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ओह्ह! उस पार्लर वाली ने कहा था पूर्णिमा की चाँद की तरह चमकेगा चेहरा, लेकिन इतने पैसे फुंक कर भी मुझे तो कहीं चाँद नज़र नहीं आ रहा।
“कैसी लग रही हूँ मैं?”
“जैसे पहले लग रही थीं।” हँसते हुए विनोद ने कहा तो रमा चिढ़ गई।
“हां हां आपको मैं क्यों सुन्दर लगने लगी?”
“ऐसी बात नहीं है रमा, अब तुमने चाहे घंटो पार्लर में फेशियल करवाया हो या मेरे जेब अच्छी ख़ासी ढीली कर दी हो लेकिन यकीन मानो जैसी गई थी वैसी ही आयी हो।”
विनोद की बात सुन पैर पटकती रमा कमरे में चली गई। पर्स बेड पे फैंक शीशे के सामने खड़ी हो गई। गौर से अपने चेहरे एक एक कोण का मुआयना कर रमा को भी विनोद की बातों पे यक़ीन हो गया।
“ओह्ह! फालतू में दो हजार लूट लिये उस पार्लर वाली ने। कहा था पूर्णिमा की चाँद की तरह चमकेगा चेहरा, लेकिन इतने पैसे फुंक कर भी मुझे तो कहीं चाँद नज़र नहीं आ रहा।”
रमा दुखी हो गई। चालीस के करीब पहुंची रमा ने कभी भी अपने आप पे ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। घर पे सबके सारे काम समय पे करती बच्चों का विनोद का बहुत ध्यान रखती, लेकिन खुद के चेहरे और शरीर पे बिलकुल ध्यान नहीं रहता रमा का। और जब से थायरॉइड हुआ शरीर पे बेतहाशा मोटापा चढ़ गया। सुन्दर चेहरा गोल-मटोल सा हो गया था।
उम्र से ज्यादा बड़ी लगने लगी थी रमा और जब एक दो लोगो ने मज़ाक मज़ाक में टोक दिया कि, “भाभी जी आप तो विनोद भाईसाहब से बड़े उम्र की दिखती हो।” रमा पे जैसे भुत चढ़ गया हो सुन्दर दिखने का हर पंद्रह दिन में पार्लर भागती।
विनोद कुछ कहता तो नाराज़ हो उठती सो विनोद ने भी टोकना छोड़ दिया।
दो चार दिन बीते की एक शाम दरवाजे की घंटी बजी। देखा तो पैंतीस छत्तीस साल की एक महिला करीने से साड़ी बांधे सुन्दर लम्बे बालों को खुला छोड़े खड़ी थी।
“नमस्कार मेरा नाम रूचि है। आपके बगल के फ़्लैट में शिफ्ट हुए हैं। कल छोटी सी पूजा है आप अपने परिवार के साथ जरूर आना।”
रमा ने भी हामी भर दी आने की और कुछ जरुरत हो तो बताने के लिये भी कह दिया। मन ही मन रमा रूचि के परिवार की कल्पना कर रही थी, कम उम्र है बच्चे स्कूल में ही होंगे।
अगले दिन रूचि के घर पूजा में रमा भी पहुंच गई। दोनों पति पत्नी ने स्वागत किया और अपने बच्चों से मिलवाया।
“ये इतने बड़े कॉलेज जाने वाले बच्चे हैं इनके? लेकिन दिखती तो कम उम्र की है। कहीं भाई साहब की दूसरी बीवी तो नहीं? ओह्ह कितने प्यारे बच्चे हैं, जाने सौतेली माँ कैसा व्यवहार करती हो।” मन ही मन रमा ने सब सोच लिया।
अगले ही दिन सुबह सुबह बालकनी में चाय की चुस्कियां लेती रमा को रूचि दिख गई, ट्रैकसूट पहने पैरों में स्पोर्ट्स शूज डाले जॉगिंग करती हुई।
अब तो अक्सर आते जाते रूचि और रमा टकरा जाते। मुस्कुराती हुई रूचि का चेहरा हर वक़्त चमकता रहता और ये देख रमा सोच में पड़ जाती, “पता नहीं कौन सा फेशिअल करवाती होंगी?” रूचि जी जरूर महंगे पार्लर में जाती होंगी तभी ये चमक है।
हमेशा रमा सोचती, पूछ लूँ क्या कौन से पार्लर जाती है? फिर शर्म से रुक जाती। लेकिन एक दिन जब रुका ना गया तो पूछ ही बैठी, “आप बुरा ना माने तो कुछ पूछूँ आपसे रूचि जी?”
“बिलकुल रमा जी।”
“आप कौन सा फेशीअल करवाती हैं और कौन से पार्लर में जाती हैं? देखिये ना कितने पार्लर बदल लिये लेकिन चेहरे पे चमक ही नहीं आती।”
रमा की बात सुन रूचि मुस्कुरा दी, “एक काम करें रमा जी, कल आप शाम की चाय मेरे साथ पियें फिर मैं दिखाती हूँ अपना पार्लर।”
“दिखाती हूँ? ये क्या कह रही हैं रूचि जी?” हैरान परेशान रमा को समय काटे नहीं कट रहा था। खैर अगले दिन चार बजे और रमा पहुंच गई रूचि जी के घर।
बैठक में बिठा रूचि जी दो कप चाय और आटे के बने बेक्ड बिस्किट्स लें आयी।
“वो आप बताने वाली थीं। आपका पार्लर कहाँ है?” बेचैन हो रमा पूछ बैठी।
“हां जी बिलकुल रमा जी, ये देखिये मेरा पार्लर”, और रूचि ने रसोई की तरफ इशारा कर दिया।
रमा को समझ ही नहीं आ रहा था रूचि जी क्या कहना चाह रही थीं। साथ ही गुस्सा भी आने लगा ऐसा क्या राज है जो इतनी भूमिका बांध रही हैं।
“आप भी न मज़ाक कर रही हैं रूचि जी, ये तो रसोई है और मैं तो पार्लर पूछ रही हूँ।”
“नहीं रमा जी मैं मज़ाक नहीं कर रही। आप पूछ रही थीं ना मेरे चेहरे के चमक का राज? तो ये रसोई और घरेलु नुस्खो का ही असर है।” हँसते हुए रूचि ने कहा तो चौंक पड़ी रमा।
“जब मेरे बड़े बेटे का जन्म हुआ तब ही मुझे थायरॉइड की समस्या हो गया थी। वजन बेतहाशा बढ़ गया। इतना कि मैंने घर से निकलना छोड़ दिया। सब अजीब नज़रों से घूरते मुझे। मेरा कॉन्फिडेंस खत्म हो गया था। हर वक़्त चिढ़ी सी रहती छोटी छोटी बात पे रो देती गुस्सा करती।
हर वक़्त कुछ ना कुछ खाती रहती जिसका नतीजा शुगर भी हाई हो गयी। तब उस वक़्त मेरे पति ने मुझे संभाला मुझे और हौंसला दिया। हम डॉक्टर से मिले और डॉक्टर ने मुझे वजन कम करने को कहा।”
“बहुत मुश्किल था मेरे लिये वजन कम करना लेकिन पति के सपोर्ट से धीरे-धीरे कोशिश की। वॉक, योगा और खाने पे नियंत्रण कर वजन कम किया तो थायरॉइड भी कंट्रोल में हो गया। उसी टाइम मैं दुबारा प्रेग्नेंट हो गई फिर बेटी का जन्म हुआ तब तक जो वजन खोया था वापस आ गया था लेकिन इस बार मुझे पता था क्या करना है।”
“दुबारा शुरू किया सब कुछ और हेल्दी खाना और एक्सरसाइज ने असर दिखाया और देखिये आज मैं पैंतालीस साल की हूँ, लेकिन पैंतीस की लगती हूँ। कभी कभी छोड़ दें, तो घर का बना खाना खाती हूँ और चेहरे पे भी घरेलु नुस्खे ही लगाती हूँ।”
रूचि की बातें सुन रमा की ऑंखें फटी की फटी रह गईं। जिसे वो खुद से छोटी मान रही थी वो तो उम्र में उससे भी बड़ी थी और बच्चे भी खुद के थे। रमा जैसे नींद से जाग गई थी।
रूचि से विदा लें रमा घर आ गई। रूचि जी की बातें रमा के ज़हन में घूम रही थीं। रमा समझ गई थी की असली खूबसूरती इंसान के अंदर से आती है अगर आप स्वस्थ होंगे फिट होंगे तो आप खूबसूरत ही लगेंगे बिना हजारों रुपये पार्लर में फूंके। लेकिन अगर स्वस्थ नहीं होंगे तो कोई भी महंगे से महंगा फेशिअल कोई असर नहीं दिखायेगा।
फिर क्या था अगले दिन सुबह जॉगिंग करती रूचि के साथ रमा भी वॉक पे निकल गई।
बालकनी में खड़े विनोद हांफती दौड़ती रमा को देख मुस्कुरा रहे थे और मन ही मन अपने नये पड़ोसन को शुक्रिया भी कह रहे थे। जो काम वो सालों से ना कर पाये थे, कुछ ही महीनों में नई पड़ोसन के चेहरे की चमक कर गई थी।
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मूल चित्र : Still from Short Film Sarvagun Sampann, YouTube
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