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ख्वाबों को तेरे जी कर मैं तुझे ज़िंदा रखूँगी, थक गई जो तू लड़ते लड़ते, तेरे ख़ातिर लड़ूँगी मैं। आने दे इस दुनिया में तू मैय्या मुँह न फ़ेर…
मैं हूँ तेरी सोनचिरैया, दूँगी खुशियाँ ढेर आने दे इस दुनिया तू मैय्या मुँह न फ़ेर।
पोछूँगी मैं आँसू तेरे, कभी जो छलके नैन साया बनके रहूँगी तेरा मैं दिन, साँझ और रैन ऊँचे गगन में तुझे उड़ाऊँ पँखों पर अपने आने दे दुनिया में तू मैय्या मुँह न फ़ेर।
ख्वाबों को तेरे जी कर मैं तुझे ज़िंदा रखूँगी, थक गई जो तू लड़ते लड़ते, तेरे ख़ातिर लड़ूँगी मैं। आँख के आँसू सुखा के तेरे ख़्वाब उनमें भर दूँगी, आने दे इस दुनिया में तू मैय्या मुँह न फ़ेर।
मैं हूँ तेरी सोनचिरैया दूँगी खुशियाँ ढेर आने दे इस दुनिया में तू मैय्या मुँह न फ़ेर।
मूल चित्र : Rajesh Rajput via Unsplash
नारी हूँ नारी मैं-किस्मत की मारी नहीं
मेरी ज़िंदगी की पतंग…
अब तू ही बतला दे ना माँ, क्या इतनी बुरी हूँ मैं माँ?
मैं भी सही हूँ, पर ये तू नहीं समझेगा…
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