कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

राधिका आप्टे की ए कॉल टू स्पाई में है तीन बहादुर महिलाओं की सच्ची कहानी…

11 दिसंबर को अमेजन प्राइम पर ए कॉल टू स्पाई, हिंदी और अंग्रेजी में रिलीज हुई। इस सच्ची कहानी में राधिका आप्टे का किरदार काफी सराहनीय है।

11 दिसंबर को अमेजन प्राइम परए कॉल टू स्पाई, हिंदी और अंग्रेजी में रिलीज हुई। इस सच्ची कहानी में राधिका आप्टे का किरदार काफी सराहनीय है।

लिडिया डीन पिलचर ने अपने निर्देशन में सारा मेगन थांमस, स्टना काटिक, राधिका आप्टे और लिनुस रोचे  के साथ मिलकर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एक कहानी कही, ए कॉल टू स्पाई जो सच्ची घटनाओं पर आधारित है। 11 दिसबंर को अमेजन प्राइम  परए कॉल टू स्पाई, हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में रिलीज हुई है। भारत में यह कहानी राधिका आप्टे के अभिनय के कारण पसंद की जा सकती है। वह दूसरी विश्व युद्ध के दौरान पहली महिला जासूस रेडियो आपरेटर की भूमिका में है जो पकड़ ली जाती है और मारी जाती है।

एक नज़र में यह कहानी जंग के दौरान जासूसी घटनाओं की कहानी कही जा सकती है जिसके मुख्य़ पात्र तीन महिला चरित्र वेरा एटकिन्स(स्टाना काटिक), वर्जीनिया हांल(सारा मेगन थांमस) और नूर इनायत खान(राधिका आप्टे) हैं। तीनों की अपनी-अपनी महत्वकांक्षा भी कहानी के साथ चलती है जैसे वेरा एटकिन्स एक जासूस है जिसे ब्रिटेन की नागरिकता चाहिए, वर्जीनिया एम्बेसी में अपनी सेवा देना चाहती है और नूर इनायत खान, जिसका खानदान मुगलों के आखरी वंश से जुड़ा है, भारत के साथ ब्रिटेन के बेहतर संबंध बन जाने के कारण भारत की आजादी का सपना देख रही है। अगर ध्यान से देखा जाए तो तीनों ही चरित्र अपने लिए एक आज़ाद मूल्क का सपना देख रही हैं। पूरी कहानी इन तीन महिला पात्रों पर घूमना, वह भी दूसरे विश्व युद्ध के दौरान देखने में अच्छा लगता है जो एक समय नारीवादी भावना के तरह लगती है।

क्या है कहानी ए कॉल टू स्पाई की

मुख्य कहानी यह है कि फ्रांस नाजी आक्रमण के सामने घुटने टेक चुका है ब्रिटेन अकेला खड़ा संघर्ष कर रहा है। चर्चिल ने थोड़ी हड़बड़ी में एक जासूसी संगठन बनाई जो नाजी आक्रमण में बाधा डाल सके। उनकी योजना थी फ्रांस में जासूस तैनात करके खुफिया हमले करवाए जाए। पर इस तरह के जंग का अनुभव ब्रिटेन के पास नहीं था। उन्होंने शुरुआत में कुछ समान्य सा प्रशिक्षण देकर उनके खेमे में भेजा एक खुफिया जंग की शुरुआत करने के लिए।

कहानी के अंत में अमेरिका भी युद्ध में शामिल हो जाता है। ब्रिटेन जब फ्रांस में अपनी खुफिया गतिविधयों को शुरू करना चाहता है तो नए एजेंटों की भर्ती की जिम्मेदारी वेरा एटकिन्स(स्टाना काटिक) को सौपता है। वह इसके लिए एक अंपग वर्जीनिया हांल  (सारा मेगन थांमस) और एक शांतिवादी नूर इनायत(राधिका आप्टे) को चुनती है, उस भरोसे के साथ कि दोनों का बेबाक दिखना ही उसका सबसे बड़ा आवरण होगा।

मेरी मानिये तो ए कॉल टू स्पाई में तीनों महिला पात्रों का आत्मविश्वास भरा अभिनय पूरी फिल्म देखने को मजबूर करता है। यह आत्मविश्वास इन महिला पात्रों में इसलिए भी आता है कि उनको यकीन है कि वह जो कर रही हैं उससे उनका और उनके देश का भविष्य बदल जाएगा। किसी भी परिस्थितियों में इन तीनों चरित्र में कहीं कोई डर नहीं दिखता है जबकि वह जानती हैं कि क्या उन्होंने दांव पर लगा रखा है।

फिल्म के अंत का दृश्य जब वेरा एटकिन्स और वर्जीनिया हांल , नूर इनायत की मां से मिलकर यह बताने आती हैं कि नूर अब नहीं है। वह उनको दरवाजे पर छोड़ने आती है और दरवाजा जोड़ से बंद करके चिखते हुए रोती है। वेरा एटकिन्स और वर्जीनिया हांल दोनों अंदर तक कांप जाती हैं। उस वक्त दोनों का आत्मविश्वास भी कांप जाता है। वेरा एटकिन्स कहती है, “इस जंग ने सबकी जिंदगी बर्बाद कर दी है।” दोनों एक-दूसरे का हाथ थाम लेती हैं। कठिन हालात में महिलाओं का एक-दूसरे के साथ और एक-दूसरे पर भरोसा नारीवादी सिद्धांत में सिस्टरहुड कहा जाता है। यह पूरी फिल्म में कई दृश्यों में दिखता है।

क्यों देखे, ए कॉल टू स्पाई

कम शब्दों का सहारा लेकर कहूं तो ए कॉल टू स्पाई एक अच्छी फिल्म है जिसमें जंग के दौरान खुफिया गतिविधियों में महिला जासूजों की भूमिकाओं को शानदार तरीके से उकेरा गया है। 1940  के दशक का महौल शानदार तरीके से फिल्माया गया है। हर किसी का अभिनय खासकर सारा मेगन थांमस, स्टना काटिक, राधिका आप्टे और लिनुस  रोचे कमाल का है। युद्ध के समय खुफिया जानकारी निकालने के लिए काम करना और उसके तनाव को अपने चेहरे पर इन कलाकारों ने शिद्दत ने निभाया है।

फिल्म के मुख्य महिला पात्रों का नाम इतिहास में सम्मान के साथ दर्ज है। वर्जीनिया हांल को युद्ध के दौरान उनकी सेवा के लिए यूएस सर्विस क्रांस से सम्मानित किया गया। उन्हें काम्बेट गोल्ड मैडल दिया गया। उनके कटे पैर के कारण उनके राजदूत बनने का सपना पूरा नहीं हो सका। बाद में वो सीआई ए की महिला जासूस भी बनीं।

वेरा एटकिन्स को ब्रिटेन और फ्रेच दोनों देशों ने सम्मानित किया युद्ध के बाद वह कई लापता जासूस की खोज में निकलीं। उनको ताउम्र अपने एजेंटों की याद सताती रही।

नूर इनायत खान ब्रिटेन की पहली मुस्लिम महिला जंग की हिरोइन बनी उनको ब्रिटेने के जार्ज क्रांस से नवाजा गया फ्रांस ने भी उनको सम्मानित किया। यही सच्चाई पूरी फिल्म की एक अलग जगह बना देती है जो बेमिसाल है।

इन महिलाओं का यही सच प्रसिद्ध नारीवादी लेखिका वर्जिनिया वूल्फ के उस कथन को थोड़े देर के लिए झूठला देता है जिसमें वह कहती हैं, ‘महिलाओं का अपना कोई देश नहीं होता है।’ हो सकता है यह भी सच हो, पर महिलाएं अपने देश में अपनी आजादी का सपना भी देखती तो है यह भी सच है इसे भुलाया नहीं जा सकता है।

मूल चित्र : Screenshot from Movie trailer, YouTube  

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

240 Posts | 720,456 Views
All Categories