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हां बेटी हूँ, बेटी कहो!

कहते हैं अपना सिक्का खोटा तो परखने वाले का दोष नहीं, शर्मिंदा ना समझें खुद को बेटी पा कर, ये बात हर बेटी को समझनी चाहिए...

कहते हैं अपना सिक्का खोटा तो परखने वाले का दोष नहीं, शर्मिंदा ना समझें खुद को बेटी पा कर, ये बात हर बेटी को समझनी चाहिए…

ना चाहा ना चाहिए ज्यादा, हक़ जो मेरा है वो मिलना चाहिए।
क्यूँ कहते हो बेटी बेटा ही है, बेटी हूँ बेटी ही कहना चाहिए।

बात बराबरी की करते-करते बराबर से भी नीचे गिराते हो,
यूँ दोगली बातें मन में रखने वालो शर्म जरा तो आनी चाहिए।
भ्रूण हत्या, दहेज़ पे यूँ तो कानूनी दरबान कई बैठा दिये,
बेटी है ये बाद में कहना, पहले इंसान हूँ ये समझ आना चाहिए।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान खूब चर्चा में आते हैं,
विलुप्त जीवों को दो संरक्षण, बेटी के लिए सोच बड़ी होनी चाहिए।
कहते हैं अपना सिक्का खोटा तो परखने वाले का दोष नहीं,
शर्मिंदा ना समझें खुद को बेटी पा कर, ये बात हर बेटी को समझनी चाहिए।

अब ये ना समझना कोई बैर पुराना मुझे बेटों से,
मगर बेटी के नाम पर कोरी जुमलेबाज़ी नहीं चाहिए।

मूल चित्र : Azraq Al Rezoan via Unsplash

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