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मेरे अस्तित्व की यह परिभाषा

हर घर की मैं मुस्कान हूँ , शान हूँ। मेरे सहनशक्ति व त्यागमयी ममता मेरी ढाल हैं। कमजोर न समझना मेरा अस्तित्व चट्टान की तरह विशाल हैं।

हर घर की मैं मुस्कान हूँ , शान हूँ। मेरे सहनशक्ति व त्यागमयी ममता मेरी ढाल हैं। कमजोर न समझना मेरा अस्तित्व चट्टान की तरह विशाल हैं।

नर अगर शब्द हैं
तो नारी पूरी भाषा हैं
मेरे अस्तित्व की यह पूरी परिभाषा है
माँ -बेटी, बहु-बहन से पहले मैं एक औरत हूँ।
सीता भी मैं हूँ , दुर्गा भी मैं हूँ
अबला नहीं मैं सिंह की दहाड़ हूँ
जननी हूँ , बेइंतहा बेमिसाल हूँ
मेरे अस्तित्व से यह कायनात हसीन है।
हर घर की मैं मुस्कान हूँ , शान हूँ
मेरे सहनशक्ति व त्यागमयी ममता मेरी ढाल हैं
कमजोर न समझना मेरा अस्तित्व चट्टान की तरह विशाल हैं।

मूल चित्र: Bulbul Ahmed via Unsplash 

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