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तभी प्रिया ने देखा ननद के हाथ में 'क्या-क्या नहीं मिला' उसकी एक पूरी लिस्ट है। प्रिया को यह सब देख कर, गुस्सा तो बहुत आ रहा था।
तभी प्रिया ने देखा ननद के हाथ में ‘क्या-क्या नहीं मिला’ उसकी एक पूरी लिस्ट है। प्रिया को यह सब देख कर, गुस्सा तो बहुत आ रहा था।
प्रिया जब पहली बार विदा होकर ससुराल आई, तो बहुत घबराई हुई थी। वह जैसे ही पहुंची उसकी सास, ननद और रिश्तेदार महिलाएं उसे अंदर ले गईं और शादी की छोटी-छोटी रस्में होने लगीं। तभी उसने कुछ लोगों को बातें करते हुए सुना कि नितिन (प्रिया के पति) के ससुराल वालों ने बहुत दिया है। दुल्हन के मां बाप ने तो पूरा घर ही भर दिया।
नितिन की दादी बोल रही थी कि समधी लोग बहुत दिए हैं किसी चीज की कमी नहीं किये। दुल्हन को देखो गहनों से लदी हुई है।
तभी देवर ने खुश होते हुए कहा, “अरे दादी जितना भी सामान है सब बहुत अच्छी क्वालिटी का है। और सारे इलेक्ट्रॉनिक सामान भी ब्रांडेड कंपनी के हैं। और किसी ने कहा, शादी का सारा इंतजाम बहुत अच्छा था।”
प्रिया जब से आई थी, अपने मम्मी पापा की तारीफ ही सुन रही थी|
तारीफ करते भी क्यों ना लोग? प्रिया के मम्मी पापा ने प्रिया की शादी बहुत धूमधाम से ही की थी। प्रिया अपने मम्मी पापा की सबसे बड़ी संतान थी। मम्मी पापा ने बहुत शौक से अपनी बड़ी बेटी की शादी की थी। उन्होंने पूरी कोशिश की थी कि कोई कमी न रह जाये, जिससे कल बेटी को ससुराल में कुछ सुनना पड़े।
पर प्रिया जब से आई थी उसे अपनी सास खुश नहीं दिख रही थी और जब दूसरे दिन दोपहर में उसकी सास और ननद नीतू उसके रूम में आई, और सास आते ही बोली, “कल से जिसे देखो यही बोल रहा है कि तुम्हारे मम्मी पापा बहुत दिये हैं। मुझे तो कुछ नई चीज नहीं दिख रही। ये तो आजकल सभी देते हैं। मेरा बेटा इतनी बड़ी नौकरी करता है। उस हिसाब से तो कुछ नहीं मिला है।
तुम्हारी मम्मी को सास के बक्से में एक सोने की चेन तो देनी थी। बस पायल, बिछिया और कान के टॉप्स ही दिए हैं।”
तभी पीछे से ननद नीतू बोली, “वाशिंग मशीन सेमी दी है, फुल ऑटोमेटिक देनी थी।”
तभी प्रिया ने देखा ननद के हाथ में क्या-क्या नहीं मिला उसकी एक पूरी लिस्ट है। प्रिया को यह सब देख कर, गुस्सा तो बहुत आ रहा था। पर वह कुछ बोली नहीं, क्योंकि उसकी मम्मी ने बोला था कि बेटा ससुराल में किसी को जवाब मत देना।
उन दोनों के कमरे से जाने के बाद प्रिया को अपने छोटे भाई की एक बात याद आई कि वह अक्सर लड़ाई झगड़े में कहता था, भगवान करें तुम्हें ललिता पवार जैसी सास मिले। और उसने सोचा उससे भी खतरनाक सास मुझे मिल गई।
और जब एक दिन प्रिया ने नितिन के साथ मिलकर अपने कमरे में नये परदे लगाए, जो वह अपने मायके से लाई थी, तब नितिन के कमरे से जाने के बाद ननद आकर बोली, “भाभी केवल अपने कमरे के लिए लाई हो, पूरे घर का लाना था ना।”
उसने कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन उसने बाद में नितिन को बताया था।
नितिन अपनी मम्मी को अकेले में समझाता पर वह अपने आगे किसी की सुनती नहीं थी। नितिन ज्यादा कुछ बोल भी नहीं पाता था क्योंकि वह कहतीं, “घर में तुम्ही एक कमाने वाले हो। इसका मतलब ये नहीं कि तुम जो कहोगे वही मां-बाप करेंगे।”
क्योंकि नितिन ही एक था, जो दिल्ली में गवर्नमेंट कंपनी में नौकरी करता था और नितिन के पापा को घर के किसी बात से कोई मतलब ही नहीं था। दादी सास अपने छोटे बेटे की पास रहती थी। देवर बाहर रहकर पढ़ाई कर रहा था। घर पर बस सास और ननद नीतू का सम्राज्य था।
एक दिन नितिन की मौसी आई थी। मौसी के सामने ही सास बोलने लगी, “इनके पापा बहुत पैसे वाले हैं, पर बेटी को कुछ दिये नहीं। देखो कितने हल्के गहने पहने हुये है। सब गिन्नी सोना दिये हैं, कोई शुद्ध सोना नहीं दिये।”
प्रिया को उस समय बहुत बुरा लगा। प्रिया बोल पड़ी, “मैंने अपने पसंद के सारे गहने लिए हैं। 22 कैरेट में डिजाइन अच्छी आती हैं और 24 कैरेट में डिजाइन ढंग की नहीं रहती। और फिर घर में पहनने के लिए हलके गहने ही सही रहते हैं।”
सास बहुत गुस्से में बोली, “बहुत दिए हैं तुम्हारे मम्मी पापा, तो कुछ दे दो मैं मां बेटी भी पहन लें।” और फिर मजाक उड़ाने वाले अंदाज में हंसने लगी। प्रिया को यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ और वह अपने कमरे में चले गई।
प्रिया की सास ननद का रोज का काम हो गया था। किसी न किसी बात पर सुनाना, “तुम्हारे मम्मी पापा ने तो कुछ दिया ही नहीं।”
प्रिया इन रोज-रोज के तानों से परेशान हो चुकी थी। पर मम्मी पापा के फोन पर पूछने पर भी कुछ ना बताती कि वह दुखी हो जाएंगे। प्रिया को सास से ज्यादा नीतू का बोलना बुरा लगता क्योंकि वह उससे उम्र बहुत छोटी थी। प्रिया को लगता था कि सास को नीतू को मना करना चाहिए कि वह भाभी से ऐसे बात ना करे।
कुछ दिन बाद प्रिया नितिन के साथ दिल्ली चली गई। पर जब भी आती, उन दोनों की कुछ ना कुछ शिकायत रहती ही थी।
एक बार प्रिया आई हुई थी और किचन में खाना बना रही थी। नीतू फ्रिज से कुछ लेने आई और प्रिया से बोली, “भाभी आपके पापा को डबल डोर फ्रिज देनी थी, यह बहुत छोटी है।”
प्रिया को उस दिन बिल्कुल बर्दाश्त न हुआ। वह नीतू से बोली, “नीतू मम्मी मेरी सास हैं, उनका ताने देना बातें बोलना एक बार समझ में आता भी है, पर तुम्हें ऐसे नहीं बोलना चाहिए। तुम मुझसे बहुत छोटी हो, और कल तुम्हें भी ससुराल जाना पड़ेगा। जब तुम्हारी सास ननद ऐसे बोलेंगी, तब तुम्हें समझ में आएगा कि कितना बुरा लगता है। और जब मुझे पता चलेगा तो शायद मुझे खुशी भी हो क्योंकि तुम्हारे इस तरह के व्यवहार से मेरे मन में तुम्हारे लिए नकारात्मक विचार बन रहे हैं।”
उस दिन के बाद नीतू खुद तो कुछ ना बोली, पर अपनी मां के कान भरकर भड़काने लगी थी।
कुछ सालों बाद जब नीतू की शादी पड़ी। तब नितिन ने शादी की बहुत अच्छे से तैयारी की। अपनी इकलौती बहन की शादी में कोई कमी नहीं रखना चाहता था। प्रिया ने भी उसका पूरा साथ दिया था। नीतू के लिए साड़ियां, मेकअप और गहने सब प्रिया अपनी पसंद का खरीद के लाई थी।
और शादी के बाद जब नीतू पहली बार मायके आई और अपनी मां से कमरे में बात कर रही थी, तभी प्रिया चाय देने गई। तो दरवाजे के पास से ही सुना कि नीतू अपनी मम्मी से कह रही थी, “एक दिन मेरी जिठानी मुझसे बोली, कि तुम्हारे झुमके बहुत सुंदर हैं।
मैंने कहा मेरे सारे गहने मेरे भैया लाये हैं। तभी सास ने कहा तुम्हारी भाभी की पसंद बहुत अच्छी है। और पैसे भले तुम्हारे भैया के हैं पर खरीद कर तुम्हारी भाभी ही लाई होगी। बड़ी तकदीर वाली हो तुम, कि ऐसे भैया भाभी मिले हैं। नहीं तो तुम्हारे मम्मी पापा ने तो कुछ दिया ही नहीं है।”
तभी प्रिया मुस्कुराते हुए चाय लेकर अंदर चली गई। तो दोनों चुप हो गई और प्रिया की मुस्कुराहट देखकर उन्हें समझ में आ गया था कि प्रिया ने उनकी बात सुन ली हैं। पर प्रिया कुछ बोली नहीं, चाय देकर बाहर आ गई।
काश! सास एक बार सोच ले, कि उनकी बेटियां भी एक दिन ससुराल जाएंगी, तो शायद ससुराल में कोई भी बहू परेशान ना की जाये!
मूल चित्र : Still from India Alert, Ep. 298, YouTube
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