कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

स्त्री: एक विवशता

पिता का अभिमान हूँ, माँ के दिल का अरमान हूँ, जो नहीं हूँ, वह है इस अप्रत्याशित समाज का हिस्सा।

पिता का अभिमान हूँ, माँ के दिल का अरमान हूँ, जो नहीं हूँ, वह है इस अप्रत्याशित समाज का हिस्सा।

मेरी विवशता कहो या अधिकार,

कि मैं एक स्त्री हूँ।

ना तो कमजोर हूँ, ना जाबांज़ हूँ,

पर दिल में दबी, सबकी आवाज़ हूँ।

पिता का अभिमान हूँ,

माँ के दिल का अरमान हूँ,

जो नहीं हूँ,

वह है इस अप्रत्याशित समाज का हिस्सा।

जिस सीता को सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी,

विवाह के नाम पर दहेज़ की चिता मिली,

मेरी दुर्बलता कहो या सशक्तता,

मैं एक स्त्री हूँ।

लेकिन…

तमाम नियमों और कायदों में बँधी,

जिसकी अपनी सोच अमान्य है।

मूल चित्र : Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

2 Posts | 3,658 Views
All Categories