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नारी हूं…

तीर नहीं जो चूक जाऊं, नीर नहीं जो सूख जाऊं, सृष्टी पर भारी हूं! नारी हूं, न हारी थी, न हारी हूं!

तीर नहीं जो चूक जाऊं, नीर नहीं जो सूख जाऊं, सृष्टी पर भारी हूं! नारी हूं, न हारी थी, न हारी हूं!

हवा नहीं जो थम जाऊं,
सूर्य नहीं जो अस्त हो जाऊं,
धड़कन नहीं जो रुक जाऊं,
बर्फ नहीं जो पिघल जाऊं,
चट्टान नहीं जो तिड़क जाऊं,
धूल नहीं जो बिखर जाऊं,
ऋतु नहीं जो बदल जाऊं,
कहानी नहीं जो अधूरी रह जाऊं,
उम्र नहीं जो ढल जाऊं,
सागर नहीं जो रीत जाऊं,
वक्त नहीं जो बीत जाऊं,
गीत नहीं जो बिसर जाऊं,
मीत नहीं जो बिछड़ जाऊं,
तीर नहीं जो चूक जाऊं,
नीर नहीं जो सूख जाऊं,
सृष्टी पर भारी हूं !
नारी हूं,
न हारी थी,
न हारी हूं !

मूल चित्र : Unsplash

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