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क्या आपको पता है, लक्ष्य का पता?

"अगर आपको अपना जीवन खुशहाल करना है तो आपको अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा जिसे प्राप्त करके आप एक अच्छा जीवन बिता सकते हैं।”

“अगर आपको अपना जीवन खुशहाल करना है तो आपको अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा जिसे प्राप्त करके आप एक अच्छा जीवन बिता सकते हैं।”

लक्ष्य चाहे दीर्घकालिक हो या फिर अल्पकालिक, उसे खोज कर, समझ कर, उसे पाने का रास्ता बनाकर, उस रास्ते पर अग्रसर रहने पर ही लक्ष्य की प्राप्ति होती है।

लक्ष्य बनाकर कार्य करने से सफलता मिलने के अवसर बढ़ जाते हैं। जब तक यह नहीं पता होगा कि क्या करना है और कैसे करना है तब तक आगे नहीं बढ़ा जा सकता।

पर अगर कोई लक्ष्य ही न हो तो?

तो फिर आप जीवन में इधर से उधर भटकते रहेंगे। लेकिन कभी किसी मंजिल तक नहीं पहुंच पाएँगे !

पर कैसे होगा ये निर्धारित, कि क्या है मेरा लक्ष्य?

और अगर निर्धारित कर भी लिया तो वो सही है भी की नहीं, यह कैसे पता चलेगा?

अगर मैं अपनी बात करूँ तो, ऐसा कई बार हुआ कि लक्ष्य तो पता है, पर रास्ता नहीं। रास्ता अगर पता है तो उसपर कितने आगे जाना है, उसे लेकर असमंजस है। तो कभी जीवन में घटित किसी घटना के कारण, लक्ष्य कहीं दूर अलग और मैं किसी और रास्ते। तो कभी यह भी आभास हुआ कि, यह मुझसे नहीं हो पायेगा। फिर कभी यह भी लगता कि मुझे ये भी करना है और वो भी और वो भी।

समय के साथ और अनुभवों से प्रेरणा लेकर मैंने यह जाना कि

● सही समय पर सही लक्ष्य का निर्धारण करना अति आवश्यक है।

समय निकल जाने पर किए गए निर्णय अक्सर अपनी पकड़ छोड़ देते हैं।

● बिना पर्याप्त शोध के चुना गया लक्ष्य, वास्तव में आपको अनावश्यक क्रियाओं को करने के लिए वशीभूत कर देता है।

इसलिए ,लक्ष्य से सम्बंधित सारी विशिष्ट जानकारी और उसके विवरण का भली भाँति ज्ञान होना अनिवार्य है।

● लक्ष्य का बहुआयामी होना, गलत नहीं है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि हम सब बहुमुखी जीवन जीते हैं और कहीं न कहीं हमारा ध्यान जीवन के सभी क्षेत्रों की ओर रहता है। इसलिए एक समावेशी और बहुआयामी लक्ष्य के होने से ,जीवन के प्रत्येक पहलूओं को, आपके लक्ष्य में ,छोटा ही सही, पर एक मजबूत स्थान मिलेगा।

●  लक्ष्य का निर्धारण, हमारे वास्तविक आवश्यकताओं का प्रतिनिधि होता है।

अगर आपको वो चीज़ मिल रही है, जिसकी आपको जरूरत है, तो फिर आपने सही लक्ष्य का चुनाव किया है।

हर चुनाव सही हो ये जरूरी नहीं। पर उनसे सीखना ,ये बहुत जरूरी है।

कई बार लक्ष्य और कार्यक्रम निर्धारित करते समय, असफलता से सीखने के बजाय, हम हार मान लेते हैं।

विफलता से सीखें और अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर बनाई गई अनुसूची को अधिक यथार्थवादी होने के लिए बदलें।

अधिकतर यह समझा जाता है कि विफलता एक नकारात्मक भाव है, लेकिन सच्चाई यह है कि, यदि हम कभी-कभी असफल नहीं होंगें तो हम बहुत कुछ नहीं सीख पाएंगे और संभावना है कि हम अपने लक्ष्य से यूँही दूर हो जायेंगे।

हमारा लक्ष्य कभी भी किसी अन्य व्यक्ति का प्रतिनिधि नहीं होना चाहिए।

किसी और के लक्ष्य से प्रेरणा ली जा सकती है पर उसे ही अपना लक्ष्य समझना, जैसे कि परीक्षा में, पहले ही सवाल का गलत उत्तर देना।

यह वास्तव में बहुत बुरी भावनाओं और आक्रोश का कारण बन सकता है जो सर्वोत्तम-रखी योजनाओं को पटरी से उतार सकता है।

● लक्ष्य सहायक उपकरणों के सहयोग से, जब हम अपने लक्ष्य को अपने तयशुदा रणनीति के हिसाब से, सफल बनाने की प्रकिया में अग्रसर होंगे, तब, हमें जो खुशी मिलेगी, वही व्यक्तिगत रूप से हमारे लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन का स्त्रोत बनेगी।

यह ब्लॉग लिखने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है कि 

हम महिलाएं ज्यादातर मामलों में अपने जीवन के लक्ष्य को अपने परिवार के लक्ष्य के साथ जोड़ लेती हैं। गलत नहीं है ये पर पूरी तरह से सही भी नहीं है।

रिश्तों में बंधी, कई पड़ाव से गुजरती और सबकी खुशी में, सबकी कामयाबी के बीच में खुद के लिए सोचा हुआ उद्देश्य को कहीं पीछे छोड़ आती हैं और ये आंकलन करना भूल जाती हैं कि क्या यही हमारा निर्धारित लक्ष्य है? क्या मुझे इसी लक्ष्य की तलाश थी? क्या ये लक्ष्य मेरे इर्दगिर्द केंद्रित है?

हममें से कई महिलाओं के पास लक्ष्य है तो वो उससे खुश नहीं है। किसी के पास बहुत सारे लक्ष्य हैं पर पता नहीं किसे पहले रखें और किसे बाद में। कोई अपने बहुत पुराने लक्ष्य को अंदर दबाये हुए है तो कोई किसी सामाजिक या पारिवारिक कारणों वश अपने लक्ष्य को डब्बे में बंद कर बैठी है।

मेरा उन सब से अनुरोध है कि खोजिए ख़ुद को, तलाश कीजिए उस लक्ष्य कि और उसे सम्पूर्ण रूप से एक सफल अंत तक लेकर जाइए।

और जो लोग पहले से इस पर कार्यरत हैं, आप बहुत ही उम्दा काम कर रही हैं। बस यूँही डटे रहिये, सफलता आपका इंतजार कर रही है।

मूल चित्र: andrea piacquoadio via pexels 

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