कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
दहेज के खिलाफ 'दहेज खोरी बंद करो' कैंपेन UN Women की ओर से चलाया जा रहा है और अली जीशान की 'नुमाइश' इसी कैंपेन का हिस्सा है।
दहेज के खिलाफ ‘दहेज खोरी बंद करो’ कैंपेन UN Women की ओर से चलाया जा रहा है और अली जीशान की ‘नुमाइश’ इसी कैंपेन का हिस्सा है।
दहेज़ मानवीय समाज में मौजूद वह प्रथा है जिसका चलन सभ्यता के शुरुआत के कुछ दशकों के बाद से ही देखने को मिलता है। इससे जुड़ी अमानवीय पीड़ा को समझते हुए मानवीय संवेदनाओं के उरोज़ पर दुखी लोगों ने तमाम प्रयास ही नहीं किया। समाज को सहिंताबद्ध करने के लिए कठोर कानून तक बनाए, पर वह आज भी मौजूद हैं। समय के साथ इसके स्वरूप में भौतिकवादी सुविधाओं के हिसाब से बदलाव देखने को मिलता रहा है, किसी न किसी रूप में यह अपनी मौजूदगी दर्ज कराता रहा है।
दहेज़ प्रथा के मौज़ूदगी पर चोट करने के लिए प्रगतिशील तबकों का एक वर्ग हमेशा रचनात्मक अभिव्यक्तियों से मानवीय संवेदनाओं को कुरदने-उधेड़ने की कोशिशे करता है। उसी कड़ी में कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर Bridal Couture Week 2021 में उरारी गई तस्वीरों में फैशन डिजाइनर अली जीशान की पेशकश काफी वायरल हो रही है।
इस फैशन वीक में ड्रेस के डिजाइन दिखाने के साथ-साथ दहेज़ के खिलाफ एक सख्त पैगाम दिया जा रहा है। फैशन डिजाइनर अली जीशान ने अपने प्रस्तुती में समाज के दोगलेपन पर शानदार तंज किया है जो कहता है कि “हमें अपने लड़के के लिए तो बस लड़की चाहिए और जो आपकी इच्छा…”
उनकी प्रस्तुती मूल रूप से यह कहती है कि “दहेज़ माँगने और दहेज़ देने का तरीका बंद करने के दिशा में हमें पहल करना चाहिए।” हालांकि अली जीशान की आलोचना दूल्हन के मंहगे कपड़े और गहनों के ऊपर भी हो रही है। यह आलोचना दहेज़ के बड़े मुद्दे के पीछे दब सी जाती है।
View this post on Instagram A post shared by Ali Xeeshan (@alixeeshantheaterstudio)Never miss real stories from India's women.Register Now
A post shared by Ali Xeeshan (@alixeeshantheaterstudio)
कमोबेश एक मिनट और कुछ सेकंड के विडिओ प्रस्तुति में एक नौजवान लड़की जो अभी शादी के उम्र को नहीं पहुंची एक भारी शादी के जोड़े में मेकअप और जेवरात से लैंस होकर एक ऐसे छकड़े (हाथ से खिचने वाली बैलगाड़ी) को खीचती नज़र आती है जो दहेज़ के समानों से लदी हुई है।
यह प्रस्तुति सोसल मीडिया पर लोगों को रूककर देखने और सोचने को मज़बूर तो कर रही है। यह प्रस्तुती यून विमन पाकिस्तान के साथ पाटर्नरशिप करके तैयार की गई है। एक उम्र से बड़ा दूल्हा, कम उम्र दूल्हन, दूल्हन के माता-पिता और छकड़े पर दहेज़ का समान रखते कुछ लोग इस फैशन शो की प्रस्तुति में नज़र आते हैं।
छकड़े पर दहेज़ का समान के साथ के साथ अधिक उम्र दूल्हा भी लदा ऩजर आता है। दूल्हन बहुटी मुश्किल से उस छकड़े के वजन को बर्दास्त कर पा रही है। उसके वालिददेन उसकी तकलीफ समझ रहे हैं और उसके आंखो से आंसू पोंछ रहे हैं। जाहिर है प्रस्तुति केवल दहेज ही नहीं, बेमल विवाह पर भी तंज कस रही है जिसमें कम उम्र लड़कियों की शादी उम्रदराज मर्दों से कर दी जाती है। यह समस्या भी दहेज़ से जुड़ी हुई है इसलिए वह खुद-ब-खुद ही इस प्रस्तुति में नथ्थी हो जाती है।
कोई शक ही नहीं है कि दहेज लड़कियों के लिए इतना बड़ा बोझ है जिसे वह बमुश्लिक ही बर्दाश्त कर पाती हैं। पर हमारे समाज में आज भी यह दकियानूस और बुरे रस्म-रिवाज न केवल मौजूद हैं बल्कि उन्होंने समय के साथ अपनी शक्लों-शूरत में थोड़ी तब्दीली भी कर ली है।
फैशन डिजाइनर अली जिशान और यूएन विमेन की साझी प्रस्तुती यह सवाल समाज से पूछती है कि “दहेज़ एक लानत है फिर इस लानत को लोग लेना क्यों चाहते हैं? इसको खत्म क्यों नहीं करते? क्यों इससे मजबूर होकर लड़कियों के वालिदेन(माता-पिता) अपनी बच्ची को उम्रदराज से साथ जीवन जीने को मज़बूर होते हैं? फिर भी दहेज़ उनका पीछा नहीं छोड़ता है।”
मानवीय सभ्यता में विवाह और परिवार सबसे पुरानी सस्था है। सभ्यता-संस्कृत्ति के बदलाव के बाद आज हम जिस लोकतांत्रिक समाज में रह रहे हैं, वहां विवाह संस्था में भी कई लोकतांत्रिक अधिकारों से दखल देकर इसे और अधिक मानवीय बनाया है। तमाम लोकतांत्रिक और सुधारवादी प्रयासों के बाद भी हम परिवार बनाने की शूरुआत जिस विवाह संस्था से होती है उसकी संरचना में दहेज़ प्रथा को छोड़ नहीं कर पा रहे हैं। वह जस की तस उसी रूप में बनी हुई है।
कई अर्थो में वह पहले से अधिक मज़बूत हुई है क्योंकि अब इस पर पब्लिक स्पेस में बातचीत ही नहीं की जाती है। समाज के कमोबेश सभी तबकों में उसकी मौन स्वीकॄति स्वीकार ली गई है। यह दहेज़ प्रथा का और भी विदूप रूप है क्योंकि इससे उत्तपन्न हुए शोषण और उत्पीड़न पर भी फिर मौन स्वीकृति ही देखने को मिलेगी।
इसी मौन स्वीकृति को फैशन डिज़ाइनर अली जिशान ने प्रस्तुत किया किया संगीत के एक धुन के साथ बिना किसी संवाद के साथ। वह जानते हैं इस समस्या को शब्दों की जरूरत है ही नहीं क्यों दहेज जैसी समस्या से शायद ही कोई स्त्री-पुरुष होगे जिसकी टक्कर नहीं हुई होगी।
मूल चित्र : Twitter/ UN Women Pakistan / alixeeshantheaterstudio)
read more...
Women's Web is an open platform that publishes a diversity of views, individual posts do not necessarily represent the platform's views and opinions at all times.