कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

हाँ! तुम मेरे कातिल हो।

हाँ! तुम मेरे कातिल हो। उस रूह के, जिसमें क्षमा थी। उस आत्मा के, जिसमें दया थी। हाँ! तुम मेरे कातिल हो।

हाँ! तुम मेरे कातिल हो। उस रूह के, जिसमें क्षमा थी। उस आत्मा के, जिसमें दया थी। हाँ! तुम मेरे कातिल हो।

उस मुस्कुराहट के, जिसमें चमक थी।
उन बेबाक़ बातों के, जिनमे खनक थी।

हाँ! तुम मेरे कातिल हो।
उन निगाहों के, जिनमें शरारत थी।
उन नादानियों के, जिनसे रौनक़ थी।

हाँ! तुम मेरे कातिल हो।
उस रूह के, जिसमें क्षमा थी।
उस आत्मा के, जिसमें दया थी।

हाँ! तुम मेरे कातिल हो।
उन रातों के, जिनमें ख़्वाब थे।
उन दिनों के, जिनकी मैं तलबगार थी।
उस मासूमियत के, जिससे मैं थी।
हाँ! तुम मेरे कातिल हो।
मूल चित्र: Canva

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

45 Posts | 239,512 Views
All Categories