कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

ये घर मेरे लिए है, मैं घर के लिए नहीं…

“यार औरतें अपना ध्यान नहीं रखतीं।” सच कहा, मैं रखूँगी अपना ध्यान, क्योंकि कोई और नहीं रखता, क्योंकि मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ, घर से नहीं।

“यार औरतें अपना ध्यान नहीं रखतीं।” सच कहा, मैं रखूँगी अपना ध्यान, क्योंकि कोई और नहीं रखता, क्योंकि मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ, घर से नहीं।

देखो, हमारा घर बहुत बड़ा है।
कुल चार कमरे हैं, दो बरामदे,
एक आंगन, एक बड़ा हॉल,
छत को जाती हैं कुल ३० सीढ़ियाँ।

रसोई घर की तो पूछो ही मत, 
माँ दिन भर लगी रहती थीं
हमारे पसंद की डिशेज़ बनाने में,
रसोई में सारे इलेक्ट्रॉनिक के समान हैं,
पर माँ, वो कहाँ मानती थीं। 
सिलबट्टे पर चटनी पीसतीं थीं, तुम्हीं बोलो
वैसा स्वाद मिक्सर से आ पाएगा? नहीं ना। 

हमने तो कभी दिन का खाना भी रात को नहीं खाया,
फ्रिज में तो बस सब्ज़ी और फल रहते।
हमारा इतना ख़्याल रखतीं थीं कि क्या बताऊँ,
हमने कभी अपने अंडरवियर तक नहीं धोए।
उन्हें बुख़ार हो तब भी घर हमेशा चमकता रहता था।

एक बार तो उनका हाथ टूट गया,
फिर भी वो हमारा खाना बना कर ही अस्पताल गयीं।
अब हम चार लड़के,
कहाँ खाना बना कर खाते।
क्या बाहर से? हम नहीं खा सकते बाहर का भई!
सेहत पर असर होता है।

पता है, तुम से ज़्यादा पढ़ी लिखीं थीं।
पर अपनी गृहस्थी को ही सब कुछ समझती थीं।
हर दिन डायरी लिखा करती थीं।
पता नहीं क्या लिखतीं। 
तुम जब आओगी, देख लेना,
शायद कोई हमारी फ़ेवरेट रेसिपी हो।
अपनी बहु के लिए छोड़ गयी हों।

अभी? अभी तो जैसे तैसे मेड बना जाती है,
हम तो बस खा लेते हैं।
झाड़ू पोछा बर्तन के लिए भी अभी तो बाई है,
तुम आ जाओगी तो सब संभाल ही लोगी।

क्या, तुम्हारी जॉब? छोड़ना होगा शादी के बाद।
पापा ने तुम्हारे घरवालों को बता दिया था।
घर संभालो अच्छे से माँ की तरह,  
इस से बड़ा क्या काम है। 
ज़रूरत पड़ेगी कभी तो देखेंगे। 

क्या माँ कैसे गुज़रीं?
अरे अपना ध्यान तो रखतीं नहीं थीं ना। 
टाइम से खाती नहीं होंगी, अल्सर हो गया था।
इतनी लापरवाह थीं, डॉक्टर को भी पहले नहीं दिखाया। 
देखो लापरवाही ने उनकी जान ले ली। 
यार औरतें अपना ध्यान नहीं रखतीं।

सच कहा।
मैं रखूँगी अपना ध्यान,
क्योंकि कोई और नहीं रखता।
क्योंकि मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ,
घर से नहीं।
घर चमकाने को मैं खुद धूल नहीं खाऊँगी,
गर्म रोटी परोसने को, मैं खुद को ना झुलसाऊँगी।
तुम्हारी हर बेतुकी माँग पे, मैं बिछ नहीं जाऊँगी।
हाँ मैं प्यार भी करूँगी, जो प्यार पाऊँगी।

मैं नहीं ब्याह के आऊँगी उस घर,
जहाँ मैं घर के लिए हूँ,
घर मेरे लिए नहीं।

मूल चित्र: Still from show Pandya Store

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Gayatri Prabha Karan

Life tries you as much as you can endure.....never give up !!! read more...

5 Posts | 160,795 Views
All Categories