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और पति को लगा उन्हें मेरे दिल का रास्ता मिल गया…

पुरुषों के दिल का रास्ता पेट से गुजरता है, ये बात भी किसी बेवक़ूफ़ ने कही है। ताकि औरतें सिर्फ रसोई तक ही सीमित रहें।

पुरुषों के दिल का रास्ता पेट से गुजरता है, ये बात भी किसी बेवक़ूफ़ ने कही है। ताकि औरतें सिर्फ रसोई तक ही सीमित रहें।

‘औरत के दिल का रास्ता’ – इस विषय पर लिखने की ज़रूरत हमें इस लिए पड़ रही है क्योंकि हमें ये बताया गया है कि आदमी के दिल का रास्ता पेट से हो कर गुज़रता है। अब ये किसने बताया और क्यों इस पर चर्चा बाद में करेगें।

अब ये सुनकर लगता है कि कितना आसान है कि बस दिल तक का रास्ता ढूंढ लो और सब चीज़े फिर आसान हो जाएँगी। मैने भी बहुत कोशिश की मेरे दिल के रास्ते को जाने की, अब दिल मेरा है तो अगर मैं ही जान जाऊँ इसका रास्ता तो सब को बता पाना भी आसान हो जाएगा। और तब शायद सब लोग आसानी से मेरे दिल तक पहुंच सके।

शादी कर के ससुराल आई तो महसूस हुआ कि मायके में माँ बाप भाई मेरे दिल के ज़्यादा करीब हैं। यहां तो कोई मुझे समझता ही नहीं। जैसे तैसे समय चलता रहा। एक दिन पति ने कहा चलो बाहर घूम कर आते हैं। चाट गोलगप्पे आइसक्रीम खा कर मैंने कहा कि आज दिल को बहुत अच्छा लग रहा है। तो पति को लगा जैसे उन्हें मेरे दिल की राह मिल गई है। फिर तो ये रूटीन सा बनने लगा। अब कभी तो चाट या आइसक्रिम खाने बाहर चले जाते या कभी वो शाम को घर ले आते।

पर अब दिल का रास्ता धीरे धीरे बन्द होने लगा। अब ना तो चाट करारी रही और ना ही आइसक्रीम ठंडी।

फिर एक दिन पति को शॉपिंग के लिए कहा। शॉपिंग कर के दिल को बहुत आनंद आया। पति को भी लगा शायद यही है दिल की सही राह। फिर बस पति देव हर हफ्ते कुछ न कुछ खरीदवाने ले जाने लगे। कुछ दिन तो अच्छा लगा पर फिर 1+1 या 2+3 से मिलने वाली गैर जरूरी चीज़ों से घर भरने लगा और दिल भी।

और हम फिर निकल पड़े दिल की सही राह खोजने।

फिर एक दिन पति देव बहुत अच्छे मूड में थे। उन्होंने मेरी तारीफ की, मेरे खाने की तारीफ की, मेरे कामों की भी तारीफ की। बड़े प्यार से बातें की। दिल को फिर बहुत अच्छा लगा। उन्हें भी लगा कि अब तो शायद मंज़िल पा ही ली है।

फिर तो ये बस आदत सी बन गई। मेरी ग़लतियों पर चुप रहने की या बेवजह मेरी तारीफ करने की पर अब धीरे धीरे मुझे इन सब से बोरियत महसूस होने लगी। अब शायद ये भी दिल का रास्ता नहीं  था।

पुरुषों के दिल का रास्ता पेट से गुजरता है, ये बात भी किसी बेवक़ूफ़ ने कही है। ताकि औरतें सिर्फ रसोई तक ही सीमित रहें। और इस सिद्धांत ने पुरुषों को भावनात्मक रूप से कमज़ोर कर दिया है। सिर्फ खिला खिला कर ही अगर पुरुष के दिल तक पहुंच जाता तो ये दुनिया भर के कलेश न होते पति पत्नी में। और अब हम औरतें भी ऐसा ही सिद्धांत बनाना चाहती है। ये सिद्धांत सिर्फ रिश्ते को कमज़ोर करेगा और कुछ नही।

इसलिए शॉर्टकट्स मत खोजिये। वरना बाप-बेटी भाई-बहन और पति-पत्नी के बीच का हायफ़न, डैश में बदल जायेगा। दिल की राह एक ऐसी राह है तो व्यक्ति दर व्यक्ति और परिस्थिति के हिसाब से रोज़ बदलती है। एक ही राह पर चलकर दिल तक पहुंच पाना नामुमकिन है। और अगर दिल की कोई राह है तो वो बस दिल से दिल तक ही है। जिसको बस महसूस कर के ही पाया जा सकता है।

आप भी इस पर अपने विचार ज़रूर दे। फिर मिलते हैं, तब तक के लिए जय हो!

मूल चित्र : Azraq Al Rezoan via Pexels

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