कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे एक औरत की ख्वाहिशों की दुनिया में ले जाती है…

डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे प्रश्न उठाती है कि हम जैसे एक आदमी की इच्छाओं पर खुलकर बात कर सकते हैं वैसे ही औरत की इच्छाओं पर बात क्यों नहीं करते?

डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे प्रश्न उठाती है कि हम जैसे एक आदमी की इच्छाओं पर खुलकर बात कर सकते हैं वैसे ही औरत की इच्छाओं पर बात क्यों नहीं करते?

आजकल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नई सीरीज़ और फिल्मों की बाढ़ आ गई है। लॉकडाउन और कोरोना काल में इन प्लेटफॉर्म की चांदी हो गई है।

अब अगले हफ्ते की तैयारी कर लीजिए क्योंकि एक बहुत ही शानदार फिल्म रिलीज़ होने वाली है। 18 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडनेकर स्टारर डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे रिलीज़ होने वाली है।

इस फिल्म की निर्देशक हैं ‘लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का’ जैसी शानदार फिल्म लिखने वाली अलंकृता श्रीवास्तव और इसे बालाजी टेलिफिल्म्स के बैनर तले प्रोड्यूस किया है एकता और शोभा कपूर ने। अलंकृता ने ‘लिपस्टिक’ फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन के वक्त ही ‘डॉली, किट्टी और वो’ का पहला ड्राफ्ट तैयार कर लिया था।

डॉली और किट्टी की कहानी हर औरत की दबी ख्वाहिशों की कहानी है

अलंकृता ने इस बार दो बहनों की कहानी गढ़ी है जिनकी सिंपल ज़िंदगी में बहुत कॉम्प्लिकेटेड परेशानियां हैं। फिल्म दो चचेरी बहनों के बारे में हैं जो अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं लेकिन एक मिनट, ‘एक औरत अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीए, ये कैसे हो सकता है, उसे तो समाज के हिसाब से जीना है ना? शादी करनी है, बच्चे करने हैं, घर संभालना हैं, उसके कैसे सपने, कैसी मर्ज़ी और सेक्शुएल लाइफ तो हो ही नहीं सकती।’ ये फिल्म समाज की इसी सड़ी-गली सोच को स्वाहा करती हुई डॉली और किट्टी के ज़रिए एक औरत की ख्वाहिशों की दुनिया में ले जाती है।

डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे के ट्रेलर का सार

डॉली (कोंकणा सेन शर्मा) शादीशुदा मिडल क्लास वर्किंग औरत हैं जिसके पति को उसकी ख्वाहिशों से कोई लेना-देना नहीं है। वो खुद चाहे किसी से भी सेक्शुअल रिलेशनशिप के सपने लेता हो लेकिन उसकी बीवी अगर ऐसा सोचे तो उसका सवाल होता है ‘क्या मैं तुम्हारे लिए काफ़ी नहीं हूं?’ डॉली एक मां भी है जिसके बच्चों के लिए वो बस एक केयरटेकर ही हैं। फिर डॉली की स्टोरी में आता है ट्विस्ट यानि अमोल पराशर।

काजल (भूमि पेडनेकर) नौकरी के सिलसिले में छोटे से शहर से दिल्ली आ जाती है जहां वो अपनी बहन डॉली से मिलती है। काजल की नौकरी एक साइबर लवर की है जो एक डेटिंग एप के लिए लड़कों से फोन पर किट्टी नाम से बातें करती हैं। वो ये इसी के चलते उसकी मुलाकात होती है विक्रांत मेसी से। दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं।

डॉली और किट्टी एक-दूसरे के सीक्रेट जानती हैं और समझती भी हैं। कैसे अपनी ख्वाहिशों के रास्ते पर चलकर ये दो औरतें अपनी ज़िंदगी को कभी उलझाती, कभी सुलझाती हैं इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

डॉली, किट्टी के लाइफ और एडवेंचर की कहानी देखने में आपको ज़रूर मज़ा आएगा। एक्टिंग अच्छी ही होगी इसपर कोई शक ही नहीं है। क्योंकि एक तरफ़ मंझी हुई एक्टर कोंकणा सेन हैं तो दूसरी तरफ़ बॉलीवुड में कुछ ही सालों में दमदार पारी खेलने वाली भूमि।

फिल्म की निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव ने अपनेसोशल मीडिया पर यह जानकारी दी कि पहले ये फिल्म मई 2020 में थिएटर में रिलीज़ होने वाली थी लेकिन कोरोना की वजह से सिनेमाघरों को बंद कर दिया गया इसलिए तब फिल्म की रिलीज़ टल गई।

क्या कहते हैं डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे  के किरदार

अपने कैरेक्टर के बारे में बात करते हुए कोंकणा कहती हैं, “डॉली की ज़िंदगी हर उस आम औरत की तरह है जो सारा घर संभालती है,  सबको समझती है लेकिन उसे कोई नहीं समझता। ये डॉली की उस आज़ादी की कहानी है जो दिल खोलकर उसका हर जज़्बा बयां करती हैं।”

भूमि कहती हैं, “अपने सपनों को पूरा करने के लिए किट्टी दुनिया की परवाह नहीं करती और जो उसे ठीक लगता है वही करती है। अपनी बहन के साथ इस जर्नी पर किट्टी खुद को डिस्कवर करती है। हर उतार-चढ़ाव को झेलते हुए वो आखिरकार ये समझ पाती है कि उसे ज़िंदगी से क्या चाहिए।”

अपनी मुट्ठी भर परेशानियों और ढेर सारे सपनों के साथ आ रही हैं डॉली और किट्टी। ये फिल्म इससे पहले बुसान फिल्म फेस्टिवल और ग्लासगो फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाई गई है।

हमारे देश में सैक्शुएलिटी जैसे मुद्दे पर अक्सर बंद दरवाज़ों के पीछे बात की जाती है और वो भी जब औरत की सैक्शुएलिटी की बात आए तब तो बात भी नहीं होती क्योंकि समाज के हिसाब से औरत की कोई सैक्शुएल डिजायर हो ही नहीं सकती। लेकिन हम इस बारे में पढ़ते हुए भी असहज क्यों हो जाते हैं।

औरत और मर्द धरती पर दो ही प्राणी हैं और दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। तो फिर क्या हम जैसे एक आदमी की इच्छाओं पर खुलकर बात कर सकते हैं वैसे ही औरत की इच्छाओं पर बात करने की बजाए उन्हें दबा क्यों देते हैं?

मूल चित्र : Netflix

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

133 Posts | 485,161 Views
All Categories