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क्यूं हमारा खुद पर अधिकार नहीं…

अपने अधिकारों के लिए मैं लडूंगी हर बार, ना छीन पाओगे मेरी तुम सत्ता, करती हूं ये ऐलान, ना ललकारना मुझे, बन जाऊंगी चंडी करने सबका संहार।

अपने अधिकारों के लिए मैं लडूंगी हर बार, ना छीन पाओगे मेरी तुम सत्ता, करती हूं ये ऐलान, ना ललकारना मुझे, बन जाऊंगी चंडी करने सबका संहार।

सहमी-सहमी सी रहती है, चुपचाप सब सहती है,
दुनिया उसे हद में हर बार रहने को कहती है,
स्वतंत्र होकर सड़कों पर उसे हंसना मना है,
लड़कों से बातें करना तो उसे सख्त मना है।

उसके चरित्र का सर्टिफिकेट समाज देता है,
स्त्री के अधिकारों का हनन ये समाज करता है,
क्यूं हर बार हमें अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है,
ना चाहते हुए भी सपनों की बलि देनी पड़ती है।

स्वतंत्र देखना हमें इस समाज को पसंद नहीं,
क्यूं हमारा खुद पर अधिकार नहीं,
पितृसत्तात्मक सोच वालों कब तक बिछाओगे ये जाल।

अपने अधिकारों के लिए मैं लडूंगी हर बार,
ना छीन पाओगे मेरी तुम सत्ता, करती हूं ये ऐलान,
ना ललकारना मुझे, बन जाऊंगी चंडी करने सबका संहार।

मूल चित्र : Still from the Short Film (Suta) The Daughter, YouTube

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