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एक अच्छी परवरिश

बच्चों का तो काम होता है ज़िद करना पर उन्हें समझाना हमारी जिम्मेदारी होती है। उनके लिए क्या सही है ,क्या गलत बताना होता है ,समझाना होता है ताकि वह समझे।

बच्चों का तो काम होता है ज़िद करना पर उन्हें समझाना हमारी जिम्मेदारी होती है। उनके लिए क्या सही है ,क्या गलत बताना होता है ,समझाना होता है ताकि वह समझे।

“बच्चे छोटे हो या बड़े, समय रहते अगर उनको उनकी गलती का अहसास नहीं कराया, तो भविष्य में कभी भी वो अपनी  जिम्मेदारी को अच्छी तरह से नहीं निभा पायेंगे। पर हमारे घर की बात ही कुछ और है। बच्चे बड़े हो या छोटे उन्हें कुछ मत कहो चाहे वो कितनी भी गलती क्यों ना करें।” सुरभि ने अपने पति मयंक से कहा।

“क्या हो गया इतने गुस्से में क्यूँ हो? ऐसे क्यों बोल रही हो? “मयंक ने सुरभि से पूछा।

“आप तो जानते हैं आजकल के बच्चों को, उन्हें उनकी ही भाषा में समझाना बहुत जरूरी है।मेरी ऐनी  बहुत छोटी है। उसे मैं प्यार से उसकी भाषा में समझा देती हूं और वह समझ भी  जाती है  कि उसके लिए अभी क्या जरूरी है और क्या नहीं।” सुरभि ने मयंक को कहा।

सुरभि और मयंक की शादी को 5 साल हो गए हैं उनकी एक प्यारी सी बेटी है जिसका नाम ऐनी है। ऐनी 4 साल की है। सुरभि अपने सास-ससुर के साथ रहती है । ऐनी अपने दादा दादी की जान है। सुरभि के जेठ और जेठानी आए हुए हैं। उनके दो बच्चे है अदिति और आर्यन। आर्यन ऐनी से 1 साल छोटा है, वह 3 साल का है अदिति 5 साल की है। जेठानी के दोनों ही बच्चे बहुत ही ज्यादा जिद्दी है।

वो उनकी हर मांगों को पूरा करते चाहे वह उनके लिए सही हो या गलत। बच्चों का तो काम होता है ज़िद करना पर उन्हें समझाना हमारी जिम्मेदारी होती है। उनके लिए क्या सही है ,क्या गलत बताना होता है ,समझाना होता है ताकि वह समझे। जब से जेठ और जेठानी आये हैं, घर का माहौल ही बदल गया है। ऐनी बहुत खुश थी। तीनों बच्चे आपस में बहुत मस्ती करते। बच्चों में तो रूठना मनाना चलता है। आपस में झगड़ते भी हैं और  दोस्ती भी हो जाती है । आर्यन हमेशा ऐनी को परेशान करता वो कभी उसके खिलौने छीन लेता क्योंकि उसे भी वही खिलौने चाहिए होते। ऐनी  रोती पर सुरभि उसे कहती कोई बात नहीं, आप किसी और खिलौने से खेलो। मेरे जेठ और जेठानी को अपने बच्चों में कभी कोई कमी नहीं दिखती पर वो  दूसरों के बच्चों में खामियाँ निकालते रहते। सुरभि को बिल्कुल पसंद नहीं था कि कोई उसके बच्चे की तुलना दूसरे बच्चों से करे।

आज सुबह की ही बात है, तीनों बच्चे आपस में खेल रहे थे। अचानक, पता नही क्या हुआ और आर्यन रोता हुआ आया और उसे रोता देख मेरे जेठ जी गुस्सा करने लगे क्योंकि मेरे जेठ जी को कतई बर्दाश्त नहीं होता है कि उनके बच्चे रोयें । अदिति ने कहा कि ऐनी उसे धक्का दिया तो वो गिर गया है और उसे चोट भी लगी है। इसलिए वो रो रहा है। इतना सुनते ही जेठ जी ने मयंक को बहुत बोला “यही सिखाया है अपने बच्चों को, देख इसने क्या किया। वो हर समय आर्यन को तंग करती है। यही परवरिश दी है। ”

मयंक ने कहा, “भैया मैं अभी ऐनी से बात करता हूं उसने आर्यन को धक्का क्यों दिया।”

“ऐनी अपने आर्यन को धक्का क्यों दिया?” मयंक ने ऐनी से पूछा।

“पापा आर्यन ने मेरे खिलौने तोड़ दिए और पहले उसने मुझे धक्का दिया, तब मैंने उसे धक्का दिया। मुझे भी चोट लगी है। सॉरी पापा।” ऐनी ने कहा।

“भाईया ये बच्चों की आपस की बात है। इसमें इतना गुस्सा करने की कोई बात नहीं है। खेल-कूद में चोट लगती है। चोट दोनो को लगी है। मैं तो गुस्सा नही कर रहा हूँ।” मयंक ने कहा।

तभी सुरभि कहती है “आपने ऐसे कैसे बोल दिया कि हमने कैसी परवरिश की है? माफ कीजिएगा, पर आप दोनों से अच्छी परवरिश मैंने अपनी बेटी को दी है। आपको तो कभी भी अपने बच्चों में कोई गलती नजर आती ही नहीं है। बस दूसरों के बच्चों में गलतियाँ दिखती है। हम भी अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं पर उन्हें सही और गलत में फर्क करना भी सिखाते हैं। आर्यन हमेशा ऐनी को तंग करता है पर आप कहते हैं छोटा बच्चा है, छोटा भाई है कोई बात नहीं। ऐनी भी कोई बड़ी नहीं हुई है, वह भी एक छोटी बच्ची है पर वह तो कभी भी आर्यन को तंग नहीं करती। वह उसके साथ खेलना चाहती है। अभी बच्चे छोटे हैं उन्हें उनकी गलतियों पर प्यार से समझाए वरना कहीं ऐसा ना हो कि बाद में आप को परेशानी हो।” जेठ और जेठानी बिना कुछ बोले अपने बच्चों को लेकर वहां से चले जाते हैं।

बच्चों का मन बहुत कोमल होता है। उन्हें आप जिस सांचे में ढालेंगे वो उसी में ढाल जाएंगे। उन पर घर के माहौल और अपने माता-पिता के व्यवहार का बहुत असर पड़ता है। वो वही करते और सीखेते हैं जो वो देखते और सुनते हैं। कभी भी अपने बच्चों की तुलना दुसरे बच्चों से ना करे। उन्हें अच्छी परवरिश दें।
मूल चित्र: Pocket Films via YouTube

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