कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

क्या ये सच है कि मैं मेनोपॉज के बाद भी गर्भधारण कर सकती हूँ?

क्या रजोनिवृति के बाद मैं और मेरे पार्टनर बिना चिंता के सेक्स कर सकते हैं या मेनोपॉज के बाद भी गर्भधारण हो सकता है? आइये जानते हैं...

Tags:

क्या रजोनिवृति के बाद मैं और मेरे पार्टनर बिना चिंता के सेक्स कर सकते हैं या मेनोपॉज के बाद भी गर्भधारण हो सकता है? आइये जानते हैं…

रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज एक महिला के जीवन में वह मोड़ है जब उसके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसके कारण ओवरी में अंडे नहीं बनते और पीरियड्स रुक जाते हैं।

इस दौरान एक महिला का शरीर बहुत सारे परिवर्तनों से गुजरता है जो उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है लेकिन ये कोई बिमारी नहीं है। मेनोपॉज़ शरीर को स्वस्थ रखने की ही एक प्रक्रिया है। 

आमतौर पर 40-50 की उम्र में महिलाओं को रजोनिवृत्ति होती है। इस उम्र में शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का उत्पादन कम होने लगता है। ये हार्मोन ही पीरियड्स और गर्भधारण के ज़िम्मेदार होते हैं। 

हालांकि कई महिलाओं में  35 की उम्र में जल्दी रजोनिवृत्ति के लक्षण दिखाई देने लगते हैं और 40 से पहले भी मीनोपॉज़ आ जाता है। कई बार 50 के बाद मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन होता है और मेनोपॉज 50 के दशक में आता है। 

मेनोपॉज के लक्षण

हड्डियां कमजोर होना, एंग्जाइटी, अनियमित मासिक धर्म, सेक्स करने की इच्छा न होना, बार-बार पेशाब करने की इच्छा, अचानक से गर्मी महसूस होना, रात में नींद में गर्मी न होने पर भी पसीना आना, भूलने की बीमारी, डिप्रेशन, मूड स्विंग्स, नींद न आना, चिड़चिड़ापन, थकान, वैजाइना का ड्राई होना, सेक्स करने के दौरान दर्द होना, खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ना आदि रजोनिवृति के लक्षण हैं। 

ये लक्षण आम तौर पर प्री मेनोपॉज़ पीरियड के दौरान होते हैं और पीरियड्स के पूरी तरह बंद होने पर ये लक्षण भी कम हो जाते हैं। क्योंकि मीनोपॉज अचानक नहीं होता है, धीरे-धीरे समय के साथ होता है। 

रजोनिवृत्ति के घरेलू उपाय

रजोनिवृत्ति के समय होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं में कमजोरी आ जाती है इसलिए कुछ घरेलू तरीकों से आप इससे थोड़ा आराम पा सकते हैं। 

  • फल और सब्जियों का सेवन करें। 
  • प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन युक्त आहार लें। 
  • रोजाना 10-12 ग्लास पानी पियें। 
  • अपना वजन संतुलन में रखें। 
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज या योग करें। 
  • गर्मी से बचने के लिए हमेशा ठंडी जगह पर काम करें।
  • सकारात्मक सोच रखें।

लेकिन रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज के बाद की समस्याओं में क्या-क्या शामिल है? मीनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में क्या बदलाव आते हैं? 

मेनोपॉज के बाद गर्भधारण

मेनोपॉज में सेक्स हार्मोन कम होने लगते हैं तो अंडे की क्वालिटी व संख्या कम होने लगती है। लेकिन पेरीमेनोपॉज के दौरान आप प्रेगनेंट हो सकती हैं। हालांकि चांसेज़ बहुत कम होते हैं। 

डॉक्टरों के मुताबिक पीरियड्स की संभावना तभी खत्म होती है जब लगातार 12 महीनों तक पीरियड्स नहीं आये। इससे पहले के समय को पेरिमेनोपॉज कहते हैं। जब आप पूरी तरह रजोनिवृत्ति पीरियड में पहुँच जाते हैं उसके बाद प्राकृतिक रूप से माँ नहीं बन सकते। इसके लिए अपने डॉक्टर से जांच करवाले कि आपको मेनोपॉज़ हो चुका है या नहीं, और ‘मेनोपॉज के बाद गर्भधारण’ होगा कि नहीं। 

लेकिन अगर आपको मीनोपॉज के बाद बच्चा चाहिए तो आज के दौर में ये संभव है। आवीएफ़, अंडे फ्रीज़ करवाकर, हॉर्मोन थेरेपी की मदद से गर्भधारण कर सकती हैं। इसके लिए अपने डॉक्टर से फैमिली प्लानिंग के दौरान ही सम्पर्क करें। 

मेनोपॉज़ के बाद सेक्स

इस के लक्षणों के कारण महिलाओं में मेनोपॉज के बाद सेक्स संबंधित शिकायतें रहती हैं। कई बार कामेच्छा की कमी तो कई बार ज़्यादा दर्द के कारण महिलाएं यौन क्रिया का आनन्द नहीं ले पाती हैं। हार्मोनल बदलाव, नेचुरल लुब्रिकेंट्स का कम होना भी इसका कारण है।  

इसके हल के लिए आप घरेलु उपाय अपना सकती हैं या ज़रूरत होने पर सेक्सोलॉजिस्ट से परामर्श करें। सेक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल करें। इससे संक्रमण से बच सकते हैं।

मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग

डॉक्टरों के अनुसार मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग के कई बार मामूली कारण भी हो सकते हैं और कई बार ये खतरनाक बीमारी का संकेत भी हो सकते है जिसमें कैंसर एक है। इसीलिए ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें। 

मेनोपॉज के बाद कैसे रखें खुद का ख्याल

अगर महिलाएं खुद का ख्याल न रखे तो मेनोपॉज के बाद हार्मोनल चेंज के कारण उन्हें कई तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इसमें सामान्य रूप से पाई जाने वाली ये बिमारीयां हैं:

  • हड्डियां कमजोर होना,
  • दिल की बीमारी,
  • नींद की बीमारी,
  • त्वचा, बाल संबंधित शिकायतें,
  • खराब केलेस्ट्रॉल बढ़ना आदि।

इसके लिए बेहतर है लापरवाही बरतने की जगह आप सही समय पर अपने डॉक्टर से अपनी प्रॉब्लम्स डिसकस करें। इसके अलावा आप अपनी जीवन शैली में कुछ नयी आदतें अपनाकर भी खुद का ख़याल रख सकती हैं। 

रेगुलर एक्सरसाइज, हैल्थी डाइट, अच्छी मात्रा में पानी पीना, रेगुलर इंटरवल में बॉडी चेकअप आदि से आप बड़ी बिमारियों से बच सकते हैं।   

रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर होता है। इसलिए इसे अनदेखा ना करें। स्वस्थ रहने के लिए खुश होना सबसे ज़रूरी है। 

डिस्कलेमर : विमेंस वेब आप तक कई समस्याओं से जुड़े लेख लाता है, इसे सामान्य जानकारी समझें और ज़रुरत पड़ने पर एक एक्सपर्ट की प्रोफेशनल राय लेना न भुलें।

मूल चित्र : Still from Short Film, #menopauseawareness/Milan Thakar, YouTube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

136 Posts | 557,637 Views
All Categories