कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

आपको अपने बच्चों के सामने नहीं लड़ना चाहिए…

वैसे आप दोनों तो काफ़ी पढ़े-लिखे दिखते हैं, आपसे तो ऐसी भाषा सीखी नहीं होगी, क्यों?" उन्होंने दोनों के चेहरे को व्यंग्यात्मक मुस्कान से देखा।

वैसे आप दोनों तो काफ़ी पढ़े-लिखे दिखते हैं, आपसे तो ऐसी भाषा सीखी नहीं होगी, क्यों?” उन्होंने दोनों के चेहरे को व्यंग्यात्मक मुस्कान से देखा।

रीमा, शांतनु, उन दोनों की नन्ही गुड़िया श्रुति, गुड्डा बेटा रोहन और अम्मा जी, कुल मिलाकर पाँच लोग रहते थे शान्ति निवास में। उस शान्ति निवास में जो सिर्फ़ नाम का ही शान्ति निवास था।

कहने को तो घर में किसी चीज की कमी नहीं थी। ख़ूबसूरत नक्काशीदार इम्पोर्टेड सोफे, ईरानी क़ालीन, झूमर, दीवारों पर लगे हुए महंगे पेंटिंग्स घर की भव्यता बयां करते थे पर फिर भी वो घर सिर्फ़ मकान था क्यूंकि उस घर में शान्ति और सुकून न था।

पति-पत्नी में हमेशा अनबन रहती और उनके झगड़ों से बच्चे और शांतनु की माँ, दोनों परेशान रहते। शांतनु की माँ दोनों को समझाती भी थीं पर दोनों पर कोई असर न होता।

रीमा और शांतनु दोनों एक आईटी फर्म में मैनेजर थे। पैसे की तो कोई कमी न थी पर कमी थी तो सामंजस्य की। शादी के दस वर्ष बीत जाने के बाद भी दोनों अपने ज़िम्मेदारियों से अनजान थे।

इन दस वर्षों में दोनों दो प्यारे बच्चों के माँ बाप तो बन गए पर दोनों माँ बाप की ज़िम्मेदारी निभाने में असफल हो रहे थे। दोनों के बीच आये दिन झगड़े होते और दोनों में काफ़ी कहा-सुनी होती जिसमे कई दफ़ा दोनों अभद्र और अमर्यादित भाषा का भी प्रयोग करते।

इन सब का नतीजा यह हुआ की श्रुति डरी सहमी रहने लगी और रोहन वो उग्र होता चला गया। दोनों के अहम् का टकराव उन दोनों बच्चों की मानसिक सेहत पर काफ़ी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा था।

एक दिन रीमा को रोहन के स्कूल के प्रिंसिपल का मैसेज आया कि रोहन को स्कूल से सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही प्रिंसिपल ने दोनों पति-पत्नी को स्कूल में मिलने को भी बुलाया। रीमा के तो होश उड़ गए। अब ये 7 साल के बच्चे ने ऐसा क्या कर दिया की स्कूल वालों ने उसे सस्पेंड कर दिया। रीमा ने सारी बातें शांतनु को बताई और फिर दोनों दूसरे दिन रोहन के स्कूल पहुँच गए।

“देखिये इस बार तो हमने सिर्फ़ इसे सस्पेंड किया है। अगर ये इसी तरह स्कूल में अभद्र भाषा का प्रयोग करता रहा तो हमें डर है कि हम इसे इस स्कूल में रख नहीं पाएँगे।  मुझे ताज्जुब हो रहा है कि आख़िर उसने इतने अभद्र शब्द सीखे कहाँ से? वैसे आप दोनों तो काफ़ी पढ़े लिखें दिखते हैं, आपसे तो ऐसी भाषा सीखी नहीं होगी, क्यों?” ये कह कर प्रिंसिपल मैडम ने दोनों के चेहरे को व्यंग्यात्मक मुस्कान से देखा।

दोनों पति पत्नी प्रिंसिपल की बातें सुन कर झेंप गए।

“नहीं नहीं! वो शायद गली मोहल्ले के बच्चों से उसने ये सब सीखा होगा। हम… हम… हमें तो ऑफ़िस के कामों से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती”, शांतनु ने सूखे हलक से कहा।

“हम्म… वही तो मैं कह रही हूँ… शायद आपके पास अपने बच्चे के लिए वक़्त नहीं है। पर मिस्टर एंड मिसेज़ शांतनु ये आप दोनों की ज़िम्मेदारी है कि आप अपने बच्चे पर ध्यान दें। मैं उम्मीद करती हूँ कि आप इस बात का ध्यान रखेंगे कि रोहन ऐसी हरकत दोबारा न करे क्यूंकि उसकी वजह से दूसरे बच्चे भी बिगड़ जाएँगे”, प्रिंसिपल मैडम ने अपनी बात ख़त्म करते हुए कहा।

“ठीक हैं मैडम, हम वादा करते हैं कि अब आपको शिकायत का मौक़ा नहीं मिलेगा”, कह दोनों पति पत्नी प्रिंसिपल मैडम के ऑफ़िस से निकल गए।

रीमा और शान्तनु दोनों आज अपनी हरकतों पर काफ़ी शर्मिंदा हो रहे थे। दोनों की नज़रें एक दूसरे से यही कह रही थीं कि रोहन के इस व्यवहार की वजह उन दोनों का झगड़ा ही है।

घर पहुँच कर जब शांतनु ने अपनी माँ को इन सब बातों के बारे में बताया तो उन्होंने दोनों को समझाया, “बेटा! मैं तो तुम लोगों को समझा समझा कर थक गई। तुम दोनों अपने अहम् के टकराव में ये बात भूल गए कि  तुम दोनों पति पत्नी के अलावा माता-पिता भी हो।

अगर किसी बात पर मनमुटाव हो भी तो उसे शांति से सुलझाओ वो भी अपने कमरे में न कि बच्चों के सामने क्यूंकि बच्चे कच्चे घड़े के सामान होते हैं। उनके मन मस्तिष्क काफ़ी कोमल होता है।

कई दफ़ा ये झगड़े बच्चों के मन में काफ़ी उहापोह मचा देती हैं, जिसके फलस्वरुप या तो वो दब्बू हो जाते हैं या फिर उग्र।

अब भी वक़्त है, तुम दोनों अपने झगड़े बंद करो और अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दो क्यूंकि रुपया पैसा नहीं ये बच्चे ही तुम्हारे असली दौलत हैं, जिनकी अच्छी परवरिश ही तुम्हारे सफ़लता का असली पैमाना होगी।”

रीमा और शांतनु, माँ की बात को सुन शर्मिंदा भी हो रहे थे और अपनी ग़लतियों पर पछता भी रहे थे।

दोनों ने एक दूसरे से वादा किया कि अब वो अपने अहम् के टकराव से उठी ज्वाला में अपने बच्चों की भविष्य को नहीं झोंकेंगे, क्यूंकि उनकी असली पूँजी उनके बच्चे ही हैं।

मूल चित्र : Still from Crime Patrol Ep 797/YouTube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

11 Posts | 246,628 Views
All Categories