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अगर ये इतने तंग कपड़े पहनेगी तो इसके साथ ऐसा ही होगा

"दीदी, ये इतने तंग कपड़े क्यूं पहनती है? मना किया तो नहीं मानी अब हम लोग मज़ा नहीं चखाए तो सा* को समझ कैसे आता।”

“दीदी, ये इतने तंग कपड़े क्यूं पहनती है? मना किया तो नहीं मानी अब हम लोग मज़ा नहीं चखाए तो सा* को समझ कैसे आता।”

चेतावनी : इस पोस्ट में यौन शोषण का वर्णण है जो आपको परेशान कर सकता है 

“अरे! कैसे बदतमीज़ लड़के हैं? सरेआम उस लड़की को छेड़ रहे हैं”, सौम्या बोली।

“क्या हुआ सौम्या? मुझे भी तो बता किसकी बात कर रही”, अर्चना ने कहा।

“तुम खुद ही देख लो अर्चना। होली क्या आने वाली है कालेज के लड़के अपनी मनमानी में उतर आए हैं। किसी भी लड़की को छोड़ नहीं रहे और उन लाल रंग चेहरे पर लगे लड़के को देख रही हो। वो तो नीरजा के पीछे हाथ धोकर पड़ा है, पता नहीं कौन से लाड साहब हैं?”

“हट तो सौम्या, अभी इस लड़के को ठीक करती हूं। हमारे शहर और कालेज में दादागिरी ऐसे तो ना चलने देंगे हम भाई।”

अर्चना भागते हुए एक लठ पकड़ कर शेरनी सी दौड़ी। पर अचानक उसके पांव में जैसे बल पड़ गए। आंखें लाल हो चुकी थीं गुस्से में और माथे पर गुस्से से पसीना और ज्यादा बढ़ गया था।

तभी अपने को संभालते अर्चना बोली, “रोहन! तुम ये सब क्या कर रहे?”

“कुछ नहीं दीदी। वो तो होली खेल रहा था अपने दोस्तों के साथ।”

तभी मौका देख नीरजा बोली, “नहीं अर्चना, कोई होली नहीं ये सब मेरे साथ गलत काम करना चाह रहे थे। होली तो बस बहाना था। इसने हर बार राह चलते मुझे छेड़ा था। आज भी इसने अपने दोस्तों के साथ शर्त रखी थी कि अगर रंग लगा दिया तो ये लड़की तुम लोगों की…”, कहते-कहते नीरजा रो पड़ी।

“रोहन! सच-सच बता क्या नीरजा जो बोली वो सच था?”

“नहीं दीदी।..मतलब हां…पर गलती इसकी भी है दीदी। ये इतने तंग कपड़े क्यूं पहनती है? मना किया तो नहीं मानी अब हम लोग मज़ा नहीं चखाए तो सा* को समझ कैसे आता।”

इतना बोला ही था कि एक झन्नाटेदार थप्पड़ रोहन के गाल पर पड़ा। उसके बाद पता नहीं जो अर्चना के हाथ लगा उसपे उसने भड़ास निकाली।

इधर ख़बर मिलते ही, अपने बेटे की उसके माता-पिता भी वहां पहुंच कर अर्चना और नीरजा की गलतियां निकालने लगे।

तभी अर्चना शेरनी की तरह गरजी, “बस! बहुत हुआ। हमेशा से मैं कहती थी मां इस पर ध्यान दो ये अपनी मर्ज़ी का कर रहा। कल को दूसरे के घर भी पत्थर मारेगा जो अपने ऊपर भी आएगा। चोट हमें भी लगेगी चाहें कितना भी बचाव करो। पर आप लोग तो बेटे के प्यार में इतना अंधे हैं कि सही ग़लत तो दिखता भी नहीं। आज ये नीरजा के साथ गलत करने वाला था कल कोई और होती।”

“हमेशा मां आप लड़के-लड़की में अंतर कर उसको प्राथमिकता देते थे। उसकी गलती में भी आपको हंसी आती थी। आज देख लो भरे समाज में उसने आपकी नाक कटवा दी। क्या कोई और लड़का मेरे साथ ऐसा करता तो आपको अच्छा लगता।”

“कहते हैं ना, जैसा बोगे वैसा काटोगे। आज आपके ही जिगर के टुकड़े ने भरे बाजार शर्मसार कर दिया।”

अर्चना की बातें सुनकर उसके माता-पिता को अपने किए पर आज शर्मिंदगी हो रही। काश! जो समाज के बनाए नियम जो अर्चना के लिए थे वो रोहन को भी समझा पाते। दूसरे की बेटी भी किसी के घर की इज्जत होती है। ये एहसास दिला पाते पर शायद अब देर हो चुकी थी।

मूल चित्र: Still from shart film An Unusual Day, Youtube (for representational purpose only)

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