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मैं भी सही हूँ, पर ये तू नहीं समझेगा, तेरा अहम तुझे कभी समझने ही नहीं देगा…तेरा अहम तुझे कभी समझने ही नहीं देगा…!
या तो तू सही है या मैं,या दोनो में से एक ग़लत है।
चलो मान लिया कि मैं ही ग़लत हूँ,पर ऐसा भी तो हो सकता है,कि दोनों अपने-अपने आधारों पर सही हों।
ना तू ग़लत ना मैं ग़लत,द्वन्द है बस आधारों का।ऐसा मेरा सोचना है,तू क्या सोचे, तू ही जाने।
मुझे तो तू भी सही ही लगता है,पर इसका मतलब ये नहीं कि मैं ग़लत हूँ।
मैं भी सही हूँ पर ये तू नहीं समझेगा,तेरा अहम तुझे कभी समझने ही नहीं देगा…
मूल चित्र : Screenshot, Movie Thappad
नारी हूँ नारी मैं-किस्मत की मारी नहीं
मैं ‘तू’ बन जाऊँ…बस इतना सा ख़्वाब है!
आने दे इस दुनिया तू मैया मुँह न फ़ेर…
पायल, चुनरी, चूड़ी को तू अब अपनी आवाज़ बना!
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