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सबको मिली बस खुद से छिपी, औरत

किसी ने दालान में,किसी ने छत पर ढूंढा और किसी ने बालकनी में। जिसने जहां ढूंढा उसे वो वहीं मिलती रही। हर घर में बसी वो औरतखुद में रोज गुमती रही।

किसी ने दालान में,किसी ने छत पर ढूंढा और किसी ने बालकनी में। जिसने जहां ढूंढा उसे वो वहीं मिलती रही। हर घर में बसी वो औरत खुद में रोज गुमती रही।

घर आते ही हर किसी ने
बस उसे ही ढूंढा,
किसी ने माँ
किसी ने जाँ कहकर
किसी ने बिट्टो
किसी ने बा कहकर
किसी ने आई कहा
किसी ने ताई
किसी ने रसोई में ढूंढा
किसी ने कमरे में,
किसी ने बागीचे में ढूंढा
किसी ने दालान में
किसी ने छत पर ढूंढा
किसी ने बालकनी में !
जिसने जहां ढूंढा
वो उसे वहां मिली!
किसी ने चाय मांगी
किसी ने खाना
किसी ने पानी मांगा
किसी ने दवा
किसी ने इस्त्री किए कपड़े
किसी ने खोई फाईल
किसी ने दूसरी जुराब
किसी ने स्माइल
किसी ने नमक मांगा
किसी ने चीनी
किसी ने वक्त माँगा
किसी ने तख्त
किसी ने बाम मलवाया
किसी ने तेल !

जिसने जहां ढूंढा
उसे वो वहीं मिलती रही !
हर घर में बसी वो औरत
खुद में रोज गुमती रही !

मूल चित्र: Jyotimoy Gupta via Unsplash

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