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औरत कमजोर नहीं है वो लोगों की बातों से अपने को कमजोर समझती है, जो एक नये जीवन को दुनिया में ला सकती है वो कुछ भी करने की ताक़त रखती है।
हाँ मैं एक औरत हूँऔर औरत होने पर गर्व है मुझे,गर्व है मुझे कि मैं बंदिशों में भी जीने का हुनर रखती हूँगर्व है मुझे कि मैं दफ़्तर और घर एक साथ सम्भाल सकती हूँ,गर्व है मुझे कि मैं थकान के बाद भी बच्चों के साथ समय बिताने को समय निकाल सकती हूँगर्व है मुझे कि कैसी भी परिस्थिति हो फिर भी तीज त्योहार की ख़ुशहाली घर में लाती हूँ,गर्व है मुझे की हर दिन तुम्हारे तानों से काँच की तरह बिखर कर भी,चट्टान की तरह मज़बूत बनने का साहस रखती हूँ।
गर्व है मुझे कि मैं तुम्हारी तरह अपनी ज़रूरतों के लिये रूप नहीं बदलतीगर्व है मुझे की मैं नयी सुबह के साथ नयी सकारात्मक सोच को जन्म देती हूँ,गर्व है मुझे कि मैं एक नए जीवन को इस दुनिया में लाने की ताक़त रखती हूँ, जो सिर्फ़ और सिर्फ़ एक औरत ही कर सकती है,हाँ मैं औरत हूँ और औरत होने पर गर्व है मुझेऔरत कमजोर नहीं है वो सिर्फ़ लोगों की बातों से अपने को कमजोर समझने लगती है,जो एक नये जीवन को दुनिया में ला सकती है वो कुछ भी करने की ताक़त रखती है।
हाँ मैं एक औरत हूँऔर मुझे औरत होने पर गर्व है!
चित्र साभार : विवेक बाघेल, Pexels.com via Canva Pro
हाँ औरत हूँ! मुझे जीने दो……
सिर्फ इसलिए क्योंकि औरत हूँ मैं…?
सुनो! मैं भी इंसान हूँ…बिल्कुल तुम्हारी ही तरह!
मुझे कमज़ोर समझने की भूल न करना …
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