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सृष्टि की हर उस चीज़, हर उस प्राणी को मेरा शत् – शत् नमन जिससे मैंने कुछ भी सीखा, चाहे वो मुझसे बड़ा हो या छोटा, हर उस गुरू के चरणों में मेरी ये पंक्तियाँ समर्पित हैं।
मैं समिधा नवीन वर्मा ,आप सबको शिक्षक-दिवस की शुभकामनाएँ देती हूँ ।
मेरे गुरु,मेरे शिक्षक, तुमको मेरा शत् -शत् नमन। दो हमें ऐसी शिक्षा, लाएँ देश में चैन अमन ।।
तुमने ही बतलाया है कि प्रभु को कैसे पाऊँ मैं । पर तुम्हें छोड़ कर बतलाओ , किस राह पर जाऊँ मैं।।
अच्छा क्या है ,बुरा है क्या ? क्या ऊँचा है, क्या नीचा ? मैं छोटा सा पौधा हूँ, ज्ञान से तुमने जिसको सींचा ।।
मैं थी डेला कच्ची मिट्टी का, गुरु ने जिसे आकार दिया । अच्छा जीवन जी भी सकूँ,दे भी सकूँ, मुझको ऐसा संस्कार दिया।।
माँ थी मेरी प्रथम गुरु, जहाँ से जीवन हुआ शुरू। फिर है पिता का स्थान, जिनकी सुव्यवस्था से मेरा वर्तमान।।
अनगिनत हैं दोष मुझमें, सुधार की अब भी बहुत ज़रुरत है। जो दूर करे मेरे दोषों को, उस गुरु की अब भी जरूरत है ।।
मेरे गुरु, मेरे प्रभु , मेरे आदर्श आप हैं। ज्ञान मुझको दीजिए , ज्ञानदाता आप हैं ।।
मूल चित्र : Canva Pro
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's
यहां इक तू है, तो इक मैं भी तो हूं…
मेरे अस्तित्व की यह परिभाषा
आखिर कब तक नारी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ेगी? आखिर कब तक?
चरित्र का प्रमाण दूँ क्यों मैं हर पड़ाव पर?
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