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अभी वो दिन ले कर भी तो आना है, वो दिन नाना नानी, मामा से ना मिल पाएगा, ना समाज देगा, ना सरकार! वो तुम लाओगी माँ, तुम उठो!
माँ, मुझे सपना देना, लोरियाँ देना, वो जिनमे मैं अपने पंखों से ऊचाईयां छू रही हूँ, जिनमें मैं रानी बेटी हूँ, जो राज करे पर राजा के सहारे नहीं।
माँ, मुझे सिखाना कैसे मैं खुद लड़ सकती हूँ, हर परिस्थिति में संयम से, परिश्रम से कैसे मैं हासिल कर सकूं अपना लक्ष्य, अपने स्त्रीत्व से, पुरुषार्थ कर।
माँ, मुझे सजाना उस रिश्ते में जहाँ साथी हो, कोई स्वामी नहीं, जहाँ मेरे स्वाभिमान का सम्मान हो, मैं प्रेम दूँ और पाऊँ भी, आग जले, मेरे चौके में, पेट की आग बुझाने को, ना तुम्हें दहेज पे जलाने को, ना तुम्हारी अजन्मी बिटिया गिराने को।
माँ, चलो अभी बहुत देर है, ऐसा दिवस दूर है, चलो उठो माँ, अभी वो दिन ले कर भी तो आना है, वो दिन नाना नानी, मामा से ना मिल पाएगा, ना समाज देगा, ना सरकार!
वो तुम लाओगी माँ तुम्हारी लड़ाई है, तुम उठो! जो बचा है उठाओ, तुम्हारी हिम्मत और मैं।
मुझे वो सवेरा देखना है जो तुम मेरे लिए लायी हो माँ उठो!
मूल चित्र : Rajesh Rajput via Unsplash
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं एक अच्छी माँ कैसे बन सकती हूँ…
रंजनी हूँ! मैं, अब सिर्फ मैं हूँ
ये दिन तुम्हारा है, चलो इसी बात पर एक सच बतलाती हूँ तुमको आज माँ!
कल्पना एक प्रेम की…
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