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हाँ, अब मैं अपनी पहचान खुद बनाऊँगी …

पहचान तो उसी दिन बदल गयी थी जिस दिन रजनी से मिसेज नायर बनी थी। इसी नाम से तो जानते है सब मुझे। मेरा नाम रजनी है यह तो मैं भी भूल गयी थी।

पहचान तो उसी दिन बदल गयी थी जिस दिन रजनी से मिसेज नायर बनी थी। इसी नाम से तो जानते है सब मुझे। मेरा नाम रजनी है यह तो मैं भी भूल गयी थी।

“अरे रजनी तुम यहाँ?”

बाजार में रजनी ने अपना नाम सुना तो उसको विश्वास नहीं हुआ कि उसको इस शहर में कौन नाम से बुला रहा है। इतने वर्षों से आ रही है बाजार में लेकिन सब उसको मिसेज़ नायर के नाम से ही जानते हैं।

पीछे मुड़कर देखा तो बचपन की सहेली सीमा खड़ी थी, “अरे सीमा तुम यहाँ कैसे? कब आयी? कहाँ थी इतने दिन कोई खबर नहीं। शादी के बाद तो तुम गायब ही हो गयी।” रजनी ने सीमा से कहा।

”बस भी करो सब कुछ एक बार में ही पूछ लोगी या सांस भी लेने दोगी कि नहीं।” दोनों हंसने लगी।

“अब क्या यही खड़े बाते करोगी या कुछ चाय कोफी पिलाओगी।” सीमा ने रजनी से कहा।

“अरे हां मै भी ना कितनी बेवकूफ हूँ, सही कहते है मि.नायर मुझे किसी बात की समझ नहीं है। चल ना मेरा घर यहां पास ही है वहीं चल कर इमतियान से बैठ कर बातें करेंगे वैसे भी आज मै अकेली हूँ घर पर।” इतना कह कर रजनी ने अपने ड्राइवर को गाड़ी लाने का इशारा किया।

”वाह रजनी तुमने घर तो बहुत अच्छा सजा रखा है।” सीमा ने रजनी का घर देखते ही कहा।

“कहां सीमा तुम भी ऐसे ही तारीफ कर देती हो। मि. नायर को तो बिल्कुल पसंद नहीं आता हमेशा कोई ना कोइ कमी निकालते रहते है।” रजनी कॉफी बनाने लगी।

“सीमा तूने बताया नहीं तुम यहां कैसे?” 

“मेरे पति का अभी पिछले महीने ही यहां ट्रांसफर हुआ है। मैं दो दिन पहले ही बच्चों को लेकर आयी हूँ। घर का राशन खरीदने ही बाजार आयी थी तुमको देखा तो विश्वास नहीं हुआ कि अजनबी शहर मे कोई इतना जल्दी अपना मिल जायेगा।”

“एक बेटा और एक बेटी है। दोनों ही अपनी पढाई में बीजी रहते है तो मैने भी अपना पुराना पेंटिंग का शौक फिर से शुरु कर दिया। मनीष (सीमा के पति) बहुत सुलझी हुइ सोच के है तो कभी कोई भी दिक्कत नहीं आती। ईश्वर की दया से सब अच्छा है बस एक ही इच्छा है अपनी आर्ट गैलरी खोलने की। यही छोटी सी कहानी है मेरी जिंदगी की।”

“तुम सुनाओ बच्चे कहां है? जीजाजी कैसे है? बहुत प्यार करते होंगे ना तुमको। करेंगे भी क्यों नहीं कोलेज की सबसे सुन्दर लड़की से शादी जो करी है।पूरा कोलेज मरता था ना तुझसे बात करने को तुम थी कि कीसी को घास नहीं डालती थी।” 

रजनी बस सीमा की बातों पर मुसकरा देती है।

”दो बेटे है दोनों ही हास्टल में रहते है। मि.नायर को लगता है कि यहां रहकर वो हम जैसे ही बनकर रह जायेंगे। इसलिए बच्चों को हास्टल में पढा रहे हैं। साल मे एक बार आते है तब भी अपने में ही बीजी रहते है। मां तो सिर्फ खाने के समय याद आती है। मि.नायर को अपने काम से फुर्सत नहीं घर भी उनके लिए ऑफिस ही है। महीनों बीते अब तो याद भी नहीं कि कभी साथ बैठकर चाय कब पी थी हमने।”

“रजनी तुम अपनी डांस क्लास क्यों नहीं शुरु करती। कोलेज में कितना अच्छा डांस करती थी। हर कोम्पिटिशन में फ़र्स्ट आती थी। इस तरह क्यों अपने टैलेंट को बरबाद कर रही हो? फिर तुम यही तो चाहती थी, अपनी डांस एकैडमी खोलना। अब जब सब अपनी अपनी जिंदगी में बीजी है तो तुम खुद को क्यों नहीं अपनी पहचान देती।”

“पहचान!” रजनी हंसते हुए बोली।

“वो तो उसी दिन बदल गयी थी जिस दिन रजनी से मिसेज नायर बनी थी। इसी नाम से तो जानते है सब मुझे। मेरा नाम रजनी है यह तो मैं भी भूल गयी थी। घर मे बाहर सबके लिए मिसेज नायर ही तो बनकर रह गयी। मि.नायर को आज तक मेरे सब काम में गांव का ढंग नजर आता है क्योंकि मैं छोटे से गांव मे पली बढ़ी हूँ। मुझे बड़े लोगों के बीच उठने बैठने का ढंग नहीं है। इसलिए उनको मुझे अपने साथ ले जाने में शर्म आती है क्योंकि मैं उनकी हाई प्रोफाइल सोसायटी के तौर तरीके नहीं जानती। अब तो मुझे भी यही लगता है मैं रजनी हूँ ही नहीं जो आकाश में उड़ना चाहती थी, नदियों के संग गाना चाहती थी, मोर की जैसे थिरकना चाहती थी…”

बोलते बोलते रजनी चुप हो गयी।

सीमा रजनी को ऐसे जिंदगी के प्रति हताश देखकर बोलने लगी, “रजनी जिंदगी हमेशा दो मौके देती है। अभी भी बहुत देर नहीं हुई है तुम अपनी डांस क्लास शुरू करो, मैं तुम्हारी मदद करूंगी। इतना बड़ा घर है किसी भी एक कमरे को तूम सिर्फ अपनी डांस क्लास बनाओ। वैसे भी मि.नायर तो पूरा दिन घर पर रहते नहीं कि उनको कोई प्रोबल्म होगी।”

“नहीं सीमा मै ऐसा नहीं कर सकती अगर मि.नायर को पता चल गया तो बहुत गुस्सा होंगे।” रजनी ने कहा।

“कॉलेज में तो बहुत बहादुर बनती थी याद है। एक बार मूवी देखने के लिए कोलेज की क्लास बंक करी थी और पकड़े जाने पर तुमने ही सबको बचाया था। तो फिर अब क्यों नही कर सकती रजनी। तुम कर सकती हो बस थोड़ी हिम्मत की जरुरत है।”

“मैं कुछ नहीं सुनने वाली कल से तुम अपनी डांस की प्रेक्टिस शुरु करो फिर देखो कैसे तुम्हारे अंदर की रजनी तुमसे क्लासेज शुरू करवाती है। अच्छा रजनी अब बहुत देर हो गयी मनीष का भी घर आने का समय हो गया चलती हूँ। पर तुम मेरी बातों क याद रखना। मैं कल फिर आऊंगी।” कह कर सीमा चली गयी थी, लेकिन जैसे रजनी अब भी सीमा की बाते सुन रही थी।

सारी रात रजनी सीमा की बातो को सोचती रही, “क्या सच में मैं भी अपनी डांस क्लास शुरु कर सकती हूँ? मुझे भी मेरे सपने जीने का हक है।” सोचते सोचते कब नींद आ गयी रजनी को पता नहीं चला।

सुबह सोकर उठी तो सूरज की किरणों को देखकर रजनी ने भी निश्चय कर लिया था कि अब वो भी अपनी खुद की पहचान बनाकर रहेगी। जहां कोई उसे मिसेज नायर के नाम से नहीं बल्कि रजनी के नाम से पहचाने।

मैं कौन हूँ? पूछने पर गर्व से कह सके की रजनी नाम है मेरा यही मेरी पहचान है।


मूल चित्र: Still from Short Film Story Of A House Wife/Half Tickets, YouTube

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