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क्या बहू बुढ़ापे में हमारी सेवा करेगी?

रोहन के पिता ने नाराज होते हुए कहा, “तुम समझती नहीं हो, शहर की लड़की है, ऊपर से नौकरी भी करती है, वह बुढ़ापे में हमारी सेवा कभी नहीं करेंगी।”

रोहन के पिता ने नाराज होते हुए कहा, “तुम समझती नहीं हो, शहर की लड़की है, ऊपर से नौकरी भी करती है, वह बुढ़ापे में हमारी सेवा कभी नहीं करेंगी।”

रोहन और रिया इंजीनियरिंग कॉलेज से ही एक दूसरे से प्यार करते थे, अब जब दोनों नौकरी करने लगे तो शादी करना चाहते थे। रिया के मम्मी पापा को रोहन बहुत पसंद था, वह इस शादी के लिए खुशी खुशी तैयार थे। 

जब रोहन ने अपने घर में रिया से शादी करने के बारे में बात की, तब उसकी माँ और बड़ी बहन भी इस शादी के लिए मान गई थी। पर जब माँ ने रोहन के बाबूजी से शादी के बारे में बताया, तो वह इस शादी के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे।

उन्होंने नाराज होते हुए कहा, “तुम समझती नहीं हो रोहन की माँ, शहर की लड़की है, ऊपर से नौकरी भी करती है, वह बुढ़ापे में हमारी सेवा कभी नहीं करेंगी। मैंने तो सोचा था, अपने इकलौते बेटे की शादी यही गाँव समाज की कोई पढ़ी-लिखी लड़की देख कर करूंगा, जो जरूरत पड़ने पर हमारे साथ भी रहेगी।” 

तब रोहन की माँ ने कहा, “हमारे लिए बेटे की खुशी से ज्यादा जरूरी कुछ नहीं है। हमें हमारे बेटे के पसंद की लड़की से ही उसकी शादी करानी चाहिए। आखिर पूरी जिंदगी बेटे बहू को एक साथ गुजारनी हैं, हम कितने दिन जिएँगे। और फिर बहू कहीं से भी लाओ, उसके दिल में हमारे लिए प्यार और सम्मान होगा, तभी वह बुढ़ापे में हमारी सेवा करेगी।”

आखिर माँ के समझाने पर बाबूजी शादी के लिए मान गये। 

कुछ महीनों बाद जब रोहन और रिया की शादी हो गई, तब रिया कुछ दिन रोहन के साथ ससुराल में रही। सास और ननंद का व्यवहार रिया के साथ बहुत अच्छा था, इसलिए रिया बहुत खुश थी। जब रोहन और रिया की छुट्टियां खत्म हो गई, तब वह दोनों शहर वापस चले गये। पर तीज त्योहारों पर अक्सर घर आते थे।

एक दिन जब रोहन ऑफिस में था, तब उसकी माँ का फोन आया, उन्होंने बताया, “तेरे बाबूजी की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, उन्हें बड़ी घबराहट थी और पूरा शरीर पसीने से डूब गया था। मैंने तेरी दीदी को फोन किया, तब तेरे दीदी जीजाजी आकर डॉक्टर के पास ले गए।”

तब रोहन ने पूछा, “माँ बाबूजी की तबीयत अब कैसी है, मुझे फोन क्यों नहीं किया?”

माँ ने कहा, “अब वह ठीक है बेटा, तुम्हें फोन इसलिए नहीं किया कि तुम परेशान हो जाओगे, और तुम इतनी दूर हो कि इतनी जल्दी आ भी नहीं सकते थे। पर अब दिक्कत यह है कि, डॉक्टर ने तेरे बाबूजी को शहर के किसी बड़े अस्पताल में दिखाने के लिए कहा है।”

रोहन ने कुछ सोचते हुए कहा, “माँ आप लोग बाबूजी का ख्याल रखो। अभी मैं ऑफिस में हूँ, थोड़ी देर में घर पहुंच कर फोन करता हूँ।” 

उसके बाद रोहन बाबूजी की तबीयत को लेकर बहुत परेशान था। जब वह घर पहुंचा, तब रिया ऑफिस से आ चुकी थी। रोहन को उदास देख कर रिया ने पूछा, “इतने उदास क्यों दिख रहे हो, ऑफिस में कुछ हुआ क्या?”

तब रोहन ने कहा, “नहीं यार, आज सुबह माँ का फोन आया था, बाबूजी की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, अभी तो वह बिल्कुल ठीक है, पर डॉक्टर ने उन्हें शहर के किसी अच्छे अस्पताल में दिखाने के लिए बोला है। समझ में नहीं आ रहा है क्या करूँ, यहां बुलाएँगे तो हम दोनों की नौकरी है, उनका ख्याल कैसे रख पाएंगे।”

तब रिया ने कहा, “तुमने मुझे फोन करके यह बात क्यों नहीं बतायी, खुद इतना परेशान हो। तुम ऐसा करो माँ बाबूजी को यहां बुला लो, या फिर उन्हें लेने चले जाओ, वह दोनों अकेले कैसे आएंगे। और परेशान ना हो, मैं उनके साथ रहूंगी।”

तब रोहन ने उसे देखते हुए कहा, “कितने दिन छुट्टी लेकर घर में रहोगी?”

रिया ने कहा, “रोहन आजकल हम दोनों बच्चे के बारे में सोच रहे हैं, मैंने तुमसे पहले ही कहा है, कि जब मैं प्रेग्नेंट हो जाऊंगी, तब मैं नौकरी छोड़ दूंगी क्योंकि मैं प्रेग्नेंसी के समय को और बच्चा होने के बाद के भी हर खूबसूरत पल को जीना चाहती हूँ। और फिर जब तक बच्चा इतना बड़ा और समझदार नहीं हो जाएगा कि वह स्कूल जाने लगे तब तक मैं नौकरी के बारे में नहीं सोचूगी।” 

“रोहन आखिर नौकरी मुझे कुछ दिन बाद छोड़नी ही है, तो आज ही क्यों नही, आज हमारे अपनों को हमारी जरूरत है। वैसे भी कहते हैं, माँ बाप बुढ़ापे में छोटे बच्चे के समान हो जाते हैं, उन्हें भी उतने ही प्यार और देखभाल की जरूरत होती है। और फिर इस उम्र में हम उन्हें अकेले नहीं छोड़ सकते हैं, हमारे साथ रहेंगे तो खुश रहेंगे।”

यह सुनकर रोहन की आंखों में आंसू भर आये, रिया को गले लगा कर बोला, “रिया तुम बहुत अच्छी हो और तुम्हारा दिल भी बहुत सुंदर है, मुझे अपने प्यार पर बहुत गर्व है।”

तब रिया हंसते हुए कहती है, “अच्छा ज्यादा मक्खन ना लगाओ, जाओ माँ को फोन कर दो, कि वह यहां हमेशा के लिए रहने के हिसाब से कपड़े वगैरह रख लें।” 

जब रोहन ने अपनी माँ को फोन करके यह सब बताया और आने की तैयारी करने के लिए बोला, तब माँ रोने लगी और रोहन के बाबूजी से बोली, “देखा मेरी बहू कितने बड़े दिल की है, उसके दिल में हम सब के लिए जगह हैं। उसे सिर्फ अपनी ही नहीं हमारी भी परवाह है। हम दोनों बहुत सौभाग्यशाली हैं, जो हमें इतनी अच्छी बहू मिली हैं।”

मूल चित्र: Sprinkle of wonders via Youtube

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