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कब समझोगे तुम कि हम नहीं तो तुम भी नहीं…

मेरा कोई कन्यादान ना करे, मेरे लिए कोई दहेज ना दे, मेरी कोई भ्रूण हत्या ना करे, मेरा कोई यौन-शोषण ना करे, ना ही कोई मेरा बलात्कार करे।

मेरा कोई कन्यादान ना करे, मेरे लिए कोई दहेज ना दे, मेरी कोई भ्रूण हत्या ना करे, मेरा कोई यौन-शोषण ना करे, ना ही कोई मेरा बलात्कार करे।

तुम सब कुछ देखते हो,
बिना ढके आंखों को।
क्यों रोकते हो हमें?
दुनिया की असलियत देखने को?

क्यों पर्दा-घूंघट करने को बाध्य करते हो?
धर्म के कानूनों की जंज़ीरों में जकड़ते हो,
परम्पराएं-कुरीतियां चलाते रहते हो,
हमें नीचा दिखाते रहते हो।

चारदीवारी में कैद रखते हो,
आखिर क्यों
तुम ऐसा करते हो?
जबाव दो हमें।

अब हम जाग चुके हैं,
तुम्हारी किसी प्रथा को नहीं मानेंगे,
हम भी दुनिया देखेंगे।

चेहरा ना ढककर अपनी पहचान दिखाएंगे,
साहस, शौर्य से भरपूर नया इतिहास बनाएंगे,
ना पर्दा, न घूंघट और ना चेहरा ढकेंगे।

मेरा कोई कन्यादान ना करे,
मेरे लिए कोई दहेज ना दे,
मेरी कोई भ्रूण हत्या ना करे,
मेरा कोई यौन-शोषण ना करे,
ना ही कोई मेरा बलात्कार करे।

ये चेतावनी है सारे जहां को,
सुधर जाओ, संभल जाओ,
हम नहीं रह पाएंगे इस दुनिया में,
तो मेरे बिन तुम्हारा कोई अस्तित्त्व नहीं।

क्योंकि मैं ही तुमको जन्म देती हूं,
तुम्हे पालती-पोसती हूं,
शिक्षा-संस्कार भी देती हूं,
फिर भी तुम हमें ही धिक्कारते हो।

समझ जाओ, संभल जाओ,
हम तुमसे कभी ना कम थे, ना हैं और ना रहेंगे,
हर मोड़ पर तुम्हारा सामना करेंगे,
हम भी साहसी हैं, वीरांगना हैं और जगत जननी।

मूल चित्र : Canva Pro 

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