कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

क्या होगा मेडल का जब खिलाड़ी अपराधी हो?

मैं ये नहीं जानती की सुशील कुमार सही हैं या ग़लत पर ये खबर देखने के बाद मेरे जैसे कई लोगों को निराशा ज़रूर हुई होगी। मेरे लिए वो हीरो थे। 

मैं ये नहीं जानती की सुशील कुमार सही हैं या ग़लत पर ये खबर देखने के बाद मेरे जैसे कई लोगों को निराशा ज़रूर हुई होगी। मेरे लिए वो हीरो थे। 

हर नागरिक में देश के खिलाड़ियों के लिए देशभक्ति सी भावनाएं होती हैं। हर नागरिक अपने खिलाड़ियों में खुद को जीता है। उसकी जीत में अपनी जीत और उसकी हार में अपनी हार। हर खिलाड़ी अपने जोश और जज्बे के साथ हर बाधाओं को पार कर जीत की लकीरों को पार करता है। साथ ही साथ अपने देश का नाम भी रौशन करता है।

पर क्या हो जब आपको पता चले आपका रियल हीरो जिसे आप भगवान सा मान रहे हैं, वो किसी अपराध में लिप्त हो।

देश में कितने युवा हैं जो खिलाड़ियों को देखकर अपने को भी उत्साहित करते हैं। एक खिलाड़ी किसी का भी रोल माडल होता है, क्यूंकि वह भी समान परिवेश से आया होता है। हम जब भी ओलंपिक में राष्ट्र ध्वनि सुनते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं, जो हर खिलाड़ी का सपना होती है। सभी चाहते हैं देश का नाम रौशन कर राष्ट्रीय गीत की ध्वनि के साथ देश के लिए जीत समर्पित करें।

पर क्या हो जब वही रोल माडल या खिलाड़ी अपराध करे। कितनों के सपने तो यही देखकर बिखर जाते हैं।

अभी हालिया ही ओलंपिक में रजत और कांस्य पदक जीतने वाले सुशील कुमार का नाम एक आपराधिक घटना में सुनने को आ रहा। सुशील कुमार ने कुश्ती को एक नई पहचान दी थी। उनको पद्म श्री, खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड तक से नवाजा गया है।

पर गत कुश्ती दिवस के मौके पर जब उनकी गिरफ्तारी हुई। तो लाखों लोगों के दिलों में ये शूल सा चुभ गया। मैं खुद एक कुश्ती प्रेमी हूं और अन्य खेलों की तरह मुझे इसको देखने में भी चाव है। पर ये खबर देखने के बाद मेरे जैसे कई लोगों को निराशा ज़रूर हुई होगी।

मैं ये नहीं जानती की सुशील कुमार सही हैं या ग़लत। उसके लिए कोर्ट और हमारे माननीय जज हैं। पर शायद अपने हीरो सदृशय खिलाड़ी को ऐसे देखना किसी को भी अच्छा नहीं लग रहा होगा।

भारत में यह पहली बार नहीं जब कोई खिलाड़ी आपराधिक मामलों में लिप्त पाया गया हो। इससे पहले भी कई खिलाड़ियों का नाम आपराधिक लिस्ट में चुका है, जैसे – एस. श्रीसांत , तनवीर हुसैन, इत्यादि।

पर सवाल यहां ये उठता है कि ओलंपिक खिलाड़ियों के मेडल का। क्या ऐसे आपराधिक मामलों के सत्यापित होने के बाद मेडल छीन लिए जाते हैं। या सभी मेडल यथावत जीते गए खिलाड़ी के साथ वैसे ही बने रहते हैं।

तो मैंने अपनी जिज्ञासा के लिए इस बारे में पढ़ा और जो जानकारी आई वो ये थी कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने अब तक केवल उन एथलीटों से पदक छीने हैं, जिन्होंने प्रतियोगिता के दौरान डोपिंग या अन्य नियमों का उल्लंघन किया है. ऐसे में सुशील कुमार हत्या के मामले में दोषी साबित हो भी जाते हैं, तो उनके ओलंपिक मेडल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

क्योंकि ओलंपिक का संविधान सिर्फ खेल के समय और उस समय उपस्थिति दर्ज कराने वाले खिलाड़ियों पर लागू होता है। उसके बाद या बाहर क्या होता है इसके लिए अभी तक कुछ भी नियम नहीं बना।

पर प्रश्न ये है कि बाकी राष्ट्रीय पुरस्कारों का क्या होगा। क्या वह भी ओलंपिक मेडल की तरह वापिस नहीं लिए जाएंगे। तो जो जानकारी हासिल की है उसमें यह आया कि…

पद्म पुरस्कार योजना में कहा गया है कि राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति के अलंकरण को रद्द कर सकते हैं और उसके बाद उसका नाम रजिस्टर से मिटा दिया जाएगा और उसे अलंकरण और सनद को सरेंडर करना होगा। लेकिन राष्ट्रपति अलंकरण और सनद को बहाल करने और रद्द करने और रद्द करने के आदेश को वापस लेने के लिए सक्षम हैं।

यह स्थिति तब ज्यादा साफ या स्पष्ट होगी जब अपराध साबित होंगे। फिलहाल खेलप्रेमियों के लिए तो यह पूरी तरह से निराशाजनक बात है। सभी चाहते हैं कि उनके पसंदीदा खिलाड़ी खेल में अच्छा प्रदर्शन करते दिखें ना कि अन्य आपराधिक मामलों में।

आशा करती हूं आपको यह लेख और लेख से जुड़ी बातें पसंद आई होंगी। किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।

मूल चित्र : PTI/indiatv.in 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

80 Posts | 398,471 Views
All Categories