कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कुछ सुकून के पल चाहती हूँ…

इस बड़ी सी दुनिया में, अपनी एक छोटी सी जगह चाहती हूं। जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं।

इस बड़ी सी दुनिया में, अपनी एक छोटी सी जगह चाहती हूं। जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं।

इस बड़ी सी दुनिया में अपने लिए एक छोटी सी जगह चाहती हूं,
जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं।

बहुत ज्यादा बड़ा ना सही, पर एक छोटा सा कोना सिर्फ अपने लिए चाहती हूँ,
खो ना जाएं भीड़ में, वो मुक़ाम खुद बनाना चाहती हूँ।

दिन भर की भाग दौड़ के बाद कुछ सुकून के पल अपने लिए भी चाहती हूं,
इस बड़ी सी दुनिया में, अपने लिए एक छोटी सी जगह चाहती हूं।

हो सकता है कि मेरी सुकून की परिभाषा कुछ और हो,
मेरा व्यक्त करने का तरीका और सलीक़ा औरों से अलग हो।

फिर भी चीरते हुए इस अंतर को मैं बराबरी के कुछ पल चाहती हूं,
इन ऊबड़ खाबड़ रस्तों पर कुछ सीधी साधी पगडंडी चाहती हूं।

दिन भर की भाग दौड़ के बाद कुछ सुकून के पल अपने लिए भी चाहती हूं,
इस बड़ी सी दुनिया में, अपनी एक छोटी सी जगह चाहती हूं,
जो दे दिल को सुकून और सपनों को दे उड़ान, वो ख़्वाब देखना चाहती हूं!

मूल चित्र : Canva Pro

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Deepika Mishra

I am a mom of two lovely kids, Content creator and Poetry lover. read more...

21 Posts | 138,969 Views
All Categories