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जितना मैंने किया उतना तुमसे न हो पाएगा, लेकिन…

हर पल एक नया नियम, एक नई पहचान, एक नया कानून, इन सबके बावजूद भी एक लड़की उस घर में रच जाती है, बस जाती है। आसान नहीं है पर यह नियति है।

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हर पल एक नया नियम, एक नई पहचान, एक नया कानून, इन सबके बावजूद भी एक लड़की उस घर में रच जाती है, बस जाती है। आसान नहीं है पर यह नियति है।

शादी के बाद एक लड़की की जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। उसका रहना, खाना ,पीना और पहनना, बात करना और सारे रिश्ते भी। एक घर जहां उस ने जन्म लिया, खेला, पढ़ी-लिखी, जहां उसने चलना सीखा, बोलना सीखा वह एक पल में पराया कर दिया जाता है।

एक नए घर को आकर, उसे अपनाना, सारे रिश्तों को समेटना, उन्हें अपना बनाना। हर दिन, हर पल नई चुनौतियों को स्वीकार करके सारे रिश्तों को अपनाना, हर पल एक नया नियम, एक नई पहचान, एक नया कानून, इन सबके बावजूद भी एक लड़की उस घर में रच जाती है, बस जाती है। आसान नहीं है पर यह नियति है।

कितना भी हम कह लें, कितना ही बहस कर लें, पर एक लड़की को यह सब करना पड़ता है और वह यह सब करती है। खुशी-खुशी उस पूरे घर को अपना बना लेती है जो कभी नया था। एक लड़की पूरे घर में नए रंग भर देती है। अपने प्यार से, समर्पण से, अपने विश्वास से, अपने कर्तव्य से पर बदले में वह चाहती क्या है?

अपने हमसफ़र से वह इतना ही चाहती है कि उसका हमसफ़र उसका सम्मान करें, उस पर विश्वास करें और उसका साथ दे। जिस हमसफर के साथ उसने साथ फेरे लिए, पूरी जिंदगी जिसके साथ जीने मरने की कसमें खाई, उस हमसफर से एक लड़की कुछ कहना चाहती है…

सुन मेरे हमसफ़र…

  • एक बहू होने के नाते मैंने जितने कर्तव्य निभाएं, जितना अपने ससुराल को अपना समझा, एक दामाद होने के नाते तुम भी अपने ससुराल को अपना समझ लेना। अपने कर्तव्य निभा लेना। उतने ना सही जितने मैंने निभाए उससे आधा ही सही क्योंकि! जितना मैंने किया उतना तो तुमसे ना हो पाएगा।
  • एक बहू होने के नाते जितना मैंने अपने सास-ससुर का सम्मान किया, उनको मान दिया उनकी सेवा की मेरे हमसफ़र उतना न सही उससे आधा ही तुम अपने सास-ससुर का मान रख लेना। उनकी सेवा कर लेना क्योंकि! जितना मैंने किया उतना तुमसे ना हो पाएगा।
  • पत्नी होकर मैंने जितना तुम्हारा साथ दिया, तुम पर विश्वास किया, तुम्हारा सम्मान किया उतना ना सही, उससे आधा ही मुझे सम्मान दे देना, मेरा विश्वास करना क्योंकि! जितना मैंने किया उतना तुमसे ना हो पाएगा।
  • एक बहु होकर जितने ताने मैंने सुने हैं, जितने उलाहने मैंने सुने है, जितना बर्दाश्त किया है उतना ना सही उससे आधा ही तुम, अपने ससुराल में कभी कोई कह दे तो बर्दाश्त कर लेना। क्योंकि! जितना मैंने बर्दाश्त किया है, उतना मेरे हमसफ़र तुमसे ना हो पाएगा।
  • तुम्हारे मां बाप को तुम्हारे परिवार को, तुम्हारे भाई-बहन को जितना मैंने अपना समझा है।उतना ना सही उससे आधा ही तुम मेरे मां-बाप को, मेरे भाई-बहन को अपना समझ लेना।क्योंकि! जितना मैंने किया उतना तुमसे ना हो पाएगा।
  • एक बहू, एक चाची, एक मामी, एक भाभी बनकर जितनी मैंने तुम्हारे परिवार की जरूरतें पूरी की, एक दामाद, एक मौसा जी बन कर, एक फूफा बन कर, एक जीजा बन कर उतनी ना सही, उसकी आधी जरूरतें पूरी कर देना। क्योंकि! जितना मैंने किया तुमसे ना हो पाएगा।
  • एक बहू  के कर्तव्य को पूरा करने में जितना तुमने मेरा साथ दिया उतना ना सही उससे आधा ही एक बेटी होने के नाते मुझे अपने कर्तव्य पूरा करने में मेरा साथ देना। क्योंकि!  जितना मैंने किया उतना तुमसे ना हो पाएगा।
  • और आखिर में! सुन मेरे हमसफ़र जितना मैंने तुम्हारा इंतजार किया, तुम्हारे लेट नाईट घर आने पर हंस के तुम्हारा स्वागत किया, हर एक पल कितनी मुश्किल से गुजारा है तुम्हारा इंतजार किया है। इतना ना सही उससे आधा ही तुम मेरा इंतजार कर लेना। मेरे आने की राह देख लेना। क्योंकि! जितना मैंने किया है उतना तुमसे ना हो पाएगा। 

मूल चित्र : jessica photos from Getty Images via Canva Pro  

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