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मैं बस इतना जानती हूँ कि ये मेरा बच्चा है…

कितना भेदभाव करते हैं हम अपने ही कोख से जन्मे ऐसे बच्चों के साथ। अब वक्त आ गया है कि हमारा ये समाज अपने बनाये बेतुके नियमों को बदलें। 

कितना भेदभाव करते हैं हम अपने ही कोख से जन्मे ऐसे बच्चों के साथ। अब वक्त आ गया है कि हमारा ये समाज अपने बनाये बेतुके नियमों को बदलें। 

“मां मेरा बच्चा कहां है मुझे देखना है। अपने बच्चे को आप लेकर आइये ना प्लीज। मां बताइये ना आप चुप क्यों हैं?” हॉस्पीटल में डिलीवरी के बाद होश आते ही अपने बच्चे को पास नहीं पाने के बाद नंदिनी ने हड़बड़ाते हुये कहा।

नंदिनी की कुछ घंटे पहले ही डिलीवरी हुई थी। कई बार सासु माँ से पूछा लेकिन उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया। नंदिनी की घबराहट बढ़ती जा रही थी। उसने अपने पति नमन से पूछा, “नमन जी बताइये ना क्या हुआ है? कहां है मेरा बच्चा? आप लोग कुछ जबाब क्यों नहीं दे रहे हैं ?”

नमन भी कुछ नहीं बोला तो नंदिनी की बैचेनी और भी बढ़ गई और वह रोने लगी। नंदिनी को रोते देख उसकी सासु माँ बोली, ” नंदिनी तुम्हारा बच्चा वहीं है जहां उसे होना चाहिए। तुमने एक किन्नर को जन्म दिया है और किन्नर समुदाय उस बच्चे को अपने साथ ले गया है। अब वह बच्चा वहीं रहेगा।”

सासु माँ की बात सुनकर नंदिनी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। सुन्न सी पड़ गई वो। फिर थोड़ी देर बाद उसने खुद को संभाला और कहने लगी, “किससे पूछकर आपने मेरा बच्चा उन लोगों को दे दिया? एक बार मुझसे बात तो कर लेते, मैं क्या चाहती हूँ? एक बार मुझे देख तो लेने देते अपने बच्चे को? मैं बस एक बार उसे देखना चाहती हूँ। नमन जी प्लीज मुझे एक बार दिखा दो मेरा बच्चा। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता वो क्या है, लेकिन वो मेरा बच्चा है और मैं उसकी मां हूँ। बस एक बार दिखा दो मुझे।”

कहते हुये नंदिनी उठने लगी तो नमन ने उसे रोका और बोला, “नंदिनी तुम्हें स्टिच लगे हैं तुम अभी नहीं उठ सकती तुम लेटो यहीं।”

नंदिनी बुरी तरह रोने लगी। हाथ जोड़कर कहने लगी, “मैं एक बार अपने बच्चे को देखना चाहती हूँ। मेरा बच्चा मुझे दिखा दो।”

नमन से अपनी बीबी की ये हालत नहीं देखी जा रही थी वो बुरी तरह से टूट गया और रोने लगा। नौ महीनों में न जाने कितने ही सपने देख लिये थे दोनों पति पत्नी ने। नमन किन्नर समुदाय के पास गया और उन्हें नंदिनी की हालत के बारे में बताया। नमन को रोता देख किन्नरों का दिल पिघल गया और वो राजी हो गये बच्चे को एक बार नंदिनी को दिखाने के लिए।

हॉस्पीटल में नंदिनी  ने अपने बच्चे को गोद में लिया तो उसे वही ममता और प्यार महसूस हुआ जो किसी भी मां को अपने बच्चे को देखकर होता है। नंदिनी ने उस बच्चे को खूब प्यार किया।

थोड़ी देर के बाद एक किन्नर ने नंदिनी के हाथ में से उस बच्चे को लेने की कोशिश की तो नंदिनी ने उसका हाथ झटक दिया और चीखकर कहने लगी, “दूर रहो मेरे बच्चे से कहीं नहीं जायेगा मेरा बच्चा मेरे पास रहेगा। अपने माता-पिता के होते हुये दर-दर नहीं भटकेगा मेरा बच्चा। मैं इसको पढ़ा-लिखा कर बहुत बड़ा इन्सान बनाऊंगी। ये किन्नर है तो क्या हुआ?”

“इस दुनिया में पूरी शान और बराबरी से जीने का अधिकार है इसका, जैसे किसी भी लड़की या लड़के का होता है। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये किन्नर है। मैं बस इतना जानती हूँ कि ये मेरा बच्चा है। मैं पालूगीं इसे वो सब कुछ मिलेगा इसे जो सामान्य बच्चे को मिलता है। ये हमारा अंश है नमन हम इसे यूं नहीं छोड़ सकते इन लोगों के पास। इसे वो सारे अधिकार मिलेगें जो हर बच्चे को मिलते हैं। किन्नर ही तो है, अनाथ नहीं है। इसका परिवार है, माता-पिता हैं। पूरे गर्व के साथ समानता के अधिकार के साथ खुलकर जीयेगा मेरा बच्चा।”

नंदिनी की सासु माँ ने कहा, “तुम्हारी भावनायें ठीक हैं नंदिनी लेकिन हम इसे घर में नहीं रख सकते समाज क्या सोचेगा?”

“कुछ नहीं सोचेगा समाज मां ये समाज हमसे ही तो है। और इस समाज को ऐसे बच्चों को भी बराबरी का अधिकार देना होगा और अपने नियमों में बदलाव करना होगा। और ये बदलाव हमारे घर से होगा। किसी को मेरा साथ देना है तो दे नहीं तो मैं अकेली ही काफी हूं अपने बच्चे को अच्छा जीवन और अच्छी परवरिश देने के लिए।”

नंदिनी ने कहा तो नमन ने भी अपने बच्चे को गोद में लेकर कहा, ” नंदिनी सही कह रही है मां। ये बदलाव की शुरूआत हमें अपने घर से ही करनी होगी। हमारा बच्चा हमारे साथ ही रहेगा और इस समाज से अपने अधिकर खुद छीनेगा-खुलकर मुस्कराने का अधिकार, पढ़ने का अधिकार, अपना जीवन शान से जीने का अधिकार और समानता का अधिकार। हमारा बच्चा हमारे होते हुये दर बदर नहीं भटकेगा हरगिज़ नहीं और आपको इसमें हमारा साथ देना होगा मां।”

नमन ने बच्चे को अपनी मां की गोद में दिया  तो उसकी सुन्दर मुस्कान देखकर उन्होने उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम लिया।

वहां का दृश्य देखकर किन्नरों की आंखों में से झर-झर आंसू बहने लगी और वो कहने लगे, ” बहुत खुशनसीब है ये बच्चा जो इसे तुम जैसे माता-पिता मिले। काश हमारे माता-पिता ने भी हमें ठुकराने की बजाय अपना लिया होता। काश हमारा परिवार भी हमें स्वीकार कर लेता। काश ये समाज हमारे साथ इतना भेदभाव नहीं करता। काश हमें भी तुम सबके साथ बराबरी से जीने का अधिकार मिला होता तो आज हम अपने जीवनयापन के लिए ऐसे ना भटक रहे होते और नर्क जैसी जिंदगी नहीं जी रहे होते।”

“हम भी तो इसी समाज का अंग हैं। हमारे अंदर भी तो हमारे माता-पिता, जो बडे़ ही शान से इस समाज में रह रहे हैं, उनका ही खून है। हम भी तो तुम लोगों का ही अंश हैं, फिर हमारे साथ इतना भेदभाव क्यों? हमने तो ना अपनी मां का दूध पीया और ना ही अपने पिता का लाड पाया लेकिन इस बच्चे को सब कुछ मिलेगा। आप और ये बच्चा हम सबके लिए एक प्रेरणा बनेगा।”

नंदिनी, नमन और उस बच्चे को ढेरों आशीर्वाद देकर वो किन्नर अपने घर को चले  गए और नंदिनी ने अपने बच्चे को सीने से लगा लिया।

दोस्तों अनगिनत सवालों और एक नई सोच के साथ मेरी ये नई कहानी, उम्मीद है आप सबको सोचने पर मजबूर करेगी और पढ़कर आपको अहसास भी होगा कि कितना भेदभाव करते हैं हम अपने ही कोख से जन्मे ऐसे बच्चों के साथ। अब वक्त आ गया है कि हमारा ये समाज अपने बनाये बेतुके नियमों को बदले और सदियों से भेदभाव सह रहे ऐसे तबके के लोगों को बराबरी का अधिकार दे।

मूल चित्र : chompoosuppa from Getty Images Canva Pro 

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