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क्या कोरोना वैक्सीन लगाने से मुझे कोई रिएक्शन होगा? आपके सवाल और उनके जवाब

कोरोना वैक्सीन टीकाकरण के इस चरण में हमारे माता-पिता और ऐसे लोग हैं जिन्हें गंभीर बीमारी है, तो ऐसे में प्रश्नों की बौछार संभाविक है।  

कोरोना वैक्सीन टीकाकरण के इस चरण में हमारे माता-पिता और ऐसे लोग हैं जिन्हें गंभीर बीमारी है, तो ऐसे में प्रश्नों की बौछार संभाविक है।  

आज नेशनल वैक्सीनेशन डे है। 1995 में आज ही के दिन पहली ओरल पोलियो वैक्सीन दी गयी थी और आज हम ये सभी जानते है कि भारत मे कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ व्यापक टीकाकरण अभियान 16 जनवरी 2021 से शुरू हो गया है। भारत में दो वैक्सीन को मंजूरी दी गयी है जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन ‘कोविशिल्ड’ और दूसरी भारत बॉयोटेक की ‘कोवैक्सीन’ है।

कोरोना वैक्सीन को लेकर पहले से ही लोगों के मन मे तमाम तरह के सवाल उठ रहे थे लेकिन अब जब  दूसरे चरण में ये वैक्सीन आम जनता को लगना शुरू हो चुका है, तब से लोगों के मन में इसको लेकर और ज्यादा सवाल उठने लगे हैं।

जैसे-जैसे वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, वैसे तमाम तरह के सवाल भी सोशल मीडिया एवं आम लोगों के बीच उठना शुरू हो गए हैं, जिससे आम लोग ये सोचने लगे हैं कि वो ये वैक्सीन लगवाए कि नहीं। और भी कई तरह के सवाल उनके मन में उठने लगे हैं, जैसे कि क्या ये वैक्सीन सुरक्षित है? क्या ये वैक्सीन कोरोना सेे हमारी सुरक्षा कर सकता है? इसके क्या क्या साइड इफेक्ट्स होंगे? क्या इस वैक्सीन को लेने के लिए उन्हें ऑफिस से 28 दिनों की छुटियाँ लेेनी होंगी? इत्यादि।

और इनमें भी सबसे सबसे अधिक पूछे जाने वाला सवाल है कि कोवैक्सीन और कोविशिल्ड  में क्या अंतर है?

कोवैक्सीन और कोविशिल्ड में क्या अंतर है?

‘कोवैक्सीन’ को भारत बॉयोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(आईसीएमआर) के साथ मिलकर बनाया है। इसीलिए इसे स्वदेशी वैक्सीन कहा जाता है। यह कोरोना संक्रमण के खिलाफ एन्टीबॉडी पैदा करती है।

जबकि ‘कोविशिल्ड’ ऑक्सफोर्ड और ऐस्ट्रोजेनेका का भारतीय संस्करण है। सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया कम्पनी भारत मे इसका उत्पादन कोविशिल्ड के नाम से कर रही है। इस वैक्सीन का विकास कॉमन कोल्ड एडेनोवायरस से किया गया है।

लेकिन दोनों ही वैक्सीन एक समान प्रभावशाली हैं। दोनो ही वैक्सीन की दो खुराक लेनी होगी। दोनों खुराक के बीच 28 दिन का अंतर रखना होगा।

पहले चरण में फ्रंट लाइन वर्कर्स को कोरोना का वैक्सीन लगा, इसके बाद सफाईकर्मियों को टीका लगा और इसके बाद पुलिसकर्मियों, सुरक्षाकर्मियों, सुरक्षा बल के जवानों को कोरोना का वैक्सीनेशन हुआ।

अब दूसरा चरण चल रहा है जिसमें सीनियर सिटिज़न्स और 45 वर्ष से ऊपर जो लोग गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन लोगों को टीका लगाया जा रहा है। लेकिन जैसे ही आम जनता को टीका लगने की बारी आयी तो डर उठाना संभाविक है।

कई लोग टीका लगवाना नहीं चाहते। कई लोग इसके साइड इफेक्ट्स से डर रहे हैं। और क्यूंकि इस चरण में ज़्यादातर हमारे माता-पिता, अन्य बुजुर्ग और हमारे ऐसे प्रियजन हैं जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो मन में प्रश्नों की बौछार ज़्यादा है।  

आप के ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब हमने जानने के लिए बात की मुंबई के केम अस्पताल की कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ गीता हेगड़े से जिन्होंने वैक्सीन से जुड़े हमारे इन्हीं प्रश्नो के उत्तर दिए।

तो आइए जानते है कोरोना वैक्सीन से जुड़े कुछ सवालों के जवाब –

सीनियर सिटीजन की तय उम्र सीमा क्या रखी गयी है अगर मैं बात करुँ अपने बुजुर्ग माता पिता की जिनकी उम्र 89 और 90 है तो क्या ये टीकाकरण हम उनको करा सकते है?

इस सवाल के जवाब में वो कहती हैं, “हाँ” बिल्कुल लगवा सकते हैं लेकिन उसके लिए कुछ नियम अपनाने होंगे। दरअसल इस चरण में दो काटेगोरिज़ हैं –

पहला- 60 साल से लेकर उससे अधिक उम्र तक के लोगों की

दूसरा- 46 साल से लेकर 59 साल की उम्र तक के ऐसे लोग जो किसी ना किसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित हैं।

लेकिन इसके लिए उन्हें पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ ही जो सीनियर सिटीजन जिनकी उम्र 60 साल या उससे ऊपर है तो आपको टीकाकरण सेंटर पर  अपने साथ भारत सरकार द्वारा मान्य आधार या वोटर आई डी कार्ड या फ़ोटो पहचान पत्र साथ लाना होगा।और अगर आपकी उम्र 46 साल से ज्यादा की है और कोमॉर्बिडिटी  या गंभीर बीमारी है तो उसका सर्टिफिकेट साथ लाना होगा।

क्या ऑटो इम्यून डिसऑर्डर या थ्रम्बोसाइटोपीनिया(ITP idopathic Thrombocytopenia Purpura) का मरीज ये टीकाकरण करा सकता है?

हाँ लगवा सकते हैं। लेकिन इससे पहले आप अपने डॉक्टर को अपने बीमारी और ली जाने वाली दवाओं की सही जानकारी मुहैया कराएँ।

क्या ये टीकाकरण हार्ट पेशेंट या कार्डियक पेशेंट के लिए सुरक्षित है?

हाँ, ये उनके लिए पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन अगर उनकी उम्र 46 से 59 के बीच है तो डॉक्टर को पहले अपना कोमॉर्बिडिटी सर्टिफिकेट दिखा दें।

क्या ये वैक्सीन किडनी ट्रांसप्लांट पेशेंट भी लगवा सकते हैं?

जवाब में डॉ गीता कहती है बिल्कुल ले सकते हैं, लेकिन जब भी टीकाकरण के लिए जाए या रजिस्ट्रेशन कराए तो आपके डॉक्टर द्वारा दिये गए हेल्थ सर्टिफिकेट को साथ लेकर जाए।

क्या डायबिटीज,ऑथराइटिस, हाइपरटेंशन इत्यादि से ग्रसित मरीज को ये वैक्सीन नहीं लगवानी है?

इस सवाल के जवाब में वो कहती हैं, “नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बल्कि अगर आप को ये बीमारियां है और आपकी उम्र 46 से ऊपर है तो आप ये टीकाकरण जरूर कराइये।

क्या जिनके प्लेटलेट्स काउंट कम है उनको ये वैक्सीन लगवानी चाहिए?

नहीं अगर आपका प्लेटलेट्स सामान्य काउंटिंग से कम हैं तब आपको ये वैक्सीन नहीं लगवानी है आप थोड़ा इंतजार कर लें। जब आपका प्लेटलेट्स काउंट सामान्य हो जाये तो आप ये वैक्सीन लगवा सकती हैं।

क्या युवा जोड़ों को जो प्रजनन प्रक्रिया के बारे में सोच रहे हैं उन्हें ये वैक्सीन लगवानी चाहिए?

पुरुषों को तो टीकाकरण कराने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर महिला गर्भवती है या दो तीन महीने के बीच आप प्लानिंग कर रहे हैं प्रेग्नेंसी के लिए तो ये वैक्सीन आपको नहीं लगवानी है। यदि अभी आप प्रेग्नेंसी के बारे में नहीं सोच रहे या एक दो साल बाद कि आपकी प्लानिंग है, तब आप वैक्सीन लगवा सकते हैं

जैसा कि हम सब देख रहे है कि भारत मे कोरोना का दूसरा फ़ेस शुरू हो गया है, ऐसे में ये वैक्सीन कितनी कारगर सिद्ध होगी?

ये टीकाकरण बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा क्योंकि ये हमारे शरीर के अंदर इम्यून सिस्टम को मजबूत करेगा इस बीमारी से बचाव में लेकिन वैक्सीन लगने के बाद भी हमें कोविड 19 से जुड़ी सभी सुरक्षा नियमों, जैसे मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंस रखना , हैंड सेनेटाइज इत्यादि जैसे सभी जरूरी सुरक्षा नियमों का भी पालन करना होगा।

क्या ये वैक्सीन सुरक्षित है क्योंकि इसको बहुत कम समय मे बनाया गया है?

हाँ, ये पूरी तरह से सुरक्षित है ये सच है कि वैक्सीन बहुत कम समय मे बनाई गई है लेकिन इसके पीछे हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत है सुरक्षा और प्रभाव के डेटा की जांच करने के बाद ही किसी वैक्सीन को मंजूरी दी जाती है ऐसे ही नियमों के जांचों की मंजूरी के बाद ही नियामक निकायों द्वारा ये वैक्सीन लगाई जा रही है।

क्या वैक्सीन लगाने के बाद कोई साइड इफेक्ट भी हैं?

वैक्सीन लगाने के बाद वैसे तो कोई गम्भीर साइड डिफ़ेक्ट नहीं है लेकिन आपको हल्का बुखार, सिरदर्द, शरीर का दर्द हो सकता है, जैसा कि सामान्य टीकाकरण के समय होता है। यदि ऐसा होता है तो इसको लेकर कोई विशेष चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इससे अलग अगर कोई समस्या हो या कोई गंभीर एलर्जी होती है कोई लक्षण आपको परेशान करता है और उसकी तीव्रता कम नहीं होती तो आप अपने नजदीकी अस्पताल जाए या अपने स्वास्थ्य प्रदाता को  तुरंत  सम्पर्क करें, एवं उन्हें सूचित करें।।

वैक्सीन लगने के कितने दिन बाद एन्टीबॉडी विकसित होगी?

वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के 14 दिनों बाद एन्टीबॉडी का स्तर विकसित होगा।

मार्केट में दो वैक्सीन मौजूद हैं तो क्या हमें ये सुविधा दी जाती है कि हम खुद चुनाव करें कि हमें कौन सी वैक्सीन लगवानी है? या हमने पहले जिस ब्रांड की वैक्सीन लगवायी है तो दूसरे खुराक में उसको बदल सकते हैं?

नहीं ,अभी भारत मे ये सुविधा उपलब्ध नहीं है। जब आप वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा कर सेंटर पर वैक्सीनेशन के लिए जाते है तो उस सेंटर पर उपलब्ध वैक्सीन ही आपको लगवानी होंगी। और एक ही ब्रांड के वैक्सीन की दोनो खुराक आपको लेनी होंगी।

क्या कोरोना संक्रमित व्यक्ति भी ये वैक्सीन लगवा सकता है?

नहीं, कोरोना से संक्रमित व्यक्ति ठीक होने के बाद ही ये वैक्सीन लगवा सकता है।

क्या बिना रजिस्ट्रेशन के कोरोना की वैक्सीन मिल सकती है?

नहीं, वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है उसके बाद ही आपको तारीख और समय बताया जाएगा। ( नोट: अब कई सेंटर वाक-इन रजिस्ट्रेशन भी कर रहे हैं)

कैसे पता चलेगा कि टीकाकरण हो गया है?

कोविड का पूरा वैक्सिनेशन शेड्यूल पूरा होने के बाद रजिस्टर्ड नम्बर पर sms आएगा। और वैक्सीन के पूरे डोज होने के बाद QR आधारित सर्टिफिकेट भी रजिस्टर्ड नम्बर पर भेजा जाएगा।

तो ये थे कोरोना वैक्सीन को लेकर उठने वाले तमाम सवाल जिनके जवाब हमने आपको यहाँ अपने एक्सपर्ट से बात करके दिए। लेकिन अगर आपको कोविड-19 वैक्सीन से जुड़े ऐसे की कुछ और सामान्य सवालों के जवाब चाहिए तो आप यहाँ से क्लिक करके जान सकते हैं।

कोविड वैक्सीन से जुड़ी किसी भी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें, उनसे ज़रूर पूछें।

डिस्केलेमर: उपरोक्त जानकारी डॉक्टर से की गई बातचीत के आधार पर दी गयी है। लेकिन कोई भी सलाह अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

मूल चित्र : BBC Hindi

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