कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
यूँ कहते सुना है मैंने कुछ 'पढ़े लिखे गंवारों' को! कुछ साल कर तो ली नौकरी, निकल गया ना शौक? और वैसे भी कमा तो मैं लेता ही हूँ इतना, फिर क्या जरूरत है?
यूँ कहते सुना है मैंने कुछ ‘पढ़े लिखे गंवारों’ को! कुछ साल कर तो ली नौकरी, निकल गया ना शौक? और वैसे भी कमा तो मैं लेता ही हूँ इतना, फिर क्या जरूरत है?
“यार शादी के बाद ना तुमको नौकरी छोड़नी होगी” यूँ कहते सुना है मैंने उन कुछ ‘पढ़े लिखे गंवारों’ को!
मुझे पूछना है उनसे एक बार, क्या जितनी मेहनत तुमने की है इधर आने में, उतनी शिद्दत उस लड़की ने नहीं की खुद को इस मंज़िल तक लाने में?
एक सच बताऊँ, की है! और वो भी तुमसे कहीं गुना ज्यादा! क्योंकि रास्ते में, तुम जैसे ना जाने कितने लोगों से, रोज़ लड़ी है वो!
पर तुम क्या समझोगे, क्या कहते हो वो तुम? “कुछ साल कर तो ली, निकल गया ना शौक? और वैसे भी मैैं कमा तो लेता ही हूँ इतना, फिर क्या जरूरत है?”
कभी समझ नहीं पाओगे तुम, कि क्या है उसके लिये ये नौकरी! चलो आज में कोशिश करती हूँ बताने की, की कोई “शौक” नहीं है ये नौकरी…
जो लड़ी लड़ाई आज तक, उसका तोहफ़ा है ये नौकरी, उसकी आत्म निर्भरता की डोर है ये नौकरी, बचपन से जो देखा वो हसीन ख्वाब है ये नौकरी, कुछ पैसों की बात नहीं है, हीरों के हार से कहीं ज्यादा कीमती है ये नौकरी!
और अगर यही बात वो लड़की बोले तुमसे तो, क्या छोड़ दोगे तुम अपनी नौकरी? जवाब तो तुम्हें भी पता है और मुझे भी…
पर छोड़ो जाने देते हैं, वो सही ही कहा है किसी ने, अनपढ़ से ज्यादा, पढें लिखे गँवार हानिकारक होते हैं…
मूल चित्र : Canva Pro
read more...
Women's Web is an open platform that publishes a diversity of views, individual posts do not necessarily represent the platform's views and opinions at all times.