कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

जैसे ही सब ठीक होगा तुम्हारी लाडो घर आ जाएगी माँ…

तुमसे पूछ-पूछ कर मसाले तो डाले और खुशबू भी बिलकुल वैसी ही आ रही है, लेकिन वो प्यार कैसी डालूँ माँ जो तुम डालती हो इन अचार की बरियों में...

तुमसे पूछ-पूछ कर मसाले तो डाले और खुशबू भी बिलकुल वैसी ही आ रही है, लेकिन वो प्यार कैसी डालूँ माँ जो तुम डालती हो इन अचार की बरियों में…

आज देखा की बरणी में थोड़ा सा ही अचार रह गया था।

हर साल माँ के पास जाती तो भर-भर के माँ अचार, पापड़, बरियाँ और भी ना जाने क्या-क्या देती। कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ती बाजार से लेने की। ना जाने कितनी दोपहर की नींद कुर्बान की होंगी माँ ने इन्हे बनाने में, सुखाने में… ना जाने कितनी बार उंगलियां कट गई होंगी कच्ची कैरियाँ काटने में? जाने क्या जादू है माँ के हाथों में कि अब किसी का अचार भाता ही नहीं। महीनों पहले से बाट जोहती है कि कब मेरी लाडो आएगी ऐसी है मेरी माँ।

अचार तो इस बार भी डाला होगा ना माँ? कितना इंतजार, कितनी तैयारियां की होंगी इस बार भी? पर सब अधूरा रह गया इस बार माँ। नहीं आ पायी तुम्हारी लाडो इस बार तुम्हारे पास।

सुबह की चाय के इलायची, काली मिर्च के मसालों से ले कर रात की हल्दी दूध तक मेरी रसोई में तुम्हारे इन मसालों की खुश्बू ही तो बसती है माँ। जब वापस आती तो ना जाने क्या-क्या भर देती थैलियों में? जब बोलूं कि सब मिलता है माँ, क्यूँ परेशान होती हो? तो एक मीठी झिरकी मिलती, ‘ले जा माँ का प्यार है इसमें।’

वो पापा का रोज़ सुबह थैली ले कर बाजार जाना और मेरे सारी पसंद की चीज़े भर-भर के लाना।  बहुत याद आ रहे हो आप दोनों माँ। कल एक कैरी वाले को देखा। बिलकुल वैसे कैरी दिखी जैसे पापा लाते थे बाजार से। तो थोड़ी हिम्मत कर मैंने भी एक थैली ले ली है। तुमसे पूछ-पूछ कर काटा इन कैरियों को, वीडियो कॉल में देख कर ही अंदाजा बता दिया मसालों का तुमने माँ।

खुशबू तो बिलकुल वैसी ही आ रही है जैसी तुम्हारे अचार से आती है माँ। मसाले तो डाल दिए हैं,  लेकिन वो प्यार कैसी डालू माँ, जो तुम डालती हो इन अचार, बरियों में। जब वापस आती तब से ही वापस मन ही मन दिन गिनती की कब आएगी छुट्टियां और कब जाऊंगी फिर से अपने घर अपने आँगन वापस।

नानी-नानू के लाडलों से गुलज़ार आंगन इस बार सूना पड़ा होगा। बहुत याद आती है माँ तुम्हारे हाथों की सिर की मालिश, ‘कैसे रूखे बाल हो गए हैं’ कह कर रोज़ सिर पे तेल डाल जाना, मेरी पसंद के खानो से रोज़ की थाली सजाना बहुत याद आती हो तुम माँ।

वादा है माँ! जैसे ही सब ठीक होगा आ जाएगी तुम्हारी लाडो अपने माँ-पापा के पास। तब तक तुम अपना ख्याल रखना माँ।

मूल चित्र : Ketut Subiyanto via Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

174 Posts | 3,896,568 Views
All Categories