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फ़िल्म अटकन-चटकन कहती है कि सपने औकात नहीं देखते हैं

अटकन-चटकन स्ट्रीट बच्चों के सपनों को हकीकत में बदलने की कहानी है जो बच्चों को संदेश देने में कामयाब साबित हुई है। 

अटकन-चटकन स्ट्रीट बच्चों के सपनों को हकीकत में बदलने की कहानी है जो बच्चों को संदेश देने में कामयाब साबित हुई है। 

तमाम ओटीटी प्लेटफार्म पर Zee5 अकेला प्लेटफार्म है जो बच्चों के लिए कहानी ला रहा है। चिंन्टू का बर्थ-डे, परीक्षा और मी रक्सम के बाद उन बच्चों की मासूम संवेदना की कहानी “अटकन-चटकन” में कहने की कोशिश की है। जो अपने सामाजिक-आर्थिक हालात के कारण नादान से उम्र में वह सब कुछ नहीं हासिल कर पाते, जिनको हासिल करना उनका सपना होता है। कोरोना महामारी के दौर में ओटीटी प्लेटफार्म पर बच्चों के लिए भी कुछ तो है जो यह संदेश देने की कोशिश कर रही है सपनों को हकीकत में पूरा किया जा सकता है क्योंकि सपने औकात नहीं देखते है।

“नर हो न निराश करो मन को” गीत को गाकर संगीत प्रतियोगिता जीतकर अपना सपना पूरा करने वाले सड़क पर काम करने वाले बच्चे फिल्म देखने वाले दर्शकों के याद में मुरझाए हुए और थके हुए चेहरे छोड़ जाते हैं। यही यह फिल्म कामयाब होने के दूर हो जाती है। निर्देशक शिव हरे ने बच्चों के हिसाब से एक बेहतरीन कहानी बुनने का प्रयास किया, मगर असफल दामप्य जीवन के जटिल रिश्तों की कहानी कहकर “अटकन-चटकन” के चटकने का मौका छीन भी लिया। पूरी फिल्म को यादगार बनाने में न ही ए आर रहमान का नाम ही काम आएगा न ही अमिताभ बच्चन के आवाज में गाया हुआ गीत “दाता शक्ति दे।”

अटकन-चटकन की कहानी एक चाय डिलीवरी लड़के के आस-पास घूमती है

फिल्म के कहानी गुड्डू नाम के एक 12 साल के चाय डिलीवरी लड़के के आस-पास घूमती है, जिसे जुनून है नई आवाज़ों को देखना, सुनना और बनाना। वह अपने आस-पास के हर चीज में एक रीदम को खोज लेता है। गुड्डू के जीवन को रीदम मिलती है जब वह सड़को पर जीवन जीने वाले तीन बच्चों (माधब, छुट्न और मीठी) के साथ एक बैंड बनाता है जो उसकी चाय दुकान के पास काम करते हैं।

एक रोज हसंते-खेलते मस्ती करते हुए “अटकन-चटकन” मडंली एक पेशेवर बैंड के सामने मस्ती में कुछ बजाने लगते हैं और लोगों को वो बहुत पसंद आता है। कहानी उस वक्त आगे बढ़ती है जब वह शहर के सबसे बड़े संगीत प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। भाग लेते ही गुड्डू के अतीत का एक सच सामने आ जाता है। क्या “अटकन-चटकन” सबसे बड़े मंच पर प्रदर्शन कर पाते है या सड़क पर देखा गया सपना चूर-चूर हो जाता है।

फिल्म अटकन-चटकन बच्चों को संदेश देती है

‘अटकन-चटकन’ में लिडियन नदस्वरम गुड्डू की भूमिका में काम किया है जिन्हें दुनिया का सबसे अच्छा बाल पियानोवादक माना जाता है। यश राणे पहले भी फिल्मों में दिख चुके हैं। वह माधव के किरदार में है, सचिन चौधरी छूट्टन के किरदार में, मीठी का किरदार तमन्ना दिपक ने और लता के रूप में आयशा विंधारा ने अभिनय किया है। अभिनय के लिहाज से फिल्म कमजोर ही नहीं काफी कमजोर है पर कहानी दर्शकों को बांधने की कोशिश करती है।

गुड्डू की कहानी अपने साथ-साथ जिन कहानियों को लेकर चलती है वह बोझिल लगने लगती है। इन सब के बाद भी फिल्म बच्चों को संदेश देने में कामयाब हो जाती है वह यह कि “अगर आपमें सपनों को पूरा करने की मजबूत इच्छा शक्ति है तो आपकी औकात रास्ता नहीं रोक  सकती है।”

मूल चित्र : Screenshot, Atakan Chatakan, YouTube  

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