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आज वो अपने पति के लिए आखिरी बार दुल्हन बन रही थी…

देख रहा हूँ कि तुम इतनी खूबसूरत कैसे हो? कैसे तुमने मेरे घर को इतने अच्छे से संभाला हुआ है, माँ के न होते हुए भी इस घर को बिखरने नहीं दिया।

देख रहा हूँ कि तुम इतनी खूबसूरत कैसे हो? कैसे तुमने मेरे घर को इतने अच्छे से संभाला हुआ है, माँ के न होते हुए भी इस घर को बिखरने नहीं दिया।

“तुम कितनी सुन्दर लग रही हो इस ड्रेस में, रेड कलर में अच्छी लगती हो।” 

“क्या आप भी, तारीफ़ें करना तो कोई आप से सीखे। अच्छा मुझे चेंज करने दो।”

“क्यों चेंज कर रही हो?”

“पापा जी देखेंगे तो क्या बोलेंगे।”

 “पापा, शर्मा अंकल के यहाँ गए हैं”, इतना बोलते ही उदय, चारु को खींच कर अपनी बाहों में ले लेता है।

“ऐसे क्या देख रहे हो?”

“देख रहा हूँ कि तुम हमेशा से ही इतनी खूबसूरत कैसे हो? कैसे तुमने मेरे घर को इतने अच्छे से संभाला हुआ है, माँ के न होते हुए भी कभी इस घर को बिखरने नहीं दिया।”

चारु बस एकटक उदय को देखे जा रही थीं, “क्या हुआ?”

“कुछ नहीं, सब कुछ तो अच्छा है पर…”

“पर क्या?”

तभी, “पापा पापा…”

“पापा मुझे बॉर्डर वाली कहानी सुनाओ न, मैं भी बड़ी होकर दुश्मनों से अपने देश की रक्षा करुँगी!” उदय मुस्कराते हुए, “मेरी बहादुर बेटी।”

“आई लव यू चारु, अच्छा मैं चलता हूँ। सबका ख्याल रखना।”

अचानक से चारु की आँख खुल जाती है, दिल घबरा जाता है। यह कैसा सपना था, अचानक उदय ने क्यों बोला मैं चलता हूँ।

अचानक से उठी चारु की नज़र सामने लगी घड़ी पर पड़ती है।

‘अभी तो रात के तीन बजे हैं, मैं भी न’, बोलते हुए चारु पास में सो रही गुड़िया को गले लगा लेती है। ‘दिवाली आने वाली है, उदय ने बोला था कि इस बार दिवाली की छुट्टी अप्रूव हो गयी है। उन्हें बोलूंगी इस बार, अब और नहीं रह सकती तुम्हारे बिना, यही ट्रांसफर ले लो।’

यह सोचते सोचते चारु की आँख लग जाती है। तभी अचानक फ़ोन की घँटी बजती है।

चारु फिर से घबरा के उठ जाती है। एक नज़र घड़ी पर पड़ती है तो रात के 3:30 बज रहे होते हैं।

इस समय किसका फ़ोन आ गया?

“हैलो, कौन?”

“मैडम, मैं श्रीनगर आर्मी हैडक्वाटर  से बोल रहा हूँ।”

“जय हिंद सर, बोलिये।”

“बड़े ही दुःख के साथ आपको सूचित किया जा रहा है कि मेज़र उदयवीर सिंह, पेट्रोलिंग करते समय आतंकवादी हमले में हुई मुड़भेड़ में वीरगति को प्राप्त हो गए।”

“मैडम मैडम…”, चारु की सांसें मानो रुक गयीं हो। आँखों के आगे अँधेरा छा गया।

“उदय…!” जोर से निकली चीख के बाद, गले से आवाज़ बंद हो गयी। चारु वहीं बेहोश होकर गिर गयी।

चीख की आवाज़ सुनते ही दौड़ के बाबूजी आये, फ़ोन में से आवाज़ आती सुन फ़ोन को कान पर लगाया और धक से वहीं बैठ गए।

पिता की आँखों का एकलौता तारा, देश का बहादुर सिपाही मेजर उदयवीर, जो ‘सोपियां’ में तैनात था, आतंकवादियो से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।

पिता की आँखे नम थी और सामने सुधबुध खोये हुए बैठी बहु।

बहु को सांत्वना देते हुए बोले, “उदयवीर है वो, मुझे गर्व है अपने बेटे पर, मेरे देश के लोगो की नींद चैन ना टूटे इसलिए उसने खुद को गहरी नींद में सुला दिया। तुझे गर्व होना चाहिए अपने पति पर, उठ उसे सलामी देने का समय आ गया है।”

चारु को उदय की वो बात याद आयी जब उसने बोला था कि जब भी मैं इस दुनिया से जाऊँगा, मुझे तुम दुल्हन के रूप में विदा करना। यह सोच, चारु फफक फफक के रो पड़ी।

वो आखिरी बार दुल्हन की तरह सजी, उदयवीर को पांच गोलियां लगी थी। उसका पार्थिव शरीर सिर्फ उसकी पत्नी को देखने को मिला।

उसके बाद जिस तरह एक फौजी को अंतिम विदाई दी जाती है, उसी तरह पूरे सम्मान के साथ सेना ने सलामी दी और उदय का पार्थिव शरीर अग्नि में सौंप दिया गया।

चारु की तरह न जाने कितनी महिलाएं हैं जो देश के लिए अपने सिन्दूर को अग्नि में दफ़न कर चुकी हैं, नमन हैं हमारे देश के वीरों को जो अपनी जान देकर हम सब की रक्षा करते हैं।

मूल चित्र : Aastha Karan Singh via Pexels

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