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क्या तुम्हारी हर गलती के लिए मैं ज़िम्मेदार हूँ?

हर गलती का हमेशा जिम्मेदार मुझे ही ठहराया जाता है, दूसरों के लिए छोटा, पर मेरे लिए मेरा आत्मसम्मान, शायद तब सबसे बड़ा हो जाता है।

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हर गलती का हमेशा जिम्मेदार मुझे ही ठहराया जाता है, दूसरों के लिए छोटा, पर मेरे लिए मेरा आत्मसम्मान, शायद तब सबसे बड़ा हो जाता है।

दूसरों के लिए छोटा,
पर उसके लिए उसका आत्मसम्मान,
शायद तब सबसे बड़ा हो जाता है।
अपने ज़मीर की आवाज़ सुनना,
अब उसके लिए बेहद ज़रूरी हो जाता है।

हर दूसरे पल सवाल उठाया जाता है,
जब उसके अस्तित्व पर।
मौन रहकर भी, बिना बोले ही,
सिर्फ़ भंगिमाओं से उसे जब दोषी ठहराया जाता है।

खो देती है वो अपनी पहचान,
अपनी नज़रों में ही,
जब उसे अपना ही चेहरा,
दूसरों के आइनों में दिखाया जाता है।

पड़ जाती है सोच में,
कि किया क्या है ऐसा उसने?
हर गलती का जिम्मेदार उसे ही ठहराया जाता है,
हर गलती का जिम्मेदार उसे ही ठहराया जाता है।

दूसरों के लिए छोटा पर
उसके लिए उसका आत्मसम्मान
शायद तब सबसे बड़ा हो जाता है,
अपने ज़मीर की आवाज़ सुनना
अब उसके लिए बेहद जरुरी हो जाता है।

मूल चित्र : YouTube 

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Deepika Mishra

I am a mom of two lovely kids, Content creator and Poetry lover. read more...

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