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स्वरा भास्कर की नई वेब सीरीज फ्लेश/Flesh सच्ची घटनाओं से प्रभावित है, जिसमें मानव तस्करी और सेक्स ट्रैफिकिंग जैसे अहम मसलों की परतें खुलेंगी।
चेतावनी : पोस्ट में सीरीज की कहानी पर चर्चा है
कोरोना संकट के दौर में कल मनोरंजन का विक्ल्प बने ओटीटी प्लेटफार्म पर नेटफलिक्स पर क्लास आंफ 83, जी5 पर मी रक़्सम और इरोज नाउ पर बेव सीरीज फ्लेश रिलीज हुई। मी रक़्सम और फ्लेश यह दोनों वह फिल्म है जिसका जुड़ाव किसी न किसी तरह आधी आबादी से जुड़ता है। कह सकते हैं दोनों ही फिल्म आधी आबादी से जुड़ी सामाजिक समस्या पर बात करती है। कहीं न कहीं आज भी भारतीय समाज में लड़कियों को अपने शर्तों पर जीने की आज़ादी नहीं है तो साथ-साथ लड़कियों से जुड़ा हुआ और वह है ह्यूमन ट्रैफिकिंग का। बीते हफ्ते डिज्नी हाटस्टार पर विद्युत जामवाल की खुदा हाफिज़ भी इसी समस्या पर कही गई कहानी थी।
दानिश असलम के निर्देशन में और स्वरा भास्कर के अभिनय से सजी हुई फ्लैश वेब सीरीज अपनी शुरूआत जिस कहानी से करती है। वह कहीं न कहीं बिहार के मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम्स के बच्चियों की कहानी से मिलती-जुलती है जिसमें एक एनआरआई लड़की माया के अपहरण होने और तरस्करी के मुहाने तक पहुंचने का सफर और पुलिस के साथ एक ट्रक डाइवर की पत्नी की कहानी और एक एनजीओ जो ह्यूमन ट्रैफिकिंग रिहैबिटेट पर काम करता है उसका संघर्ष भी जुड़ जाता है। मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम्स के बच्चियों को अब तक न्यान भले न मिल सका हो पर वह पूरी घटना किसी फिल्म या वेब सीरिज का प्लॉट तो बन ही सकती थी।
करीब-करीब चालीस मिनट के आठ एपिसोड वाली इस वेब सीरिज में हर एपिसोड में स्वरा भास्कर अपने दमदार अभिनय से छाई हुई हैं। इस वेब सीरिज के बाद स्वरा भास्कर भी अमित साद के तरह अपनी जानदार अभिनय से डिजिटल प्लेटफार्म पर अपनी ज़रूरी दखल रख सकती है।
एरोस नाउ की वेब सीरीज फ्लेश सच्ची घटनाओं से प्रभावित वेब सीरीज है, जिसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग और सेक्स ट्रैफिकिंग जैसे अहम मसलों की परतें खुलेंगी। फ्लेश की कहानी एक नाबालिग लड़की जोया गुप्ता(महिमा मकवान) की मुंबई में किडनैपिंग से शुरू होती है।
यह मामला एसीपी राधा नौटियाल(स्वरा भास्कर) के पास आता है और फिर जोया की खोजबीन करने पर पता चलता है कि उसका अपहरण कर उसे जिस्मफरोशी के धंधे में उतारने के लिए बेच दिया गया है। यह कहानी शुरू होती है मुंबई से और पहुंचती है कलकत्ते तक। इसके बाद जैसे-जैसे इस मामले की तह तक जाती है। वैसे-वैसे नए राज खुलते जाते हैं और फिर मानवीय रिश्तों के साथ ही मानव तस्करी की ऐसी दास्ता दिखती है, जिसके बारे में सोचकर लोगों की रूह कांप जाए। भारत में हर साल हजारों लड़कियों को सेक्स ट्रैफिकिंग के जरिये खाड़ी देशों में भेज दिया जाता है।
मुबंई से शुरू हुई फ्लेश की कहानी कोलकाता जाकर खत्म होती है और इस बीच कहानी इस तरह का मोड़ लेती है कि लोग देखकर रोमांचित हो जाते है। परंतु Flesh की कहानी उससे कहीं आगे की है, जहां देश के अंदर ही सैकड़ों दोषी लड़कियों को बस खिलौना समझते हैं। पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी या किसी लड़के के साथ भाग जाने की शिकायत दर्ज होने के बाद जब चार महीने तक वह नहीं मिलेगी। तब मामला एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट के पास आएगा. ऐसा नियम है, मगर तब तक क्या से क्या हो जाएगा, कहने की जरूरत नहीं।
यह कहानी इन सच्चाईयों के साथ-साथ एक महिला पुलिस अधिकारी के सफर को भी दिखाती है। खासकर पुलिस एक नाके पर ‘माल’ से भरा ट्रक रोकती है और अफसर बंद कंटेनर खोल कर अंदर झांकता है। फिर ट्रकवाले को इसलिए झापड़ मारता है कि जितना कहा था उससे दो गुना ले जा रहा है, कम पैसे देकर,यह पुलिस का एक चेहरा है।
स्वरा भास्कर की वेब सीरीज फ्लेश में जैसे-जैसे मानव तस्करों की दुनिया के दरवाजे खुलते हैं, हैरान करते हैं, दहलाते हैं। उनके प्रति नफरत जगाते हैं लगता है कि नर्क कहीं है तो इन्हीं लोगों ने उसे बसाया है। इनसे क्रूर लोग शायद ही कहीं और मिलेंगे। लेकिन अच्छी बात यह है कि कहीं न कहीं इस अंधेरे के खिलाफ लड़ने के लिए कुछ लोगों ने मुट्ठियां कस रखी हैं और वह वास्तविक सच्चाई को सामने लाने की कोशिश कर रहे है, इस रास्ते पर न्याय का सफर बहुत लंबा है।
मूल चित्र : YouTube stills from series
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