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स्त्री या पुरुष की यह बात नहीं! मन तो दोनों का है, पर इक ही जीवन है यह, पहले खुद, फिर दूजे को समझाना होगा। सोए मन को जगाना होगा…
मुक्त हो या बंधन में,
जानने के लिए,
सोए मन को जगाना होगा।
उड़ने का है मन अगर,
पंखों को अपने
पसारना ही होगा।
स्त्री या पुरुष की यह बात नहीं!
मन तो दोनों का है,
पर इक ही जीवन है यह,
पहले खुद, फिर दूजे को समझाना होगा।
मूल चित्र : Pexels
इक बार बचपन मैं फिर से जी जाऊँ…
हे नारी! फिर तांडव करना होगा…
उस एक दिन गिर कर फिर खुद से ही उठ खड़ा होना होगा…
मैं भी अर्धांगिनी : लेकिन ये आधा मुद्दा ही तो है अब सबसे बड़ा मुद्दा!
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