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सदियों से छात्र किसी भी देश की विपरीत परिस्थितियों में एक शक्ति के रूप में उभर कर आऐ हैं। ऐसे बहुत से उदाहरण आज भी हैं जहां छात्रों ने कोरोना काल में मिसाल पेश की है।

सदियों से छात्र किसी भी देश की विपरीत परिस्थितियों में एक शक्ति के रूप में उभर कर आऐ हैं। ऐसे बहुत से उदाहरण आज भी हैं जहां छात्रों ने कोरोना काल में मिसाल पेश की है।

पिछले चार महीनों से हम अनुभव कर रहे हैं कि ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान छात्रों द्वारा पढाने करने कराने के तरीकों का मजाक उड़ा कर, शिक्षकों के स्तर को आंका जा रहा है, न केवल छात्रों द्वारा परन्तु परिवारों द्वारा भी। कुछ घटनाओं में छात्र ऑनलाइन क्लास को म्यूट कर, अनजान बने रहने का अभिनय कर शिक्षकों का मजाक बना रहे हैं।

इस महामारी के दौरान नैतिक मूल्यों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। हमने विभिन्न लोगों के व्यक्तित्व के विभिन्न रंगों को देखा है। जिनसे कम उम्मीद थी वे लोग सर्वोत्तम समर्थन के साथ सामने आए। जिन लोगों से सबसे ज्यादा उम्मीद थी वे मूक रहे। ऐसे छात्र जो शिक्षकों के लिए समस्या पैदा कर रहे हैं, वे बाधा बन स्वयं के संस्कारों का ही प्रदर्शन कर रहे हैं।

लॉकडाउन ने वास्तव में कुछ की सोच को अवरुद्ध कर दिया है जबकि कई लोगों ने अपने तरीके से मानव जाति की मदद करने में योगदान दिया है। किशोरों, स्नातक, स्नातकोत्तर छात्रों के लिए यह वह समय है जब सबसे अधिक ध्यान, देखभाल और मार्गदर्शन की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही साथ शिक्षकों, माता-पिता और समाज के साथ इनसे सहयोग की उम्मीद भी की जाती है। छात्र देश का गौरव हैं।

इस कोरोना काल और लॉकडाउन – अनलॉकडाउन अवधि में, कुछ लोगों ने सबसे मुश्किल समय का अनुभव किया है, जबकि अन्य इसे कम कष्टप्रद करने की कोशिश कर रहे हैं, मुश्किलें सभी के लिए हैं। सब अपने क्षमतानुसार इनका निवारण कर रहे हैं।

यह सब सकारात्मक सोच के साथ समस्याओं का सामना, अनुकूलन परिस्थिति और इस वर्तमान स्थिति को स्वीकार करने के प्रति सही दृष्टिकोण रखने से ही संभव है। सदियों से छात्र किसी भी देश की विपरीत परिस्थितियों में एक शक्ति के रूप में उभर कर आऐ हैं।

ऐसे बहुत से उदाहरण आज भी हैं जहां छात्रों ने कोरोना काल में मिसाल पेश की है।

इसमें इंजीनियरिंग, मेडिकल साइंस, ह्यूमैनिटीज या यहां तक ​​कि स्कूली छात्र भी हैं, जो अलग-अलग ऐप बनाकर लोगों को उनकी दिनचर्या की ज़रूरतों या कोरोना जागरूकता की जानकारी हासिल करने के लिए भारतीय ऐप का इस्तेमाल करने में मदद करते हैं।

कुछ छात्रों ने लॉकडाउन के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन और अन्य आवश्यक सामान प्राप्त करने में मदद कर अपना योगदान दिया।

कई छात्रों ने स्वयंसेवकों के रूप में प्रशासन को सार्वजनिक सेवाओं या अस्पतालों में ड्यूटी प्रबंधन करने के लिए अपनी सेवाएं दी।

बहुतों ने भोजन, आश्रय और परिवहन सेवाएं प्रदान करने के लिए स्व-सहायता समूह शुरू किए।

कुछ लोग कोविड के बारे में आम जानकारी से लोगों को जागरूक करने के लिए गाने, फिल्में बना रहे हैं। उन्होंने हमारे जीवन में कोविड की चुनौतियों से लड़ने के लिए रचनात्मक समाधान और विचारों के साथ आने के लिए सरकार द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया।

कुछ छात्र लोगों को शिक्षित करने की दिशा में काम कर रहे कि कैसे फर्जी खबर, अधपकी, अपुष्ट खबर को कोरोना या अन्य घटनाओं को फैलने से बचाएं और जागरूक बने।

कुछ शोधार्थी कोविड के प्रभिव, कारण और परिणाम पर सोशल सांइंस और मैडिकल सांइंस पर शोध कर मार्गदर्शन में योगदान दे रहे हैं।

ऐसे योद्धा छात्रों के बीच, जब हम उन छात्रों के बारे में सुनते हैं जो शिक्षकों के लिए, परिवार या समाज के लिए समस्या बन रहे हैं और अपने शिक्षकों का मजाक उड़ा रहे हैं, तो ये शोचनीय हैं।

शिक्षक, शिक्षाविद – छात्रों को अपनी निर्बाध सेवाएं प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। शिक्षा क्षेत्र में लॉकडाउन के बाद सुधार की जिम्मेदारी उनकी अधिक है।

सुधार की नींव ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने और इसके अनुकूलन बनने के लिए हमारे आज के प्रयासों और कदमों से शुरू होती है।

चाहे वह स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय हो, शिक्षकों को भी अच्छी तरह से तकनीक दक्ष होने की आवश्यकता हो रही है और वे शिक्षण के इस नए तरीके को बखूबी निभा भी रहे हैं।

दिन भर वे वीडियो व्याख्यान, पीपीटी, ऑडियो पाठ तैयार करने में समय बिता रहे हैं और वे अपने छात्रों को फोन कॉल पर भी उपलब्ध हैं, हालांकि इसमें अपवाद हर जगह हो सकतें हैं।

उन अकादमिक योद्धाओं का सम्मान करना, जिन्होंने इस कोरोना चरण में अपना जीवन और कार्यशैली बदल दी है, हर एक व्यक्ति का कर्तव्य बन जाता है फिर चाहे वह छात्र है या नहीं। शिक्षक अपने छात्रों को सर्वश्रेष्ठ देने के लिए अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उनके लिये हमारा सहयोग और सम्मान अनिवार्य है।

मूल चित्र : Andrea Piacquadio via Pexels

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Dr .Pragya kaushik

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