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बिग बॉस का विवादों से रिश्ता और भी गहरा होता जा रहा है…

बिग बॉस में पूरे एक घंटे में सितारे सिर्फ एक दूसरे को नीचा दिखाने और इमोशनल कार्ड खेलने में निकाल देते हैं। तब इसे मनोरंजन कैसे कहा जा सकता है?

बिग बॉस में पूरे एक घंटे में सितारे सिर्फ एक दूसरे को नीचा दिखाने और इमोशनल कार्ड खेलने में निकाल देते हैं। तब इसे मनोरंजन कैसे कहा जा सकता है?

बिग बॉस कलर्स चैनल का जाना माना रियलिटी शो है, जिसका प्रसारण हर रात 10.30 बजे होता है। इस बेहद ही प्रसिद्ध शो को एंडेमोल शाइन द्वारा प्रोडूसर और सलमान खान जैसे सुपरस्टार द्वारा ग्यारहवीं बार होस्ट किया जा रहा है। बिग बॉस एपिसोड एयर होने से पहले उसके प्रोमो ही सोशल मीडिया पे हलचल मचा देते हैं।

बिग बॉस का विवादों से रिश्ता

मुझे लगता है शुरुवात से ही बिग बॉस शो का मनोरंजन से कम और विवादों से गहरा रिश्ता रहा है। बड़े बजट के इस शो में टीवी इंडस्ट्री के जाने माने चेहरों को बुलाया जाता रहा है। शुरु-शुरू में इस शो को हर दर्शक वर्ग द्वारा पसंद किया जाता था। नये कांसेप्ट के कारण शो को काफ़ी पसंद भी किया जाने लगा, लेकिन वहीं अब इसकी लोकप्रियता विवाद से घिरी नज़र आने लगी है।

अधिकांश सदस्य शो में एक दूसरे से लड़ते, अभद्र भाषा बोलते और अपनी नकारात्मक छवि दिखाते ही नज़र आते हैं। जैसा कि आजकल शो में देखने को मिल रहा है, सदस्य आपस में लड़ने के मौके ढूंढ़ते रहते हैं, कई बार टास्क के दौरान तो कई बार घर के कामों को ले कर।

मेरा मानना है कि इस तरह के शो की, ऐसे में अगर टीआरपी बढ़ती है, तो ये हमारी भी जिम्मेदारी भी बनती है कि हम सोचें कि हम सोसाइटी को कहाँ ले जा रहे हैं। मुझे आश्चर्य होता है, जब ये टीवी सितारे पूरे एक घंटे के शो में सिर्फ एक दूसरे को नीचा दिखाने, नॉमिनेशन की प्लानिंग करते और इमोशनल कार्ड खेलने में निकाल देते हैं। तब इसे मनोरंजन कैसे कहा जा सकता है?

हाल ही में कविता कौशिक जिनकी वाइल्डकार्ड एंट्री हुई है, उनकी एजाज खान के साथ घर के बाहर के मुद्दों पे लड़ाई हुई। मेरे ख़याल से ये बिलकुल सही नहीं है। बिग बॉस के घर में घर के बाहर के मुद्दों पे बातें नहीं बल्कि घर के अंदर के मुद्दों पे बातें होनी चाहियें। इसके साथ ही अन्य वाइल्डकार्ड एंट्री अली और कविता कौशिक की बहस भी बिना किसी मुद्दे की थी। इस तरह की बहस और आपसी झड़पें, ऐसा लगता है कि सिर्फ पब्लिसिटी और शो में बने रहने के लिये ही की जाती हैं,  मनोरंजन के लिये नहीं। 

बिग बॉस को परिवारिक शो तो नहीं कहा जा सकता

टीवी आम जन के मनोरंजन का आसान माध्यम होता है जिसे सभी आयु वर्ग के लोग देखना पसंद करते हैं। आज के दौर में जब लॉक डाउन और कोरोना जैसी महामारी के कारण लोग अपने घरों में बंद हैं और ज्यादा टीवी देख रहे हैं, तब जरुरी है कि ऐसे परिवारिक शो टीवी पे आएं जो कि सकारात्मक मूल्यों को दर्शाएं, ना कि बिग बॉस जैसे शो, जो नकारात्मकता फ़ैलायें।

बिग बॉस जैसे शो को किसी भी दृष्टि से पारिवारिक शो नहीं कहा जा सकता। हाल में ही जिस तरह निक्की तम्बोली और राहुल वैद्य के टास्क के दौरान देखा गया, जिसमें निक्की ने ऑक्सीजन मास्क को अपने कपड़ो में छिपा लिया, ये सब देख मुझे तो ये शो पारिवारिक शो नहीं लगता। खुशी की बात ये है की सिर्फ इसके समर्थन में ही नहीं, अब इस शो के विरोध में भी आवाज़े उठ रही हैं। औरतों को एक वस्तु के समान समझना और उनके लिये होने वाले गलत शब्दों के इस्तेमाल का कड़ा विरोध भी दर्शकों द्वारा उठाया जा रहा है।

युवा वर्ग के लिये गलत उदाहरण

आज के युवा होते बच्चों के मन पे इस तरह की अभद्र भाषा और शो के सदस्यों के बीच होने वाले तीखे आपसी संवाद, मन मस्तिष्क में गलत प्रभाव डालते हैं। एक प्रकार से हमारे युवा वर्ग के बच्चे अपने चहेते कंटेस्टेंट में खुद को देखने लगते हैं और जैसा व्यवहार शो में उनके चहेते कंटेस्टेंट करते हैं, कहीं ना कहीं बच्चे भी उसे अपने व्यवहार में डालने लगते हैं। सोशल मीडिया पे अपने चेहते कंटेस्टेंट के लिये वोट करना हो या फिर दूसरे कंटेस्टेंट के लिये नेगेटिव कमेंट करना हो, उनका कीमती समय इन सब में ही उलझ के रह जाता है, जो कि मेरी समझ से बिलकुल भी उचित नहीं है।

शो में टॉक्सिक कंटेंट को बढ़ावा

मेरा मानना है कि इस तरह के रियलिटी शो सिर्फ टॉक्सिक कंटेंट को बढ़ावा देते हैं। बच्चे और बड़े इन्हें देख इनके जैसा ही बनाना चाहते हैं। जहाँ एक ओर उचित भाषा का प्रयोग करना, बड़ों की इज़्ज़त करना और शालीनता से पेश आना सब भूलते जा रहे हैं, वहीं दूसरी टीवी पे आने वाले ऐसे टॉक्सिक कंटेंट बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है।

पक्षपात पूर्ण व्यवहार

सप्ताह के अंत में सलमान खान के द्वारा भी कई बार पक्षपात करते देखा जाता है। इनके द्वारा कई बार मनोरंजन के नाम पे सदस्यों को नीचा दिखाया जाता रहा है। अभद्र भाषा का प्रयोग करना और अपने पसंदीदा कंटेस्टेंट को सराहना बिलकुल भी उचित नहीं है। मुझे नहीं लगता कि मनोरंजन के नाम पे ऐसा पक्षपात किया जाना चाहिये।

क्या ऐसे शोज़ की हमें जरुरत है?

क्या आज के समय में इस तरह के रियलिटी शो की जरुरत है हमें? आज के माहौल को देखते हुए ऐसे शो की जरुरत है, जो सही मुद्दों को उठाये और पॉजिटिव मैसेज दे समाज को। कई बार पहले भी इस शो को बंद करने की मांग उठती रही है और आज फिर उठ रही है।

इस विषय में आपकी क्या राय है, क्या ऐसे शो को बंद कर पारिवारिक और स्वस्थ मनोरंजन नहीं दिखाना चाहिये?

चित्र साभार: Big Boss Screenshot, YouTube 

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