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सासू माँ, आज थोड़ा मीठा हो ही जाए…

स्वाति ने जैसे ही डिब्बा खोला, उसे मिठाई कम लगी। उसने विशाल से पूछा तो उसने कहा, "हो सकता है दादी या पापा में से किसी ने खाई हो।"

स्वाति ने जैसे ही डिब्बा खोला, उसे मिठाई कम लगी। उसने विशाल से पूछा तो उसने कहा, “हो सकता है दादी या पापा में से किसी ने खाई हो।”

स्वाति की आज पहली रसोई थी। सास गीता जी ने करीने से सारा सामान लगाकर रसोई में रख दिया था, जिससे नई बहू को खीर बनाने में कोई भी दिक्कत ना हो। डरी सहमी स्वाति जैसे ही रसोई में गई, गीता जी ने अपने हाथों के स्पर्श से उसे हिम्मत दी।

रसोई से बाहर निकल गीता जी सभी रिश्तेदारों की आवभगत में लग गईं। स्वाति ने देखा उसकी सास ने हर चीज़ को पहले से एक मात्रा में रख दिया था। जिससे खीर बनाने में कोई दिक्कत ना हो।

खीर की खुशबू अब बाहर तक आने लगी थी कि स्वाति की बुआ सास बोलीं, “वाह लगता है खीर बहुत स्वादिष्ट बनी है, उसकी खुशबू से लग रहा।”

स्वाति ने सभी बड़े बुजुर्गो को अपने हाथों की बनी खीर परोसी।

“वाह! गीता तेरी बहू तो साक्षात अन्नपूर्णा है, बहुत स्वाद है इसके हाथों में”, दादी सास बोलीं।

स्वाति ने आंखों ही आंखों में अपनी सास को धन्यवाद दिया। थोड़ी देर बाद स्वाति खीर की कटोरी लेकर गीता जी के पास गई और उसने कहा, “मां! ये खीर आपके लिए।”

गीता जी ने एक चम्मच खीर चख स्वाति को कटोरी वापस कर दी।

“क्या हुआ मां? खीर अच्छी नहीं बनी?” स्वाति ने पूछा।

“बेटा! खीर बहुत स्वादिष्ट है पर मुझे डायबिटीज है, तो मुझे मीठा मना है।” स्वाति को ये सुनकर बहुत बुरा लगा। मेरी इतनी प्यारी सास को ये बिमारी? पर कोई नहीं मैं उनकी पसंद की हर चीज़ बनाऊंगी।

दूसरे दिन स्वाति के पति विशाल ने आफिस से आकर मिठाई का डिब्बा फ्रिज में रखा और स्वाति से बोला, “ये हम सब डिनर में खाएंगे।”

रात में खाना खाने के बाद स्वाति ने जैसे ही डिब्बा खोला उसे मिठाई कम लगी। उसने विशाल से पूछा तो उसने कहा, “हो सकता है दादी या पापा में से किसी ने खाई हो।”

स्वाति ने धीरे-धीरे देखा ये किस्सा घर में कई बार हुआ। जब कोई मीठी चीज़ आती तो वो बाद में कम ज़रूर हो जाती थी। उसने सासू मां से पूछा तो उनके पास भी कोई हल नहीं था। सबका शक अब दादी पर जा रहा था। स्वाति ने एक चीज़ और ध्यान दी जब भी कोई मीठी चीज़ आती तो वो सासू मां के लिए नहीं होती थी।

स्वाति ने कई बार विशाल को टोका, “तुम मां के लिए मीठा क्यों नहीं लाते?”

“अरे! स्वाति तुमको तो पता है ना कि मां डायबिटिक हैं और मीठा मना है। यही कारण है कि मैं उनके लिए नहीं लाता।”

स्वाति बोली, “पर विशाल हम उनको थोड़ा सा तो दे सकते हैं? जो उनको नुकसान भी नहीं करेगा। आखिर उनका भी तो मन होता होगा।”

विशाल बोला, “हमने तो मना नहीं किया जब वो ही नहीं खाना चाहती तो हम क्या करें?”

स्वाति अपनी प्यारी सास के लिए परेशान रहती थी। एक दिन रात में पानी का जग खाली हो गया। जिसे भरने वो नीचे रसोई में गई। अचानक से उसे खट-पट की आवाज़ आई उसे लगा रसोई में बिल्ली घुस गई। जैसे ही उसने लाइट जलाई उसकी तो हंसी छूट गई।

“मां जी! आप और ये क्या है आपके हाथ में?”

गीता जी की चोरी पकड़ी जा चुकी थी। स्वाति ने उन्हें मिठाई खाते रंगे हाथों पकड़ा था। बेचारी गीता जी बहुत शर्मिंदा महसूस कर रही थीं‌। उनकी हालत देख स्वाति ने बात संभाली, “मेरी प्यारी सासू मां को अब जब भी मीठा खाने का दिल करेगा तो उनकी बहू सेवा में हाज़िर रहेगी।”

स्वाति की बात सुन गीता जी को हंसी आ गई। स्वाति ने उनको आश्वस्त किया कि ये बातें सिर्फ सास-बहू के बीच ही रहेंगी।

दूसरे दिन डिनर टाइम में स्वाति ने जब सबको मीठा परोसा तो थोड़ा मीठा गीता जी को भी दिया और कहा, “सासू मां! थोड़ा मीठा हो जाए!” और दोनों सास-बहू हंसने लगीं। पर  इस सास बहू की जुगलबंदी में आज तक घर के लोग दादी को ही मिठाई चोर समझ रहे हैं।

दोस्तों! कैसी लगी मेरी कहानी अपने विचार ज़रूर व्यक्त करें और साथ ही मुझे फाॅलो करना ना भूलें। 

मूल चित्र : Still from Jos Alukkas ad, YouTube

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