी।”

अपनी जीत देख कर गौरी, कन्हैया लाल जी और मुकेश के चेहर पर चमक आ गई।

“क्या शर्त है?” मुकेश ने पूछा।

“रमन और शेफाली नौकरी करते हैं, पर जब मम्मी, पापा की तबीयत खराब होती है तो रमन और शेफाली में से एक को छुट्टी ले कर उनकी देखभाल करनी पड़ती है। उनकी तरह हम में से एक को उनकी तबीयत खराब होने पर वहाँ रह कर उनकी देखभाल करनी होगी। उन्हें हर महीने चैकअप के लिए ले जाना पड़ेगा, दवाई लानी पड़ेगी और रिश्तेदारों के घर शादी ब्याह में लाना ले जाना पड़ेगा। मतलब रमन और शेफाली की तरह उनकी देखभाल करनी पड़ेगी।”

“ये तो तुम्हारे भाई, भाभी का फर्ज है, मुकेश क्यों उनकी देख-रेख करेगा?” गौरी जी गुस्से में बोली।

“मम्मी जी, हक चाहिए तो फर्ज भी निभाना पड़ेगा। जब हम उनकी परेशानियों और तकलीफों में साथ नही दे सकते तो हक कैसे मांग सकते हैं? एक बात और रमन, शेफाली अपनी सैलरी से घर चलाते हैं, इस नाते मुकेश को अपनी कुछ सैलरी उन्हें घरखर्च के रूप में देनी पड़ेगी। ये मत सोचियेगा कि अभी पैसों के लिए हाँ कर देते हैं, बाद में अपनी बात से मुकर जायेंगे। मैंने जो कहा वह करना भी पड़ेगा।”

तीनों स्तब्ध हो कर रूकमणी को देखने लगे।

“अगर आपको मंजूर हो तो मुझे बता देना। मैं कल ही पापा से अपना हिस्सा मांग लूंगी। और हाँ ये पैसे हम जिया के नाम से फिक्स कर देंगे, ताकि कल को जब उसके ससुराल वाले हमसे अपनी बहू का हिस्सा मांगे तो हम भी दे पायें।”

इतना कह कर अदिति सोने चली गई। बहुत दिनों बाद वह चैन से सोई थी। नींद भी इतनी गहरी आई कि सुबह आंख खुली। सुबह उठी सब के लिए नाश्ता बनाया, सारा काम किया और तैयार होने अपने कमरे में चली गई। आज उसके माथे पर कोई शिकन नहीं थी।

अपने को शीशे में देख खुद ही हैरान थी। इतना आत्मविश्वास, स्वभिमान उसमें पहले कभी नही था।

मुकेश और सास ससुर बैठ टीवी देख रहे थे।

“चलना नहीं है क्या?”

“कहाँ?”

“पापा के पास अपना हक लेने।”

“मैं सोच रहा था क्यों उनके मन में अपने लिए नाराजगी लें। उनकी मेहनत की कमाई है वो जो मर्जी करें। और फिर कहीं तुम्हारा भाई बुरा मान गया तो तुम्हारा मायका भी छूट जायेगा।”

रूकमणी अपनी जीत पर मुस्काई पर दूसरे ही पल कड़क आवाज में बोली, “पक्का आप लोगों को कुछ नहीं चाहिए?”

“बोला तो कुछ नहीं चाहिए।”

“ठीक है, अब इस बारे में कोई बात नहीं होगी।”

जिया अपनी मम्मी का नया रूप देख बहुत खुश थी…

मूल चित्र : Still from Senco Gold /TVC DesiKaliah E7S85, YouTube( for representational purpose only)

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