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न जाने कितने शोषण झेलते हुए हम 2021 के विमेंस डे पर आये हैं

ऐसे विमेंस डे की हमें तो कोई ज़रूरत नहीं है जहां सिर्फ हवाओं में बातें करी जाए और ज़मीन पर शोषण। आप ही को मुबारक हो ये "विशेष दिन"...

ऐसे विमेंस डे की हमें तो कोई ज़रूरत नहीं है जहां सिर्फ हवाओं में बातें करी जाए और ज़मीन पर शोषण। आप ही को मुबारक हो ये “विशेष दिन”…

चेतावनी : इस पोस्ट में कुछ ऐसी घटनाओं के विवरण हैं जो आपको डिस्टर्ब कर सकते हैं

आइये एक नज़र 2021 में सुनहरे अक्षरों से लिखे जाने वाले पिछले 66 दिनों में महिलाओं के साथ हुए दुर्वव्यहारों पर डालते हैं। ध्यान दें यहां सिर्फ उन्हें शामिल किया गया है जो घटनाएँ हम तक पहुंची यानी वे हिंसाएँ जो एक दो दिन ख़बर में रही या फिर जिन्हें सोशल मीडिया स्क्रोल करते हुए आपने अफ़सोस जताया। 

1. यूपी के बदायूं में 3 हैवानों ने एक 50 साल की महिला के साथ गैंगरेप कर हत्या की। गाँव के मंदिर में पुजारी और दो अन्य व्यक्तियों ने इस वारदात को अंज़ाम दिया – 6 जनवरी 2021    

2. राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी का बदायूं गैंगरेप पर बयान में कहा, “महिलाओं को किसी के प्रभाव में नहीं आना चाहिए और ऐसे समय में नहीं घूमना चाहिए। मुझे लगता है कि अगर वह शाम को मंदिर न जाती, या परिवार का कोई सदस्य साथ में होता तो शायद ऐसी घटना नहीं होती।” – 8 जनवरी 2021 

3. लेबर एक्टिविस्ट नवदीप कौर को नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के साथ प्रदर्शन का हिस्सा बनने के लिए सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया – 12 जनवरी 2021  

4. 2016 में एक 12 वर्षीय बच्ची के आरोपी सतीश कुमार को फ़ैसला सुनाते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस पुष्पा गनेडिवाला ने जबरदस्ती छूने को, तब तक, यौन हिंसा की श्रेणी से बाहर कर दिया गया, जब तक त्वचा से त्वचा का संपर्क ना हो – 24 जनवरी 2021 (#गर्ल चाइल्ड डे)

5. मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति को महिला के कंधे पर पर बैठाकर उसके साथ मारपीट करते हुए एक गांव से दूसरे गांव तक तीन किलोमीटर ले जाया गया – 9 फ़रवरी 2021

6. उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बबुरहा गांव में तीन नाबालिग दलित लड़कियों को अचेत अवस्था में पाया गया। लड़कियों को तुरंत अस्तपाल ले जाया गया जहां दो को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। – 17 फ़रवरी 2021 

7. सेम सेक्स मैरिज का विरोध करते हुए केंद्र ने दिल्ली-उच्च न्यायालय से कहा, भारत में विवाह केवल दो व्यक्तियों का एक संघ नहीं है, बल्कि जैविक पुरुष और महिला के बीच एक संस्थान है – 25 फरवरी 2021 

8. लोगों की ही बनाई मानसिकता से परेशान होकर ‘कब तक लड़ेंगे अपनों से’ कहकर आयशा आरिफ खान ने सुसाइड किया – 28 फरवरी 2021 

9.  सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने एक नाबालिग लड़की से रेप के आरोपी से पूछा,  “क्या आप उनसे शादी करेंगे?” – 1 मार्च 2021 

10.  हैदराबाद में विवाह का प्रस्ताव ठुकराने पर एक व्यक्ति ने महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर पर चाकू से हमला किया – 3 मार्च 2021 

ओह्ह, ये लिस्ट तो खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।

यकीन मानिये, इसमें बस रिपोर्टेड केसेस में सिर्फ कुछ अलग-अलग तरह की हिंसा, असमानता, मानसिकता को दिखाने वाले केस आपके सामने रखे हैं और उन अनगिनत अनरिपोर्टेड केसेस का तो मैं कहीं ज़िक्र भी नहीं कर रही।

नहीं समझें? अरे वही, जब आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट में अपनी सीट पर बैठे  शार्ट ड्रेस पहनी हुई लड़की को घूर रहे थे, उस लड़की ने रिपोर्ट नहीं किया है। और दूर गाँव में बैठी उस महिला ने भी अपना बयान अभी तक थाने में दर्ज़ नहीं करवाया है जो रोज घरेलु हिंसा का शिकार हो रही है। 

आज “विशेष दिन” है क्यूंकि अब ये भी तो एक त्यौहार ही है

लेकिन पहले मैं आपको आज के “विशेष दिन” की शुभकामनाऐं तो दूँ। हाँ ये बिल्कुल, होली-दिवाली की तरह ही “विशेष दिन” है आख़िरकार ये भी तो एक त्यौहार ही है जिसमे आप एक दिन नारी को पूजते हैं। बड़े-बड़े नारे लगाते हैं। गिफ्ट्स देते हैं। बधाइयां देते हैं।

(आज ज़्यादा वक़्त नहीं लूंगी क्योंकि मुझे पता है अभी आपको सोशल मीडिया पर नारी को देवी बनाकर फिर से उससे इंसान का दर्जा छीनकर उसकी पूजा जो करनी है।) 

अब शुभकामनाओं से पहले ज़रा गौर करते हैं हम किसे सेलिब्रेट कर रहे हैं और किस हक़ से सेलिब्रेट कर रहे हैं? तो वो आधी आबादी तो आज भी सेक्सिज़्म का शिकार हो रही है जिनके लिए पिछले साल इसी दिन आपने समानता के वादे किये थे।

भारत की ही बात करें तो, NCW के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की 23,722 शिकायतें प्राप्त हुईं, जो पिछले छह वर्षों में सबसे अधिक हैं। रिपोर्ट किए गए सभी मामलों के अलावा, सैकड़ों ऐसे हैं जो रिपोर्ट नहीं हुए हैं। 

क्या वाकई हम महिलाओं को सेलिब्रेट करने के काबिल बचे हैं?

इन हिंसाओं की क्रूरता हर पल बढ़ रही हैं। हर दिन ऊँचे पद पर बैठे लोगों के हितैषियों की मानसिकता का नज़ारा हमें देखने को मिल रहा है। क्या वाकई हम महिलाओं को सेलिब्रेट करने के काबिल बचे हैं जहां हर पल वे हिंसा का शिकार हो रही हैं?

अब आप में से कई कहेंगे, हमें आज के दिन सकारात्मक पहलुओं को देखना चाहिए।

तो ज़रा ये बताइये 5 उँगलियों में से चार पर चोट लगने पर आपको दर्द होता है या 1 उंगली सुरक्षित हैं, इस बात की ख़ुशी में दर्द गायब हो जाता है? मुझे तो दर्द होता है। ठीक ऐसे ही जब तक हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं हैं तो किस हक़ से हम ख़ुशी ज़ाहिर करें? 

कभी देवी बनाकर तो कभी बेचारी बनाकर उसे शोषित किया जाता है

घर से लेकर सड़क तक, महिलाओं को बेसिक ह्यूमन राइट्स के लिए लड़ना पड़ता है। कभी देवी बनाकर तो कभी बेचारी बनाकर उसे शोषित किया जाता है। और फिर महिला सशक्तिकरण के बड़े-बड़े नारे लगाए जायेंगे। महिला दिवस के नाम पर न जाने कितने कैंपेन चलाये जाएंगे। और फिर घर में वही पत्नी, माँ, बहन पर हुकुम चलाते हुए ही पूरा साल निकाल देंगे।

हम अपने आस-पास घटने वाली हर घटना को नजरअंदाज कर देते हैं, हम उन महिलाओं को नजरअंदाज करना चुनते हैं, जिन्हें सार्वजनिक परिवहन में प्रताड़ित किया जा रहा है। हम अपने घरों में महिलाओं के कंधों से अपनी ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं लेते हैं, हम अपने सहयोगियों को कार्यस्थल पर परेशान होने के बारे में चुप रहना चुनते हैं। 

तो ऐसे विमेंस डे की हमें कोई ज़रूरत नहीं है जहां सिर्फ हवाओं में बातें करी जाए और ज़मीन पर शोषण। आप ही को मुबारक हो ये इंटरनेशनल विमेंस डे 2021! क्योंकि हम तो 2021 में भी न जाने कितने ऐसे शोषण झेलते हुए विमेंस डे पर आये हैं। 

मूल चित्र : shutterstock

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About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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