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प्रिया का दिमाग तेजी से दौड़ रहा था। आखिर उसे एक आइडिया आ ही गया। रोज़ दोपहर में नाश्ते के बाद वो और माँ जी छत पर जाते हैं।
“प्रिया! आ जा बेटा धूप में सर्दी की गुनगुनी धूप कितनी सुहानी लग रही। इसी पर मेरा एक और गीत गुनगुनाने का कर रहा। चल सुनाती हूँ तुझे ठुमरी, बहुत ही दिल को छूने वाली है।”
वंदना जी का गुनगुनाना जैसे ही बंद हुआ प्रिया उनके गले लग गई, “माँ! आप क्यूँ नहीं किसी आडिशन में जाती हो। इतना बड़ा टैलेंट है साक्षात सरस्वती विद्यमान हैं आपके गले में।”
“तुझे तो पता है ना प्रिया तेरे ससुर को ये सब पसंद नहीं। इसलिए बस घर में ही अपने मन को प्रसन्न कर लेती हूँ।”
प्रिया के मन में हमेशा ये बात खटकती थी। आखिर क्यूँ माँ गा नहीं सकतीं और अब तो उनकी सासू माँ भी नहीं रहीं तो पापा जी को किस बात का डर।
प्रिया ने अपने पति, अभिनव से भी बात की इस विषय पर।
“प्रिया! हम इस विषय पर कई बार बात पर चुके हैं। क्यों तुम बार-बार इस बात पर आकर अटक जाती हो। मैं खुद भी चाहता हूँ कि माँ अपने टैलेंट को बाहर लाएं। पर शुरू से ही उन्होंने आगे बढ़ना नहीं चाहा। क्योंकि दादी माँ को बहू का गाना गाना पसंद नहीं था। सो बाबूजी भी उनके बाहर गाने के विरोधी हो गए। तब से सब ऐसे ही चल रहा।”
“पर अभिनव अब तो दादी भी नहीं रहीं। कब तक माँ अपनी रूचि को यूं घुटते रहेंगी। क्या हम उनका साथ नहीं दे सकते हैं। एक बार पापा जी से बात तो करके देखो आप।”
“बस करो प्रिया क्यूँ घर की शांति को बिगाड़ने का सोच रही। खामखां पापा की नाराज़गी कौन झेलेगा। मुझसे नहीं होगा आफिस की टेंशन कम है जो घर की भी झेलो। मुझे तो तुम इन सबसे दूर रखो।”
प्रिया ने तो अब ठान रखी थी कोई माँ जी को सहयोग दे या ना दे। पर मैं उनकी छुपी प्रतिभा को सबके सामने लाऊँगी।
प्रिया ने काफी सोचा आखिर कैसे माँ की प्रतिभा सबके सामने लाऊँ। फ़िर प्रिया को दिमाग आया क्यूँ ना माँ के गाने रिकार्ड कर उसे इंटरनेट पर डाले। लेकिन माँ इसके लिए तैयार कहाँ होंगी।
प्रिया का दिमाग तेजी से दौड़ रहा था। आखिर उसे एक आइडिया आ ही गया। रोज़ दोपहर में नाश्ते के बाद वो और माँ जी छत पर जाते हैं। सभी के जाने के बाद उसने चुपके से कैमरा छत पर लगा दिया। रोज़ की तरह माँ जी गुनगुनी धूप में अपनी आवाज़ का जादू बिखेर रहीं थीं। जो प्रिया के कैमरे में रिकार्ड हो रहा था।
प्रिया ने ऐसी ही दो-तीन रिकार्डिंग कर इंटरनेट पर डाल दिया। रातों रात वंदना जी के लिए लाखों लाइक्स आ गए और वो इंटरनेट सेन्सेशन बन गईं। सभी को उनके गाए गाने बहुत पसंद आने लगे।
एक दिन इतवार वाले दिन जब खाने की मेज़ पर सब बैठे थे तो प्रिया ने माँ जी का गाया गाना बजा दिया। सभी चकित रह गए और तो और बाबूजी से तो कुछ बोला ही ना गया।
माँ जी की आंखों में आँसूँ देख ससुर तारक जी ने उन्हें गले लगा लिया, “मुझे माफ़ कर दो वंदना तुम्हारी प्रतिभा को सबके सामने ना ला सका।माँ को कभी रास नहीं आया कि उनकी बहू गाना गाए। और उनकी बातों का विरोध करने की हिम्मत हममें भी ना थी। वो तो हमारी बहू ने आज तुम्हारे गाए सुंदर गीत को सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।”
“प्रतिभा तो सबके सामने आ चुकी हैं पापा जी।” प्रिया ने कहा।
“वो कैसे! बहू?”
“वो ऐसे पापा जी, माँ के गाए हर गीत को मैं इंटरनेट पर डाल देती थी। जिससे उनके सुनने वाले करोड़ों फैस हो गए हैं। अब समय आ गया है जब माँ खुलकर अपनी प्रतिभा को सबके सामने दिखाएं।”
“सच कहा बहू! जो हम कल ना कर सके, आज तो कर सकते हैं ना भविष्य सुंदर करने के लिए।” और उस दिन के बाद वंदना जी ने अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ाते पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हमारे आसपास कितनी प्रतिभाएं ऐसे ही दम तोड़ देती हैं बिना किसी सहयोग के। घर के माहौल के कारण महिलाएं बोल नहीं पातीं और एक दायरे में सिमट कर रह जाती हैं। कृपया प्रतिभावान लोगों की सहायता करें और उनका टैलेंट बाहर लाए।
मूल चित्र: Still from Moiz Gurr 2021 (TVC), YouTube
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