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…और इस तरह सास बहु के इस रिश्ते को एक नया जीवन मिल जाएगा…

एक माँ सदा अच्छी है तो फिर सास क्यों बुरी है? एक बेटी सदा अच्छी है तो बहु ही क्यों बुरी है? जब दोनो ही करुणामई हैं, तो फिर सास बहु के रिश्ते से करुणा कहाँ गयी है।

एक माँ सदा अच्छी है तो फिर सास क्यों बुरी है? एक बेटी सदा अच्छी है तो बहु ही क्यों बुरी है? जब दोनो ही करुणामई हैं, तो फिर सास बहु के रिश्ते से करुणा कहाँ गयी है।

बेटी ही तो बहु बनती है,

और माँ ही तो सास बनती है।

दोनो ही है कोमल हृदय,

तो फिर दुनिया में क्यों नहीं इस रिश्ते को वो इज्जत मिलती है।

माँ सही और सास ग़लत,

बेटी सही पर बहु ग़लत,

ऐसा नहीं की हर आँगन का क़िस्सा यही है,

पर ज़्यादा से ज़्यादा घरों के जीवन का हिस्सा यही है।

एक माँ सदा अच्छी है तो फिर सास क्यों बुरी है?

एक बेटी सदा अच्छी है तो बहु ही क्यों बुरी है?

जब माँ और बेटी दोनो ही करुणामई हैं,

तो फिर सास बहु के रिश्ते से करुणा कहाँ गयी है।

बेटी है जिगर का टुकड़ा,

पर बहु का नहीं घर के किसी भी कोने में अपनत्व का हिस्सा।

छोटी छोटी बातों पर उसको पराया कर दिया जाता,

उसके मन में अलगाव का एक बीज बो दिया जाता।

क्यों कभी प्यार से माँ की तरह उसे नहीं समझाया जाता?

क्यों कभी उसको भी ज़िद करने का हक़ नहीं दिया जाता?

क्यों कभी उसको भी माँ के आँचल में समेट लिया नहीं जाता?

निश्छल ममता को क्यों नहीं उसे कभी दिखाया जाता।

क्यों उसको हर बात के लिए हर बार क़सूरवार ही ठहराया जाता,

क्यों उसे भी बच्चा समझकर माफ़ कर दिया नहीं जाता।

उसकी कोई बात बुरी लगे तो माँ की तरह अकेले में समझाओ,

पर अपने बेटे से एक दोषी की तरह उसकी शिकायत ना लगाओ।

भाई बहन के रिश्ते को जैसे तुम हो बनाती,

फिर क्यों नहीं पति पत्नी के रिश्ते को तुम मज़बूती हो पकड़ाती?

रिश्तों को गढ़ना ही तो है।

माँ की ममता का स्वरूप,

फिर सास बनते ही कहाँ अदृश्य हो जाता है ये रूप।

निश्छल प्यार भरा हाथ सर पर रखकर तो देखो,

बहु के दिल में अपनत्व का एक बीज बो कर तो देखो।

पा लोगे सम्मान और प्यार सच्चे दिल से,

और क्या चाहिए इसके सिवा एक बहु से।

एक बेटी माँ को सबसे ज़्यादा समझती है,

बिन कहे ही उसकी मनमुताबिक बात करती है।

वो अगर मना करे तो चुपचाप सुन लेती है,

उसके राय को अपने लिए सही समझती है।

फिर क्यों नहीं वो कुछ कही सास की भी करती है,

एक बार उसकी भी फटकार माँ की तरह क्यों नहीं सुनती है?

माँ की नाराज़गी की उसको चिंता है,

पर सास की नाराज़गी को अनदेखा वह क्यों करती है?

माँ के दुःख में आँसू छलक जाते है,

पर सास के दुःख दर्द में हमदर्दी भी नहीं जता पाती है।

क्यों सास की फटकार को वो अपना अपमान समझती है?

क्यों वो उसकी शिकायत अपने पति से करती है?

सीख लेगी अगर वो उससे भी कुछ,

तो उनको भी माँ होने का अधिकार समझ जाएगा।

और इस तरह एक माँ का बच्चे के प्रति प्यार का बीज गढ़ जाएगा,

धीरे धीरे ही सही पर माँ बच्चे का प्रेम बढ़ जाएगा।

दिल में उनके भी उसके लिए प्यार और लगाव बढ़ जाएगा।

और इस तरह सास बहु के इस रिश्ते को एक “नया जीवन” मिल जाएगा

और संसार से आधे से ज़्यादा दुखों का निवारण यूँ ही हो जाएगा!

मूल चित्र : Still from Hindi TV Series Hamarivali Good News 

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