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क्या सर से पाँव तक ढकी औरतों के बलात्कार नहीं होते?

मेरा महोदय से सिर्फ एक सवाल है, ये कैसे तय होता है कि क्या अश्लील है और क्या नहीं? क्या किसी तरह की विशिष्ट रिसर्च में ऐसा कहा गया है?

मेरा महोदय से सिर्फ एक सवाल है, ये कैसे तय होता है कि क्या अश्लील है और क्या नहीं? क्या किसी तरह की विशिष्ट रिसर्च में ऐसा कहा गया है?

ट्रिगर वार्निंग: इस लेख में यौन उत्पीड़न/बलात्कार का ज़िक्र है और सभी पाठकों के लिए उपयुक्त नहीं है। 

हाल ही में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने जनता के साथ दो घंटे लंबे प्रश्न-उत्तर सत्र का आयोजन किया। इसमें एक कॉलर ने दो प्रश्न किये:

सरकार ने बलात्कार और बाल शोषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं, और क्या आप उनसे संतुष्ट हैं?

चूंकि आप मदीना राज्य की बात कर रहे हैं, तो सरकार बलात्कारियों को सार्वजनिक रूप से फांसी क्यों नहीं देती?

प्रधानमंत्री ने सटीक ज़वाब देने के बज़ाय एक अलग दिशा में यह कहते हुए शुरुआत की कि इस मुद्दे से उन्हें बहुत पीड़ा होती है। वास्तव में पाकिस्तान में अखबारों में बच्चों और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का 1% भी रिपोर्ट नहीं होते हैं। हमारे समाज में बलात्कार हमेशा से मौजूद है, लेकिन लोग शर्मिंदगी की वज़ह से इसके बारे में पहले बात नहीं करते थे, लेकिन अब, अधिक लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं।

प्रधान मंत्री ने कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि जैसे भ्रष्टाचार कानून बनाने से नहीं मिटता है, ठीक वैसे ही बलात्कार के मामलों के साथ है। हमने बलात्कार और बाल शोषण पर कानून बहुत सख्त बना दिया है, लेकिन समाज को मिलकर इसका मुकाबला करना चाहिए। समाज को यह तय करना है कि ये अपराध समाज के विनाश के लिए (बराबर) है।”

प्रधानमंत्री इमरान खान के इस विचार से मैं बिलकुल सहमत हूँ। लेकिन आगे जो उन्होंने कहा उससे साफ़ प्रतीत होता है कि विक्टिम ब्लेमिंग से हमारी लड़ाई लम्बी है।

कैसे तय होता है कि क्या अश्लील है और क्या नहीं?

आगे इमरान खान ने बलात्कार और यौन शोषण के बढ़ते मामलों को “अश्लीलता” से जोड़ा।

तो सबसे पहले ये कैसे तय होता है कि क्या अश्लील है और क्या नहीं? और ये कैसे बलात्कार का सिर्फ एक कारण है? क्या यह किसी तरह की स्पेशल रिसर्च करके कहा जाता है? मेरी नज़र में यह तो अश्लीलता का आरोप लगाकर बलात्कारी से जुर्म हटाना है।

आगे उन्होंने कहा, “अगर आप अश्लीलता करते हैं, तो इसका हमारे समाज पर कुछ प्रभाव पड़ेगा। हर किसी में प्रलोभन का विरोध करने की इच्छाशक्ति नहीं होती है। यही कारण है कि पर्दा सिस्टम इतना महत्वपूर्ण है।”

तो क्या औरत के शरीर पर कपड़ों की परतें बलात्कार रोकने के लिए काफी हैं?

बिलकुल भी नहीं!

इससे लग रहा है कि महिलाओं की सुरक्षा का बोझ उन पर ही है। लेकिन समस्या उन महिलाओं और बच्चों में नहीं है, जिनके साथ दुर्व्यवहार और उत्पीड़न होता है, न ही यह उनके कपड़ों में है – यह बलात्कारियों और दुर्व्यवहार करने वालों और उनकी मानसिकता में है।

औरतों को पर्दे में रखने की जगह पुरुषों को शिक्षित करना चाहिए

अगर पुरुषों में कंट्रोल नहीं है तो बेशक उनके लिए ऐसी रिहैबिलिटेशन थेरेपी शुरू किये जाने चाहिए जो इतने बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं कि वे हिंसा का सहारा लेते हैं? औरतों को पर्दे में रखने की जगह पुरुषों को शिक्षित करना चाहिए।

इमरान खान ने आगे कहा कि जब वह क्रिकेट खेलने के लिए 70 के दशक के दौरान ब्रिटेन गए थे, तो ‘सेक्स, ड्रग्स और रॉक एन रोल’ संस्कृति बंद हो रही थी, जिसका सीधा असर उनके परिवारों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि आजकल तलाक की दर ‘उस समाज में अश्लीलता के कारण 70 प्रतिशत से अधिक हो गई है।’

मेरी नज़र में तलाक़ दर में वृद्धि होना गलत नहीं है। एक ज़बरदस्ती के रिश्ते में रहने से अच्छा अलग होना है। इसीलिए हमें तलाक़ के केसेस पर चिंता व्यक्त करने की बजाय असल मुद्दों पर चिंता व्यक्त करनी चाहिए।

अगर आज भी लोग ऐसी सोच रखते हैं तो सबसे पहले उन्हें समझने की ज़रूरत है कि आखिर बलात्कार है क्या और औरतों, बच्चों और पुरुषों, जी हाँ पुरुषों, पर इस हिंसा का असर किस प्रकार होता है।

यह बात बिलकुल सत्य है कि बलात्कार हर किसी की समस्या है और यह कानून पर्याप्त नहीं है, हम सभी को मिलकर इसका मुकाबला करना चाहिए लेकिन एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर इस तरह के विचार व्यक्त करना किस और इशारा कर रहा है।

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मूल चित्र : dawn.com, AFP/ File

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Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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